जागरण संवाददाता, कानपुर। भाजपा में गुटबाजी का यह आलम है कि सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में पार्टी नामांकन प्रक्रिया के तीन दिन गुजरने के बाद अब तक प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई है। सोमवार हो गया है और शुक्रवार तक ही नामांकन होना है।
नेताओं के मुताबिक, ऊपर स्तर पर माना जा रहा है कि जल्दी टिकट घोषित होने से जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, वे दिल्ली, लखनऊ अपने करीबियों के यहां टिकट बदलवाने के लिए चक्कर लगाने लगेंगे। पार्टी ऐसे लोगों को कोई मौका नहीं देना चाहती।
पार्टी के अंदर की गुटबाजी कार्यकर्ता अच्छी तरह जान चुके हैं।
इसके साथ ही दूसरी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और पार्टी की विचारधारा से जुड़े लोग तक समझने लगे हैं। जिस तरह की खेमे बाजी चल रही है, पार्टी नेता रोज ही कयास लगाते हैं कि आज टिकट घोषित होगा और रोज ही दिन खाली निकल जाता है।
टिकट को लेकर खींचतान
यह पहला मौका नहीं जब टिकट के लिए इतनी खींचतान चल रही हो। महापौर के टिकट को लेकर भी इसी तरह की स्थिति थी और उसमें भी घोषणा अंतिम समय तक टली थी।
पार्टी नेताओं के मुताबिक, एक बार फिर वही प्रक्रिया इसीलिए अपनाई जा रही ताकि विवादों के लिए मशहूर शहर में इस तरह की बातें सामने न आएं। लोग टिकट कटवाने के लिए भागदौड़ शुरू न कर दें। इसके साथ ही विवाद की स्थिति हो भी तो बाद में पार्टी से निष्ठा का हवाला देकर ही स्थितियों को संभाल लिया जाए।
इन प्रत्याशियोंं पर दांव आजमां चुकी है भाजपा
पिछले छह चुनाव में इस सीट पर पार्टी ने छह प्रत्याशियों को आजमाया है। इसमें 1996 में राकेश सोनकर लड़े थे। इसके बाद 2002 में केसी कपूर, 2007 में राकेश सोनकर, 2012 में हनुमान मिश्रा, 2017 में सुरेश अवस्थी, 2022 में सलिल विश्नोई मैदान में उतरे थे।
1996 के बाद पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी है और माना यह भी जा रहा है कि इस बार भी प्रत्याशी को बदला जाएगा।
भाजपा सत्ता में है और जो नाम दौड़ में हैं, उनमें पूर्व विधायक राकेश सोनकर, उपेंद्र पासवान, लक्ष्मी कोरी के अलावा दीपू पांडेय, सुरेश अवस्थी, सलिल विश्नोई, अनूप पचौरी, नीतू सिंह, संजीव पाठक, अनूप अवस्थी, सत्येन्द्र मिश्रा, नवीन पंडित के नाम प्रमुख हैं। दलित और ब्राह्मण से हटकर सुनील बजाज, चंद्रप्रकाश गंगवानी, पूर्व विधायक अजय कपूर के नाम भी चर्चा में हैं।
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