चौथे चरण में उन्नाव समेत कानपुर क्षेत्र की छह सीटों पर 13 मई को मतदान होना है। इनमें कानपुर नगर अकबरपुर उन्नाव कन्नौज इटावा और फर्रुखाबाद लोस सीट शामिल हैं। इन छह सीटों पर कुल 58 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 15 प्रत्याशी कन्नौज तो सबसे कम सात प्रत्याशी इटावा में हैं। फिलहाल ये सभी सीटें सत्तारूढ़ भाजपा के पास हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर। लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए चुनाव प्रचार शनिवार शाम छह बजे से थम गया। अंतिम दिन सभी प्रमुख दलों भाजपा, सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के प्रत्याशियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा और सपा का जोर जहां चुनावी सभाओं पर रहा तो वहीं बसपा ने घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर अपने पक्ष में वोट की अपील की। चौथे चरण में उन्नाव समेत कानपुर क्षेत्र की छह सीटों पर 13 मई को मतदान होना है।
इनमें कानपुर नगर, अकबरपुर, उन्नाव, कन्नौज, इटावा और फर्रुखाबाद लोस सीट शामिल हैं। इन छह सीटों पर कुल 58 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 15 प्रत्याशी कन्नौज तो सबसे कम सात प्रत्याशी इटावा में हैं। फिलहाल, ये सभी सीटें सत्तारूढ़ भाजपा के पास हैं। सबसे रोचक मुकाबला कन्नौज लोस सीट पर है। यहां से सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद चुनावी मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के सुब्रत पाठक से है। फिलहाल, जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा, यह अब 13 मई को जनता ही तय करेगी।
सपा मुखिया खुद मैदान में, सबकी टिकी नजर
कन्नौज लोकसभा सीट पर इस बार सपा मुखिया अखिलेश यादव खुद मैदान में है और राजनीतिक पंडितों की नजर जनता के फैसले पर टिकी हुई है। अखिलेश का सामना सांसद और भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक से है। वहीं, बसपा से इमरान बिन जफर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। अखिलेश यादव यहां से 2000 में पहली बार सांसद निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2004 और 2009 में भी अखिलेश ने जीत दर्ज की थी।
प्रदेश में वर्ष 2012 में सपा सरकार बनने पर उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दिया था और पत्नी डिंपल को निर्विरोध सांसद निर्वाचित कराया था। इसके बाद वर्ष 2014 में डिंपल ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस सीट से लगातार दो बार हार का सामना करने वाले भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने वर्ष 2019 के चुनाव में डिंपल को पराजित किया। इस बार अब सपा मुखिया खुद मैदान में हैं। दोनों प्रत्याशियों के बीच लड़ाई दिलचस्प है। अब देखना है कि मतदाता किसके पक्ष में निर्णय सुनाकर संसद भेजते हैं।
नए चेहरों पर दांव, चार निर्दलीय भी मैदान में
कानपुर नगर लोकसभा क्षेत्र में 11 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा। मतदाताओं के सामने भाजपा प्रत्याशी रमेश अवस्थी, कांग्रेस प्रत्याशी आलोक मिश्रा, बसपा के कुलदीप भदौरिया, सभी जन पार्टी से अशोक पासवान, आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के प्रशस्त धीर, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के वालेंद्र कटियार, प्राउटिस्ट ब्लाक इंडिया संजय सिंह, निर्दलीय अजय कुमार मिश्रा, अरविंद कुमार श्रीवास्तव, आलोक मिश्रा और मनोज कुमार में से किसी एक को चुनने का मौका होगा।
सभी प्रत्याशियों ने मतदाताओं को अपने एजेंडे से अवगत करा दिया है। इस सीट पर स्थानीय स्तर पर बंद मिलें, प्रदूषण, जलभराव, जाम और अतिक्रमण जैसे मुद्दे प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राहुल गांधी, अखिलेश यादव के साथ ही मायावती जैसे स्टार प्रचारकों ने अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाया है। अब निर्णय जनता को लेना है।
हैटट्रिक की तलाश में भाजपा, सपा व बसपा ने भी लगाया जोर
अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र में नौ प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें भाजपा से देवेंद्र सिंह उर्फ भोले सिंह, सपा से राजाराम पाल, बसपा से राजेश द्विवेदी, सभी जन पार्टी से अशोक पासवान, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी से चन्द्रेश सिंह, राष्ट्रीय जन उत्थान पार्टी से राम गोपाल, राष्ट्रीय संस्कृति पार्टी से विपिन कुमार, निर्दलीय योगेश जायसवाल और राजाराम के बीच मुकाबला होगा। सभी प्रत्याशियों ने जीतने पर अपनी वरीयताएं मतदाताओं के सामने रखी दी हैं।
भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले हैटट्रिक की तलाश में हैं। विपक्ष ही नहीं गिनाने के लिए तमाम उपलब्धियों के बावजूद सत्ता पक्ष भी जातियों की पालाबंदी में लगा है। इस सीट पर अकबरपुर का औद्योगिक विकास, ग्रामीण क्षेत्र में बेसहारा मवेशी और यातायात संसाधन जैसे प्रमुख स्थानीय मुद्दे हैं। भोले को प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के रोड शो, गृहमंत्री अमित शाह की बैठक से मजबूती मिली है। वहीं, राजाराम पाल का यह पुराना क्षेत्र है। 2009 में वह यहीं से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे।
कांटे का मुकाबला, सबने लगाया जोर
फर्रुखाबाद: चौथे चरण के मतदान के लिए हो रहा चुनाव प्रचार शनिवार को समाप्त हो गया। इसके बाद जो तस्वीर निकल कर आई है, उसमें भाजपा के प्रत्याशी सांसद मुकेश राजपूत व समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डा. नवल किशोर शाक्य के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। बसपा उम्मीदवार क्रांति पांडेय भी इसे त्रिकोणीय करने के प्रयास में जुटे हैं। लोकसभा सीट पर कुल आठ प्रत्याशी मैदान में हैं।
दो बार से लगातार सांसद और पार्टी का संगठन, सामान्य स्वभाव व स्वयं की लोधी बिरादरी के अलावा अन्य जातियों में अच्छा संपर्क मुकेश राजपूत को मजबूती देता है। वहीं, पेशे से चिकित्सक, सौम्य भाषा, उच्च शिक्षित नया चेहरा, पार्टी के पारंपरिक वोटों के अलावा खुद की बिरादरी पर सपा प्रत्याशी नवल किशोर को भरोसा है। बसपा के स्थानीय प्रत्याशी को पार्टी का कैडर वोट ताकत दे रहा है, लेकिन संसाधनों का अभाव, किसी बड़े नामचीन नेता के दौरे या जनसभा आदि का न होना इन्हें कमजोर करता है।
समाजवाद के ‘घर’ में भाजपा का परचम
इटावा लोकसभा (सुरक्षित) सीट पर चुनाव के लिए शनिवार को प्रचार समाप्त हो गया। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रो. रामशंकर कठेरिया, सपा से जितेंद्र दोहरे, बसपा से सारिका सिंह बघेल, सम्यक पार्टी से भुवनेश कुमारी, जनता समाजवादी पार्टी से विवेक राज, निर्दलीय मुलायम सिंह व सुनील शंखवार चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर प्रमुख मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है।
किसी जमाने में सपा का मजबूत किला कहे जाने वाली इस सीट पर भाजपा का दबदबा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के रामशंकर कठेरिया ने सपा के कमलेश कुमार को 65 हजार वोटों से पराजित किया था। भाजपा यहां से अपनी हैटट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है वहीं सपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बनी हुई है। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें इटावा सदर, भरथना (सुरक्षित), दिबियापुर, औरैया (सुरक्षित) और कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट आती है।
दो संसदीय चुनावों से फहरा रहा भगवा, मिले थे रिकार्ड मत
उन्नाव: उत्तर प्रदेश के दो महानगरों के बीच सेतु की भूमिका निभाने वाली उन्नाव संसदीय सीट पर पिछले दो संसदीय चुनावों से भगवा झंडा फहर रहा है। जातिवाद और राष्ट्रवाद के बीच उलझे चुनावी समीकरण को सुलझाने में राजनीतिक दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं। वर्ष 2014 में भाजपा के डा. सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने इस सीट को कांग्रेस की अन्नू टंडन से छीना था।वर्ष 2019 में भी साक्षी ने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज कर उसे कायम रखा। अब 2024 के चुनावी रण में वह लगातार तीसरी बार मैदान में हैं और हैटट्रिक की राह तलाश रहे हैं। उनके सामने आइएनडीआइ गठबंधन से सपा प्रत्याशी अन्नू टंडन हैं। उधर, बसपा ने 2004 के प्रयोग को चौथी बार भी जारी रखते हुए अशोक पांडेय को प्रत्याशी बनाया है। लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए तीनों दलों के उम्मीदवार फिलहाल ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाताओं की तरफ निगाह टिकाए हैं। ये दोनों जातियां संख्या बल के दम पर चुनाव का रुख मोड़ने की ताकत रखती हैं।
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