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UP Weather Forecast: कानपुर के लोगों को शुष्क सर्दी से मिलेगी राहत, अगले महीने वर्षा के आसार

Kanpur Weather जनवरी महीने में इस बार सबसे कम वर्षा हुई है। फरवरी के पहले सप्ताह में ही जेट स्ट्रीम वायुमंडल में वापस अपनी पूर्व ऊंचाई पर चली जाएगी। इससे यूरोप व एशिया से बहकर आ रही शुष्क व सर्द हवा थम जाएगी और हिमालय के पहाड़ों पर बर्फबारी भी शुरू हो जाएगी। इससे फरवरी महीने में वर्षा होने के भी आसार बन रहे हैं।

By akhilesh tiwari Edited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 29 Jan 2024 11:31 AM (IST)
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UP Weather Forecast: कानपुर के लोगों को शुष्क सर्दी से मिलेगी राहत, अगले महीने वर्षा के आसार
अखिलेश तिवारी, कानपुर। मौसम में तीव्र बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। पूरे महीने तक शुष्क सर्दी की वजह रहीं जेट धाराएं अब अगले सप्ताह से ऊपर उठ सकती हैं। इससे शुष्क सर्दी चली जाएगी लेकिन हिमालय पर हो रही बर्फबारी की वजह से सर्दी बनी रहेगी। जनवरी महीने में इस बार सबसे कम वर्षा हुई है। इसकी वजह अलनीनो इफेक्ट और जेट स्ट्रीम का नीचे आना ही है।

उत्तरायण हुए सूर्यदेव ने पूरे प्रदेश में शुष्क सर्दी की वजह बने जेट स्ट्रीम की धारा बदलनी शुरू कर दी है। जेट स्ट्रीम के वायुमंडल में नीचे आने की वजह से इस बार जनवरी में लोगों को कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ा है। संक्राति के बाद सूर्यदेव की किरणों ने अपना असर दिखाना शुरू किया तो जेट स्ट्रीम भी ऊपर उठने लगी।

मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय के अनुसार, फरवरी के पहले सप्ताह में ही जेट स्ट्रीम वायुमंडल में वापस अपनी पूर्व ऊंचाई पर चली जाएगी। इससे यूरोप व एशिया से बहकर आ रही शुष्क व सर्द हवा थम जाएगी और हिमालय के पहाड़ों पर बर्फबारी भी शुरू हो जाएगी। इससे फरवरी महीने में वर्षा होने के भी आसार बन रहे हैं, जो फसलों और मनुष्यों सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा।

जेट स्ट्रीम के नीचे आने से वर्षा भी हुई कम

मौसम विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार जनवरी महीने में उत्तर प्रदेश में औसत वर्षा 2.4 मिमी हुई है जो सामान्य वर्षा 9.6 मिमी से 75 प्रतिशत कम है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल 1.1 मिमी पानी बरसा है। वहां औसत वर्षा सामान्य से 90 प्रतिशत तक कम है।

डा. पांडेय कहते हैं कि अलनीनो इफेक्ट की वजह से इस साल पहले से ही मौसम चक्र गड़बड़ चल रहा है। इस पर जेट स्ट्रीम के नीचे आने से भी सर्दी की वर्षा पर विपरीत असर पड़ा। पश्चिमी विक्षोभ की स्थितियां कई बार बनीं लेकिन वर्षा नहीं हो सकी।

जेट स्ट्रीम और स्थानीय जलवायु

जेट स्ट्रीम या जेट धारा पृथ्वी पर एक आवरण के रूप में काम करती है जो निचले वातावरण के मौसम को प्रभावित करती है। यह क्षोभ मंडल और समताप मंडल के बीच की सीमा पर स्थित है, जिसे ट्रोपोपाज़ कहा जाता है। यह एक वायुमंडलीय राजमार्ग है जो उस स्तर पर स्थित है जहां विमान उड़ते हैं।

जेट धाराएं भारत में 27 से 30 उत्तरी पश्चिमी अक्षांश के मध्य औसतन 200-250 किमी प्रति घंटा की गति से चलती हैं। इसलिए इसे उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिम जेट धारा भी कहा जाता है। यह पूर्वी और पश्चिमी दोनों ही दिशा में बहती हैं। मौसम व वर्षा निर्धारण में इनकी प्रमुख भूमिका है।

जेट धाराएं नौ से 18 किमी की ऊंचाई पर आमतौर पर चलती हैं। इनकी गति संरचना जिगजैग होती है। इस बार इनके नीचे आ जाने की वजह से यूरोप और एशिया की सर्द व शुष्क हवा चलकर यहां आ रही थी। अब सूर्य की किरणों से स्थितियां बदल रही हैं। जेट धाराएं ऊपर जा रही हैं। एक फरवरी के बाद शुष्क सर्दी का प्रकोप खत्म हो जाएगा। - डा. एसएन सुनील पांडेय, कृषि मौसम विज्ञानी, सीएसए

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