यूपीसीडा ने भूखंडों में दी सहूलियत, अब पारिवारिक सदस्य निश्शुल्क करा सकेंगे उप विभाजन
उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने औद्योगिक भूखंडों के नियम व शर्तों के अनुसार उप विभाजन नीति में सुविधा दी है । अब उप विभाजन कराकर भूखंड बेचने वाले उद्यमियों पर ही विकास कराने की भी जिम्मेदारी होगी।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sun, 26 Dec 2021 10:57 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। चार हजार वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल के औद्योगिक भूखंडों का उप विभाजन कराने वाले आवंटियों को प्लाट बेचने से पहले वहां उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के नियम व शर्तोंं के अनुसार विकास भी कराना होगा। मूलभूत सुविधाओं के विकास के बाद जब तक वे पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं ले लेंगे तब तक भूखंड की बिक्री नहीं कर सकेंगे।
यह व्यवस्था प्राधिकरण ने नई उप विभाजन नीति में लागू कर दी है। इसके साथ ही किसी उद्यमी के परिवार में हुए विघटन के बाद यदि औद्योगिक भूखंड का उप विभाजन होता है तो कोई हस्तांतरण शुल्क नहीं लेगा। किसी भी क्षेत्रफल के भूखंड का उप विभाजन किया जा सकेगा। हालांकि पारिवारिक सदस्यों की कंपनियों में विवाद के बाद भूखंड के उप विभाजन के संबंध में क्या व्यवस्था होगी अभी इस नीति में स्पष्ट नहीं है। उद्यमियों ने ऐसे मामलों में निश्शुल्क उप विभाजन और हस्तांतरण की व्यवस्था करने का सुझाव दिया है।
प्राधिकरण प्रबंधन ने भूखंडों के उप विभाजन की नई नीति लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सुझाव मांगे गए हैं। पहली जनवरी तक इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके तहत ऐसी इकाइयां जिनमें पांच साल निरंतर उत्पादन हुआ हो और भूखंड का क्षेत्रफल चार हजार वर्गमीटर से अधिक हो उस भूमि का उप विभाजन कराकर उद्यमी 50 प्रतिशत भूमि को बेच सकता है।
उप विभाजन में जो प्लाट काटे जाएंगे उनका क्षेत्रफल पांच- पांच सौ वर्गमीटर होगा। प्रबंधन ने कहा कि उद्यमी संबंधित क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, सीवर लाइन आदि का प्रबंध करेगा। इस कार्य को वह पार्ट में कर सकता है। जब वह पूर्णता प्रमाण पत्र लेगा तभी भूखंड के हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूरा करा सकेगा। अन्यथा वह किसी को भूखंड बेच भी देगा तो प्रबंधन उसे हस्तांरण की अनुमति नहीं देगा।
पीआइए के प्रांतीय उपाध्यक्ष अतुल सेठ का कहना है कि पारिवारिक कंपनियों को आवंटित भूखंड अगर परिवार के सदस्य किसी विवाद के कारण हस्तांतरित कराते हैं तो उसे निश्शुल्क हस्तांरित करने और उप विभाजन के लिए भूखंड के क्षेत्रफल की बाध्यता खत्म होनी चाहिए। अभी ऐसी कोई व्यवस्था नई नीति में नहीं है।
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