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कानपुर में बने हथियारों की पूरी दुनिया में धमक, अमेरिका-अफ्रीका से मिले 10 हजार करोड़ के ऑर्डर

कानपुर में बने हथियारों का डंका अब पूरी दुनिया में बज रहा है। रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच जारी युद्ध के बीच छोटे देश भी अपने रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने में जुटे हैं। इससे भारत को बड़े पैमाने पर हथियारों के ऑर्डर मिल रहे हैं। कानपुर स्थित एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) को वर्तमान में 10000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिल चुके हैं।

By vivek mishra Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 02 Oct 2024 10:24 AM (IST)
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वैश्विक रक्षा क्षेत्र में 10 हजार करोड़ के स्वदेशी हथियार और टैंक की मांग
जागरण संवाददाता, कानपुर। रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच जारी युद्ध के बीच छोटे-छोटे देशों ने भी अब अपने रक्षा क्षेत्र की मजबूती पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। इससे हथियार बनाने वाले देशों को बड़े स्तर पर ऑर्डर मिल रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा चुका भारत भी अब अपनी मजबूत जगह बनाता जा रहा है। इस कड़ी में कानपुर में बने हथियारों की धमक भी अब दुनिया में देखी जा रही है।

यहां बनने वाले स्वदेशी छोटे और मध्यम हथियारों के साथ ही तोप से फायर करने वाले गोले और टैंक की मांग बढ़ गई है। रक्षा मंत्रालय के कानपुर स्थित पीएसयू एडवांस्ड वेपंस एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड कंपनी (एडब्ल्यूईआइएल) को वर्तमान में 10 हजार करोड़ के ऑर्डर मिल चुके हैं। 20 हजार करोड़ के ऑर्डर पाने के लिए कंपनी टेंडर प्रक्रिया में मजबूती से दावेदारी कर चुकी है।

10 हजार तक पहुंचा ऑर्डर

एडब्ल्यूईआइएल कंपनी के तीसरे स्थापना दिवस पर सीएमडी राजेश चौधरी ने अरमापुर स्थित निरीक्षण भवन में प्रेसवार्ता में कहा कि वर्ष 2021 में निगम में तब्दील होने के समय कंपनी के पास 4600 करोड़ रुपये का वर्क ऑर्डर था। तीन साल बाद यह बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

कंपनी ने यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व अमेरिका, अफ्रीका में दस्तक दी है। यहां से छोटे और मध्यम कैलिबर के हथियार, आर्टिलरी गन के पुर्जे, गोला बारूद हार्डवेयर, आर्टिलरी गन की मरम्मत और छोटे हथियारों के पुर्जों के 16 निर्यात ऑर्डर हासिल किए हैं। सारंग टोड गन की मारक क्षमता 40 से बढ़ाकर 60 किमी तक किए जाने और ड्रोन माउंटेड गन सिस्टम को अगले दो साल में विकसित करने का लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि आयुध हथियारों पर अनुसंधान और विकास के लिए जबलपुर, कानपुर और ईशापुर में आयुध विकास केंद्र स्थापित किया गया है। यहां पर आधुनिक युद्ध हथियारों को विकसित करने पर काम चल रहा है। इसके अलावा, कंपनी ने आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस, स्वचालन और डिजिटल विनिर्माण समाधान पर फोकस बढ़ाया है। वार्ता में निदेशक आपरेशन एके मौर्या, निदेशक मानव संसाधन विश्वजीत प्रधान, सलभ प्रकाश, केआर सिन्हा, सीके मंडल मौजूद रहे।

एके-203 कारबाइन का तेज होगा उत्पादन

निदेशक आपरेशन एके मौर्या ने बताया कि एके-203 कारबाइन का उत्पादन ऑर्डर मिल चुका है। इसे चार चरणों में विकसित किया जा रहा है। एके-203 कारबाइन का साइज छोटा रहेगा, ताकि यह आसानी से कपड़ों में छिपाई जा सके। करीबी लड़ाई में कारबाइन काफी मददगार होती है।

सेना से 300 में से 117 सारंग गन सिस्टम का ऑर्डर मिला था। जल्द ही शेष 183 सारंग गन सिस्टम की सप्लाई कर दी जाएगी। सेना से 36 धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम का ऑर्डर है।

तीन वर्षों में ऐसे बढ़े हथियारों के ऑर्डर

वर्ष- ऑर्डर

2021- 4,600

2024- 10,000

(ऑर्डर के आंकड़े करोड़ रुपये में)

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