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Kanpur: स्व. योगेन्द्र मोहन गुप्त के तीसरे काव्य 'अनुभूतियों का घनत्व' और काफी टेबल बुक 'योगी भाई' का हुआ विमोचन, पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने दी प्रस्तुति

जागरण समूह के चेयरमैन रहे स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन गुप्त के तीसरे काव्य संग्रह अनुभूतियों का घनत्व और काफी टेबल बुक गुरुवार को विमोचन किया गया। 86वीं जन्मतिथि पर हुए कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने ठुमरी दादरा और सोहर सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।

By Abhishek VermaEdited By: Updated: Fri, 22 Jul 2022 01:17 AM (IST)
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काफी टेबल बुक 'योगी भाई' का विमोचन करतीं विख्यात लोक गायिका पद्मश्री मालनी अवस्थी (मध्य में)। जागरण

कानपुर, जागरण संवाददाता। मन की इच्छाओं का अंत नहीं, एक के बाद एक श्रंखलाबद्ध हैं, कैसे पूरी करोगे? एक पूरी नहीं होती, दूसरी उभरकर ऊपर आ जाती, सोचता हूं क्या मानव जीवन इसीलिए बना है..। जीवन के इस सार को अपनी कविता, गीत, लेख, कहानी और यात्रा वृत्तांत के माध्यम से समझाने वाले जागरण समूह के चेयरमैन रहे स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन गुप्त को उनकी 86वीं जन्मतिथि पर याद किया गया। गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में उनके तीसरे काव्य संग्रह 'अनुभूतियों का घनत्व' और काफी टेबल बुक 'योगी भाई' का विमोचन हुआ। मुख्य अतिथि विख्यात लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी रहीं। उन्होंने ठुमरी कारी बदरिया बरसें, पिया नहीं आए...दादरा में सावन झरी लागी धीरे-धीरे...सुनाई तो लगा मानो वहां उपस्थित श्रोताओं के मन में सावन की घटा उमड़-घुमड़ रही हो।

बिठूर स्थित इटरनिटी बाई रायल क्लिफ होटल में दीप प्रज्वलन के बाद शाम सात बजे कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। पहले दैनिक जागरण परिवार के सदस्यों ने स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन गुप्त से जुड़े संस्मरण सुनाए। इसके बाद मंच पर ढोलक और तानपूरे की धुन पर मालिनी अवस्थी की ठुमरी, दादरा और सोहर की जुगलबंदी सजी तो सब वाह-वाह कर उठे। स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन की धर्मपत्नी विजया गुप्ता जी को समर्पित करते हुए झूला गीत, सिया संग झूलें बगिया में रामललना, जहां पड़ा है हिंडोला... सुनाया तो सबने खूब तालियां बजाईं। लोकगीत शैली में शायरी...ऐ घटा, इतना न बरस कि वो आ न सकें और वो जो आ जाएं तो इतना बरस कि वो जा न सकें...सुनाई। सावन झड़ी लागी धीरे-धीरे, खोलो मोरे श्याम चंदन किवड़िया, चुनर मोरी भीगे धीरे-धीरे..गीत सुनाया तो मानो सावन का उल्लास छा गया। स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन की लिखी कविता, मन की इच्छाओं का अंत नहीं, एक के बाद एक श्रंखलाबद्ध हैं, कैसे पूरी करोगे? को भी अपने सुरों से सजाया।

जागरण प्रकाशन लिमिटेड के निदेशक सुनील गुप्त ने पापा (स्व. योगेन्द्र मोहन गुप्त) की कविता, कौन कहता है जीवन का अंत होता है, सत्य तो यह है कि जीवन का अंत न कभी हुआ है, न कभी होगा...सुनाई तो खूब तालियां बजीं। उन्होंने कहा कि पापा ने सिखाया कि जीवन को सुंदर बनाने के लिए साहित्य, संगीत और कला जरूरी हैं। उनकी कविता की दो पुस्तकें 'गा उठेंगी कगारें' और 'अंतस् अग्नि' प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने अपने अंतिम दिनों में जो कविताएं लिखीं, उन सभी कविताओं को काव्य संग्रह 'अनुभूतियों का घनत्व' में प्रकाशित किया गया है। साथ ही उनके जीवन से जुड़ी कुछ यादों को काफी टेबल बुक 'योगी भाई' में समाहित करने की कोशिश की गई है। मुख्य अतिथि मालिनी अवस्थी, दैनिक जागरण समूह के संपादकीय निदेशक व सीएमडी महेन्द्र मोहन गुप्त, स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन गुप्त की धर्मपत्नी विजया गुप्ता, उनके पुत्र जागरण प्रकाशन के निदेशक सुनील गुप्त व समीर गुप्त, निदेशक देवेन्द्र मोहन गुप्त, निदेशक संदीप गुप्त, शैलेश गुप्त, देवेश गुप्त, राहुल गुप्त व अनिल मित्तल ने दोनों पुस्तकों का विमोचन किया। स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन के जुड़े संस्मरणों पर आधारित तस्वीरें भी प्रदर्शित की गईं। इसमें उनके परिवार, खेल, राजनीति जगत और देश की गणमान्य हस्तियों के साथ की तस्वीरें भी शामिल रहीं। इसके बाद पूर्णचंद्र विद्या निकेतन के छात्र-छात्राओं ने नमो-नमो शंकरा भोलेनाथ शंकरा...भजन सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान मालिनी अवस्थी ने कहा कि परिवार की एकजुटता का उदाहरण केवल भारत में दिखाई देता है। जागरण परिवार की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह भी उत्साहित थीं। वह स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन गुप्त से मिल चुकी हैं, लेकिन उनकी रचनाएं, उनके विचारों से आज रूबरू हो रही हैं। वह गजल सुनते ही नहीं, गाते भी थे। उनके जन्मदिन पर उनके विचारों के अनुरूप ही कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, यही संवेदनाएं दैनिक जागरण की सफलता की वजह हैं। इस परिवार को कला, संस्कृति, विचार विरासत में मिले हैं। उन्होंने बताया कि लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी में उनके गुरु भी आकर गायन कर चुके हैं। समीर गुप्त ने भी पिता से जुड़ी यादें साझा कीं। कार्यक्रम के अंत में जागरण एजूकेशन फाउंडेशन की वाइस चेयरपर्सन ऋतु गुप्ता ने मालिनी अवस्थी को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। साथ ही समीर गुप्ता ने हारमोनियम वादक धर्मनाथ मिश्रा, तबला वादक रत्नेश मिश्रा, सिंथेसाइजर वादक सचिन कुमार, ढोलक वादक अमित कुमार व तानपूरा वादक कविता सिंह को सम्मानित किया।

बाबा कहते थे-पूरी दुनिया देखी, बस जापान रह गया

कानपुर : मेरे प्यारे बाबा, हम सबका ध्यान रखते थे। इंग्लैंड के कैम्बि्रज विश्वविद्यालय में जब मेरी ग्रेजुएशन सेरेमनी हुई तो कहा कि तुम्हारा कालेज तो बहुत अच्छा है। ऐसे ही कालेज बनाने चाहिए और ऐसी ही सेरेमनी होनी चाहिए। वह कहते थे मैंने पूरी दुनिया देखी है, केवल जापान रह गया है। अब वहां जाएंगे। दादी उनकी हर यात्रा की साथी थीं। पौत्री साक्षी ने जब स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन से जुड़ी अपनी यादें बयां कीं तो कार्यक्रम में मौजूद हर शख्स भावुक हो गया।

कार्यक्रम में ये भी रहे मौजूद

कार्यक्रम में एमएलसी अरुण पाठक, सलिल विश्नोई, विधायक सुरेंद्र मैथानी, मंडलायुक्त डा. राजशेखर, एडीजी जोन भानु भास्कर, पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना, संयुक्त पुलिस आयुक्त आनन्द प्रकाश तिवारी, जिलाधिकारी विशाख जी, कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह, शहर के नामचीन चिकित्सक, रंगकर्मी, कवि, साहित्यकार भी मौजूद रहे।

काव्य संग्रह में 125 कविताएं, जीवन दर्शन से लेकर चुनाव तक

जासं, कानपुर : स्वर्गीय योगेन्द्र मोहन गुप्त की पुस्तक ‘अनुभूतियों का घनत्व’ उनकी 125 कविताओं का संग्रह है। इसमें अध्यात्म विषय पर प्रेम शक्ति, उद्घोष, सत्य की खोज, आत्मदर्शन, साक्षी भाव समेत 24 रचनाएं संकलित की गई हैं। इसी तरह जीवन दर्शन विषय पर कर्मफल, रे मन, लक्ष्य की ओर, शब्दास्त्र, ज्ञान-विज्ञान, बोध, जीवन उत्सव बन जाए, मन और मोती, रुकना मृत्यु है समेत 70 कविताएं संकलित की गई हैं। लोक चेतना विषय पर भूख तेरे कितने रूप, जीवन संघर्ष, मंजिल, मुक्तक समेत नौ कविताएं, क्षणिकाएं विषय में सृजन रहस्य, प्रकाश किरण, महामारी, फूल और कांटे समेत 16 रचनाएं और चुनाव विषय पर चुनावी झांसा, किसको दें वोट, चुनाव-घोषणा पत्र समेत छह कविताएं संकलित की गई हैं।

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