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UP: योगी सरकार ने 137 गांवों के बाद अब 378 गांवों के ल‍िए जारी क‍िया चकबंदी का आदेश, जान‍िये क्‍या होगा लाभ

उत्‍तर प्रदेश के 378 गांवों में चकबंदी की प्रक्र‍िया शुरु होगी। बता दें क‍ि 4 गांवों की अध‍िसूचना जारी कर दी गई है। वहीं 374 गांवों में चकबंदी के ल‍िए कभी भी अध‍िसूचना जारी की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में चकबंदी से क‍िसानों को बहुत लाभ होगा। इसी के साथ ज‍िन जमीनों पर कब्‍जा व अत‍िक्रमण है चकबंदी के दौरान उसे हटाया जाएगा।

By Prabhapunj MishraEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Fri, 25 Aug 2023 04:45 PM (IST)
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Agriculture In UP: उत्‍तर प्रदेश के क‍िसानों को चकबंदी से होगा फायदा
लखनऊ, जेएनएन। योगी आद‍ित्‍यनाथ सरकार प्रदेश के क‍िसानों के ल‍िए खुशखबरी लाई है। चकबंदी का आदेश जारी होने के बाद से अध‍िकारी इसे सफल बनाने में जुट गए हैं। शासन ने प्रथम चरण में 29 ज‍िलों के 137 गांवों में चकबंदी के आदेश के बाद दूसरे चरण में 378 गांवों में चकबंदी कराने का आदेश जारी क‍िया है। शासन ने बीते दिनों इन गांवों में चकबंदी कराने के प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया है। चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने बताया कि इनमें से चार गांवों में चकबंदी से जुड़े एक प्रस्ताव को शासन की स्वीकृति मिलने के बाद इन चारों गांवों में चकबंदी कराने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।

चकबंदी अधिनियम के तहत 148 गांवों में द‍िलाया गया नये चकों पर चकदारों को कब्‍जा

374 गांवों में चकबंदी कराने की अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई में 137 गांवों में चकबंदी की अधिसूचना जारी की गई थी। चकबंदी आयुक्त ने बताया कि किसानों के हित में चकबंदी कार्यों को गति प्रदान करने के लिए तकनीक का भी प्रयोग क‍िया जाएगा। इस बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लाक चेन, ड्रोन व रोवर सर्वे आधारित चकबंदी कराया जाना प्रस्तावित है। इससे चकबंदी कार्य पारदर्शिता के साथ त्रुटिरहित रूप से कराया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में चकबंदी अधिनियम के तहत 148 गांवों में नये चकों पर चकदारों को कब्जा दिलाया गया। इनके अलावा 24 गांवों की चकबंदी क्रिया पूरी करते हुए इसी माह विज्ञप्ति जारी की जा चुकी है।

क्‍या है उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम

उत्तर प्रदेश जोत चकबंंदी अधिनियम को 04 मार्च, 1954 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी तथा इसका प्रकाशन दिनांक 08 मार्च, 1954 को उत्तर प्रदेश असाधारण राजपत्र में किया गया। इस प्रकार उत्तर प्रदेश जोत चकबंंंदी अधिनियम, 1953 08 मार्च, 1954 से लागू है। अधिनियम के प्रख्यापन के पश्चात से अब-तक प्रथम चक्र के अन्तर्गत कुल 1,00,059 ग्राम तथा द्वितीय चक्र के अन्तर्गत 23,781 ग्रामों की चकबंंदी पूर्ण की जा चुकी है। चकबंंदी के उपरान्त कृषकों की बिखरी हुई जोतों (खेत या जमीन) के संहत होने के फलस्वरूप कृषि उत्पादन पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ा है। साथ ही, नाली, चकरोड व संपर्क मार्ग तथा सार्वजनिक प्रयोजन हेतु भूमि उपलब्ध होने के परिणाम स्वरूप कृषिक भूमि का नियोजन भी हुआ है।

चकबंदी क्‍या होती है

आमतौर पर किसान चकबंदी प्रक्रिया को काफी जटिल मानते हैं। गांव में चकबंदी कैसे होती है। आइये आपको इस बारे में पूरी जानकारी बताते हैं। अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के बढ़ने के साथ खेती की जमीनों में बंटवारा होता रहता है। ऐसे में एक समय के बाद पैतृक खेत, बाग आदि की भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित होती रहती है। इसके कारण किसानों को छोटे जमीन के टुकड़ों पर खेती करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, एक लम्बे समय के बाद गांवों में खेत की सीमाओं सम्बन्धी विवाद, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण आदि की शिकायतें बढ़ जाती हैं, जिसके कारण सरकार चकबंदी कराती है।

चकबंदी से क्‍या होता है फायदा

अगर जमीनों पर कब्‍जा या अत‍िक्रमण होता है तो चकबंदी के बाद कब्‍जा और अत‍िक्रमण खत्‍म हो जाता है। खेत का आकार अधिक हो जाने से औसत उत्पादन की लागत घट जाती है। कानूनी रूप से चक बन जाने के कारण भूखंडों की सीमा को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद खत्म हो जाते हैं। छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है। बड़े चक के रूप में खेत का आकार बड़ा हो जाने के कारण आधुनिक उपकरणों, जैसे-ट्रैक्टर आदि का इस्तेमाल आसान हो जाता है। एक स्थान पर भूमि हो जाने के कारण कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती हैं।

प्रथम चरण में इन 29 ज‍िलों के 137 गांवों में जारी हुआ था चकबंदी का आदेश

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