सरकार की 'आयुष्मान योजना' पर स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी हावी, 2.97 लाख लोगों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ
आयुष्मान योजना के तहत सरकार ने गरीब और असहायों काे कार्ड की सहायता से पांच लाख तक का उपचार मुफ्त देने की पहल की थी मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। अपात्र योजना का लाभ ले रहे हैं और पात्र सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। योजना की जिम्मेदारी निभा रहे स्वास्थ्यकर्मी मनमानी पर उतारू हैं। सरकार की आयुष्मान योजना पर स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी हावी है।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Tue, 22 Aug 2023 05:04 PM (IST)
संवाद सहयोगी, कासगंज: आयुष्मान योजना के तहत सरकार ने गरीब और असहायों काे कार्ड की सहायता से पांच लाख तक का उपचार मुफ्त देने की पहल की थी, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। अपात्र योजना का लाभ ले रहे हैं और पात्र सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
योजना की जिम्मेदारी निभा रहे स्वास्थ्य कर्मी मनमानी पर उतारू हैं। सरकार की 'आयुष्मान योजना' पर स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी हावी है। जिले में 2.97 लाख लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल सका है। कार्ड से अभी तक 5500 ने ही उपचार कराया है।
आयुष्मान योजना को 2018 में ही कर दिया गया लागू
सरकार की मंशा थी कि जो लोग आर्थिक तंगी के चलते अच्छा उपचार नहीं करा पा रहे हैं। उनकी मदद करने के उदेश्य को लेकर 2017 में आयुष्मान कार्ड योजना पर योजना तैयार की गई थी। 2018 में इस याेजना को लागू कर दिया गया। योजना से उन लोगों को जोड़ा गया जिनके नाम 2011 में हुई जनगणना में थे।जनगणना में सैकड़ों लोग अछूते
जनगणना में सैकड़ों लोग अछूते रह गए। उनके नाम इस सूची में शामिल नहीं हो पाए। अब वे लोग अपने नाम सूची में शामिल कराने के लिए डीएम और सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, मगर उनकों आश्वासन देकर कार्यालय से विदा कर दिया जाता है।
सिर्फ 75 हजार 586 परिवार के ही बनें हैं आयुष्मान कार्ड
वर्ष 2011 की जनगणना के बाद जिले से परिवारों की ली गई संख्या 1.11 लाख 962 आंकी गई थी, मगर अब तक सिर्फ 75 हजार 586 परिवार के ही आयुष्मान कार्ड बन सके हैं। 36 हजार 376 के आयुष्मान कार्ड अब तक नहीं बन सके हैं। जागरण की पड़ताल में जनगणना की कमी तो निकली है। इसके अलावा योजना का क्रियान्वयन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी भी उजागर हुई है।पात्रता की भी नहीं हुई जांच
सरकार की ओर से 2018 में शुरू की आयुष्मान योजना में 2011 की जनगणना की हिसाब से लोगों को शामिल किया गया था, मगर इस योजना में कौन पात्र शामिल है और कौन अपात्र इसका जांंच अभी तक नहीं की गई है। अपात्र तो याेजना का लाभ ले रहे हैं और अपात्र आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।कई लोग तो डीएम कार्यालय पहुंचते हैं, लेकिन वहां से भी उन्हे धुतकार कर सीएमओ कार्यालय भेज देते हैं। सीएमओ कार्यालय की तो महिमा ही अपार है। यहां तैनात कर्मचारी कार्ड न बनने या फिर जांच करने की दुहाई देकर लाभार्थी को कार्यालय से लौटा देते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।