सरकार की 'आयुष्मान योजना' पर स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी हावी, 2.97 लाख लोगों को नहीं मिल रहा योजना का लाभ
आयुष्मान योजना के तहत सरकार ने गरीब और असहायों काे कार्ड की सहायता से पांच लाख तक का उपचार मुफ्त देने की पहल की थी मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। अपात्र योजना का लाभ ले रहे हैं और पात्र सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। योजना की जिम्मेदारी निभा रहे स्वास्थ्यकर्मी मनमानी पर उतारू हैं। सरकार की आयुष्मान योजना पर स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी हावी है।
संवाद सहयोगी, कासगंज: आयुष्मान योजना के तहत सरकार ने गरीब और असहायों काे कार्ड की सहायता से पांच लाख तक का उपचार मुफ्त देने की पहल की थी, मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। अपात्र योजना का लाभ ले रहे हैं और पात्र सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
योजना की जिम्मेदारी निभा रहे स्वास्थ्य कर्मी मनमानी पर उतारू हैं। सरकार की 'आयुष्मान योजना' पर स्वास्थ्य कर्मियों की मनमानी हावी है। जिले में 2.97 लाख लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल सका है। कार्ड से अभी तक 5500 ने ही उपचार कराया है।
आयुष्मान योजना को 2018 में ही कर दिया गया लागू
सरकार की मंशा थी कि जो लोग आर्थिक तंगी के चलते अच्छा उपचार नहीं करा पा रहे हैं। उनकी मदद करने के उदेश्य को लेकर 2017 में आयुष्मान कार्ड योजना पर योजना तैयार की गई थी। 2018 में इस याेजना को लागू कर दिया गया। योजना से उन लोगों को जोड़ा गया जिनके नाम 2011 में हुई जनगणना में थे।
जनगणना में सैकड़ों लोग अछूते
जनगणना में सैकड़ों लोग अछूते रह गए। उनके नाम इस सूची में शामिल नहीं हो पाए। अब वे लोग अपने नाम सूची में शामिल कराने के लिए डीएम और सीएमओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, मगर उनकों आश्वासन देकर कार्यालय से विदा कर दिया जाता है।
सिर्फ 75 हजार 586 परिवार के ही बनें हैं आयुष्मान कार्ड
वर्ष 2011 की जनगणना के बाद जिले से परिवारों की ली गई संख्या 1.11 लाख 962 आंकी गई थी, मगर अब तक सिर्फ 75 हजार 586 परिवार के ही आयुष्मान कार्ड बन सके हैं। 36 हजार 376 के आयुष्मान कार्ड अब तक नहीं बन सके हैं। जागरण की पड़ताल में जनगणना की कमी तो निकली है। इसके अलावा योजना का क्रियान्वयन कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी भी उजागर हुई है।
पात्रता की भी नहीं हुई जांच
सरकार की ओर से 2018 में शुरू की आयुष्मान योजना में 2011 की जनगणना की हिसाब से लोगों को शामिल किया गया था, मगर इस योजना में कौन पात्र शामिल है और कौन अपात्र इसका जांंच अभी तक नहीं की गई है। अपात्र तो याेजना का लाभ ले रहे हैं और अपात्र आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं।
कई लोग तो डीएम कार्यालय पहुंचते हैं, लेकिन वहां से भी उन्हे धुतकार कर सीएमओ कार्यालय भेज देते हैं। सीएमओ कार्यालय की तो महिमा ही अपार है। यहां तैनात कर्मचारी कार्ड न बनने या फिर जांच करने की दुहाई देकर लाभार्थी को कार्यालय से लौटा देते हैं।
नाम सही कराने को काट रहे चक्कर
सरकार ने पांच लाख तक का मुफ्त उपचार देने के लिए आयुष्मान योजना शुरू की थी। इस योजना में जनगणना के हिसाब से ही लोगों काे सम्मलित किया गया। जनगणना के दौरान कई पात्रों के नाम गलत कर दिए गए और उसी नाम से आयुष्मान कार्ड बना दिया गया है। अब लोग नाम सही कराने के लिए सीएमओ कार्यालय स्थित आयुष्मान विभाग के चक्कर काट रहे हैं, मगर उनकी समस्या का कोई हल नहीं हो पा रहा है।
ये उपचार करा सकते हैं लाभार्थी
योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में कोरोना, कैंसर, गुर्दा रोग, हृदय रोग, डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया डायलिसिस, घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण, नि:संतानता, मोतियाबिंद और अन्य चिह्नित गंभीर बीमारियों का निश्शुल्क उपचार इस योजना के तहत किया जाता है। मुख्यमंत्री कोविड होने पर उपचार योजना के तहत भी पात्र लाभार्थियों का निश्शुल्क उपचार किया जाता है।
आंकड़ों की नजर में जिले की आबादी
16 लाख जिले में 2011 की जनगणना के हिसाब से कार्ड बनाने का लक्ष्य
परिवार - सदस्य
1.11 लाख - 962
4.97 लाख - 989
2018 से अब तक बनाए गए कार्ड
परिवार - सदस्य
75 हजार - 586
2 लाख - 750
जिले में आयुष्मान कार्ड से उपचार कर रहे अस्पताल - कलावती हास्पिटल, क्रिश्चन हास्पिटल
जिले में अब तक कार्ड से मरीजों ने लिया लाभ - 5571
जिले और गैर जिलों में कार्ड से मरीजों ने लिया लाभ- 14010
एक अगस्त से शुरू किए गए अभियान में लक्ष्य - 1 लाख 85 हजार 183
अब तक बन चुके कार्ड - 9100
सीएमओ कार्यालय में आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए कई बार जा चुके हैं, मगर सिर्फ आश्वासन ही मिल सका। जो पात्र हैं उन्हे ही लाभ नहीं मिल पा रहा है। -मानिकचंद्र, पुराना छर्रा अड्डा
आयुष्मान कार्ड बने तीन साल हो चुके हैं। जनगणना में नाम गलत कर दिया। अब नाम सही कराने के लिए बार-बार सीएमओ कार्यालय आना पड़ता है, मगर कोई सुनवाई नहीं होती। -कशिश, सोरों
सीएमओ डा. राजीव अग्रवाल के अनुसार, आयुष्मान योजना में जनगणना के हिसाब से लोग सम्मलित किए गए थे। अब जो लोग वंचित रहे गए हैं। उनके लिए योजना शासन स्तर से ही बनाई जाएगी। जिनके नाम गलत हो गए हैं। उनके लिए कार्ययोजना पर विचार किया जा रहा है।