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UP News: कासगंज का दवा विक्रेता कई जिलों में खपा रहा था नकली दवा, STF के जाल में ऐसे फंसा

कासगंज जिले का एक दवा विक्रेता अनुराग कौशल कई जिलों में नकली दवा की खेप सप्लाई करता था। अब उसे एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया है। वह प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की आड़ में आगरा और अलीगढ़ में नकली दवाएं बेच रहा था। अनुराग पिछले तीन सालों से हिमाचल और हरियाणा से दवा मंगाकर ऑर्डर पर सप्लाई कर रहा था।

By Jagran News Edited By: Sakshi Gupta Updated: Wed, 13 Nov 2024 09:15 PM (IST)
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एसटीएफ ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर) जागरण।
जागरण संवाददाता, आगरा। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की आड़ में आगरा और अलीगढ़ में नकली दवा बेची जा रही थी। आरोपित कासगंज के दवा विक्रेता अनुराग कौशल को एसटीएफ ने दबोच लिया। तीन साल से वह हिमाचल और हरियाणा ने दवा मंगाकर ऑर्डर पर सप्लाई कर रहा था। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) द्वारा दवा के सैम्पल की रिपोर्ट निगेटिव आने पर कारोबारी से पूछताछ में अनुराग का नाम आया था।

उसका जन औषधि केंद्र का लाइसेंस एक वर्ष पूर्व निरस्त हो चुका है। पांच अक्टूबर 2024 को दवा के थोक विक्रेता रोहित बलेचा की फर्म गणेशाय इंटरप्राइजेज के यहां से लिए गए दवा के नमूने फेल हुए थे। पूछताछ में रोहित बलेचा ने बताया कि दवा कासगंज के अनुराग कौशल से ली गई थी। मंगलवार रात एसटीएफ अनुराग कौशल को गिरफ्तार कर लिया।

आगरा में दवाओं को बेचता था

पूछताछ में अनुराग कौशल ने बताया कि वह दवा शिमला, हिमाचल प्रदेश के दीपक अमौली, करनाल, हरियाणा के रोहित सचदेवा और सोनीपत के संदीप सिंह से लेकर आता था। जिसे आगरा में रोहित बलेचा और अलीगढ़ के पीयूष फपाला को देता था।

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2023 में आरोपी का रद्द हुआ था लाइसेंस

अनुराग कौशल ने बताया कि वह 2018 से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र चला रहा था। 2023 में उसका लाइसेंस निरस्त हो गया था। जन औषधि केंद्र की आड़ में तीन वर्ष से नकली दवाओं को मंगा कर उन्हें आगरा और अलीगढ़ में खपा रहा था। एसटीएफ के इंस्पेक्टर हुकुम सिंह ने बताया आरोपित से 1050 पत्ते ग्रो-250 (एमोक्सीलिन कैप्सूल आइपी 250 एमजी) के बरामद किए हैं। बरामद दवा का बैच नंबर वही है, जिसका नमूना फेल हुआ था। आरोपित को जेल भेज दिया है।

रोडवेज बसों से भेजता था नकली दवाइयां

अनुराग हिमाचल प्रदेश और हरियाणा से माल खुद लेकर नहीं आता नहीं था। वहां से दवा को रोडवेज बसों से कासगंज, आगरा और अलीगढ़ मंगाता था। इसके लिए बस चालक-परिचालक को दो हजार रुपये तक देता था। इससे माल मंगाने और भेजने में आसानी रहती थी।

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