Kasganj News: जिला जेल में कैदी की हृदयाघात से मौत, हत्या के मामले में काट रहा था आजीवन कारावास
Kasganj News In Hindi जिला जेल में सीने में अचानक दर्द उठने से कैदी की हालत बिगड़ गई। जेल प्रशासन का कहना है कि ताहिर उर्फ बादशाह को हत्या के मामले में छह नवंबर 2014 को गंजडुंडवारा पुलिस ने जेल में भेजा था। उसकी जमानत नहीं हो सकी और 11 मई 2022 को उसे आजावनी कारावास की सजा हो गई। इस तरह वह नौ साल से जेल में ही था।
By krishna sharmaEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sat, 16 Sep 2023 03:47 PM (IST)
कासगंज, जागरण संवाददाता। कासगंज जिला जेल में सीने में अचानक दर्द उठने से कैदी की हालत बिगड़ गई। जेल प्रशासन ने पहले उसे जेल अस्पताल में दिखाया और फिर वहां से रेफर कराकर जिला अस्पताल लाया गया। जिला अस्पताल में उसे चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। वह हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और नौ साल से जेल में था।
हत्या के केस में जेल में था कैदी
गंजडुंडवारा के गांव पचपोखरा निवासी मुहम्मद कमर का 34 वर्षीय पुत्र ताहिर उर्फ बादशाह हत्या के एक मामले में जेल में आजीवन कारावास भुगत रहा था। शुक्रवार की रात वह अन्य कैदियों के साथ बैरक मे सोया था। शुक्रवार को सुबह उठा तो उसके सीने में तेज दर्द उठा।
असहनीय पीड़ा होने पर वह छटपटाने लगे। कैदियों की सूचना पर बंदी रक्षक वहां पहुंचे और उसे उठाकर जेल चिकित्सालय में ले गए। वहां हालत गंभीर देखकर उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जेल प्रशासन ने उसे जिला अस्पताल भिजवाया। वहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। मृत्यु का कारण जानने के लिए शव का पोस्टमर्टम कराया गया है।
पचपोखरा में हुई थी बसीम की हत्या
गंजडुंडवारा के गांव पचपोखरा में वर्ष 2014 में बसीम पुत्र ताज मुहम्मद की हत्या हुई थी। गांव में जमीन के विवाद को लेकर बसीम पर दूसरे पक्ष के लोगों ने फायरिंग की थी। इसमें लाइसेंसी बंदूक का भी प्रयोग किया गया था। घटना की रिपोर्ट ताहिर उर्फ बादशाद, उसके पिता मुहम्मद कमर, भाई जफर आदि के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी। इस मामले में न्यायालय ने 11 मई 2022 को आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। ताहिर उर्फ बादशाह के पिता और भाई भी जेल में हैं।
कैदी ताहिर उर्फ बादशाह के सीने में दर्द उठा था। उसे पहले जेल अस्पताल और फिर जिला अस्पताल उपचार के लिए भेजा गया। जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। विजय विक्रम सिंह, जेल अधीक्षक
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