जेल की चहारदीवारी से केले का उत्पाद भरेगा नई उड़ान
उत्पादकता के मामले में भुसावल को टक्कर दे रहा जिले का केला अब जेल की चहारदीवारी से नए उत्पाद के साथ उड़ान भरने की तैयारी में है। इससे जनपद में केले की खेती को और भी बढ़ावा मिलेगा। जी हां खुद को आत्मनिर्भर बनाने और सलाखों से बाहर आने के बाद रोजगार को भटकना न पड़े इसके लिए महिला व पुरुष बंदी केले से चिप्स व अचार बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस ट्रेनिग में बंदियों की मदद उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग कर रहा है।
लखन केसरवानी, टेवां : उत्पादकता के मामले में भुसावल को टक्कर दे रहा जिले का केला अब जेल की चहारदीवारी से नए उत्पाद के साथ उड़ान भरने की तैयारी में है। इससे जनपद में केले की खेती को और भी बढ़ावा मिलेगा। जी हां, खुद को आत्मनिर्भर बनाने और सलाखों से बाहर आने के बाद रोजगार को भटकना न पड़े, इसके लिए महिला व पुरुष बंदी केले से चिप्स व अचार बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस ट्रेनिग में बंदियों की मदद उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग कर रहा है।
जनपद में करीब सात हजार हेक्टेयर में केले की खेती की जाती है। इसकी खेती करने वाला किसान काफी खुशहाल भी है। यही नहीं, जनपद की माटी में ऐसे कण पाए जाते हैं जो केले का स्वाद व आकार भुसावल के केले से कमजोर नहीं रहता। नतीजतन कौशांबी जिले का केला अन्य कई प्रांतों में मशहूर है। केले की उत्पादकता में और चार चांद लगाने के लिए अब जिला कारागार के बंदियों ने भी अपने कदम बढ़ाए हैं। बीते पांच दिनों से उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के फल संरक्षण जिला प्रभारी अमृत लाल, अनुज सिंह व पंकज यादव कारागार में 18 महिला व 32 पुरुष बंदियों को कच्चे केले से चिप्स व अचार बनाने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। किस तरह कच्चे केले को छीलकर चिप्स बनाने के लिए उसे काटा जाए और गर्म तेल में फ्राई करने के बाद मसाला आदि के प्रयोग के बारे में बताया जा रहा है। यही नहीं, अचार बनाने की भी विधि बंदियों को सिखाई जा रही है। प्रशिक्षकों का कहना है कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत ऐसे रोजगार शुरू करने के लिए सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्राप्त कराई जाती है।बहरहाल प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जेल से छूटने वाले बंदी बाहर आकर अपना रोजगार स्वयं शुरू कर सकते हैं। प्रशिक्षकों ने बताया कि यह प्रशिक्षण बीते पांच दिनों से चल रहा है, जो 15 दिनों का है। कारागार में 50 महिला व पुरुष बंदी केले से चिप्स व अचार बनाना सीख रहे हैं। इस तरह की ट्रेनिग से वह जेल से छूटने के बाद आत्मनिर्भर बनेंगे और अपराध की ओर कदम रखने के बजाए रोजगार से जुड़कर जनपद के केला उत्पाद को और बढ़ावा दे सकते हैं।