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नवजात की सेहत बिगाड़ सकती है कूलर-एसी की हवा, निमोनिया, डायरिया समेत आंखों में संक्रमण की हो रही बीमारी

दोआबा का स्वास्थ्य महकमा शिशु मृत्यु दर कम करने की हर संभव कवायद कर रहा है। भीषण गर्मी में शिशुओं को सुरक्षित रखने के लिए अभिभावकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। बाल रोग विशेषज्ञ करवट बदलते मौसम में कूलर और एयर कंडीशनर की हवा को बच्चों के लिए खतरनाक बता रहे हैं। दोआबा में पिछले चार दिनों से बूंदाबांदी के कारण गर्मी थोड़ी शांत है।

By Edited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 30 Jun 2023 06:45 PM (IST)
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नवजात की सेहत बिगाड़ सकती है कूलर-एसी की हवा
जागरण संवाददाता, कौशांबी: दोआबा का स्वास्थ्य महकमा शिशु मृत्यु दर कम करने की हर संभव कवायद कर रहा है। भीषण गर्मी में शिशुओं को सुरक्षित रखने के लिए अभिभावकों को सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। बाल रोग विशेषज्ञ करवट बदलते मौसम में कूलर और एयर कंडीशनर की हवा को बच्चों के लिए खतरनाक बता रहे हैं।

दोआबा में पिछले चार दिनों से बूंदाबांदी के कारण गर्मी थोड़ी शांत है। इसके पहले आसमान से आग बरस रही थी। पारा 46 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर रहता था। हालांकि, अभी यह कहना ठीक नहीं होगा कि गर्मी खत्म हो गई है। सूरज की किरणें निकलते ही तपिश बढ़ जाती है। माताएं गर्मी से शिशुओं को बचाने के लिए उन्हें लगातार कूलर या एयर कंडीशनर में रखती हैं जबकि यह नुकसानदेह साबित हो रहा है। गर्मी-सर्दी से बच्चों के सीने में कफ जमने की समस्या हो रही है।

निमोनिया, डायरिया समेत आंखों के संक्रमण से ग्रसित 70 बच्चों का दस दिनों में हो चुका है इलाज

बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात की अगर यह पहली गर्मी है तो उसकी देखभाल में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। जरा सी लापरवाही करने पर बच्चे को घमौरियों और अन्य त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है। जिला अस्पताल के बाल रोग विभाग में रोजाना निमोनिया, डायरिया, पीलिया व आंखों में संक्रमण की समस्या से ग्रसित बच्चे पहुंच रहे हैं। संयुक्त जिला चिकित्सालय में ऐसे लगभग 70 बच्चों का इलाज बीते 10 दिन के भीतर हो चुका है।

जानकारों का कहना है कि बच्चों को लगातार कूलर अथवा एसी में नहीं रखना चाहिए। कमरे का तापमान सामान्य होते ही पंखे की हवा खिलानी चाहिए। नर्म प्राकृतिक हवा सेहत के लिहाज से अच्छी है।

नवजात की मां थोड़ी-थोड़ी देर में पिलाती रहें दूध

गर्मी शरीर में डिहाइड्रेशन पैदा कर देती है। नवजात शिशु सिर्फ मां का दूध पीते हैं और उन्हें इससे पोषण व हाइड्रेशन दोनों मिलता है। शिशु को हाइड्रेट रखने के लिए उसे थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाना चाहिए। पसीना आने से बच्चे के शरीर से फ्लूड्स निकल जाते हैं इसलिए, स्तनपान से शिशु को हाइड्रेट रखें। शिशु को छह माह तक मां का ही दूध पिलाएं। छह माह से ऊपर के बच्चों को तरल पदार्थ खिचड़ी, दाल, दलिया, मौसमी फल, दूध से बने आहार दे सकते हैं।

नवजात शिशु को छूने से पहले धुले हाथ

बाल रोग विशेषज्ञ डा. विश्व प्रकाश का कहना है कि गर्मी में शिशुओं को बुखार, पीलिया, डायरिया और आंखों में संक्रमण की आशंका रहती है। जिला अस्पताल में इस तरह के मरीज आ भी रहे हैं। प्रयास रहे कि शिशु को कम से कम लोग स्पर्श करें। उसे छूने से पहले हाथ धुल लें। रोज नहाने के बाद कपड़े बदलें। लगातार कूलर या फिर एसी में रखना ठीक नहीं है।

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