दोआबा की वीरांगना: 'आजाद' तक पहुंचाई थी ऐतिहासिक पिस्तौल; भगत सिंह-बटुकेश्वर दत्त का अपने खून से किया था तिलक
सिराथू तहसील क्षेत्र के शहजादपुर गांव में जन्मीं दुर्गा भाभी अंग्रेजों के लिए किसी काल से कम नहीं थीं। फिरंगी उनके नाम से थर-थर कांपते थे। वह क्रांतिकारी साथियों के लिए बम-बारूद का बंदोबस्त किया करती थीं। इतिहासकारों के मुताबिक चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से लड़ते वक्त जिस पिस्तौल से खुद को गोली मारी थी वह पिस्तौल दुर्गा भाभी ने ही लाकर उन्हें दी थी।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Tue, 15 Aug 2023 02:34 PM (IST)
हिमांशु भट्ट, कौशांबी: सिराथू तहसील क्षेत्र के शहजादपुर गांव में जन्मीं दुर्गा भाभी अंग्रेजों के लिए किसी काल से कम नहीं थीं। फिरंगी उनके नाम से थर-थर कांपते थे। वह क्रांतिकारी साथियों के लिए बम-बारूद का बंदोबस्त किया करती थीं।
आजादी की लड़ाई का अहम किरदार रहीं भाभी करीब दो दशक पहले शहीद हो गईं। अब मंगलवार को जब पूरा देश आजादी का जश्र मनाएगा तो दुर्गा भाभी का जिक्र होना, उन्हें नमन करना लाजिमी है।
दोआबा की इस महान वीरांगना का जन्म सात अक्टूबर 1902 को शहजादपुर गांव में पंडित बांके बिहारी के यहां हुआ था। उनके पिता इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर थे और बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन जिला में थानेदार। दादा पंडित. शिवशंकर भट्ट शहजादपुर के जानेमाने जमींदार थे।
10 वर्ष की उम्र में हो गया था विवाह
दादा ने बचपन से ही दुर्गा भाभी की सभी ख्वाहिशें पूरी कीं। केवल दस बरस की उम्र में ही लाहौर के भगवती चरण बोहरा से उनका विवाह कर दिया गया। पति भगवती चरण भी क्रांतिकारी थे। वह क्रांतिकारियों के संगठन के प्रचार सचिव थे।
28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर साथियों के साथ बम का परीक्षण करते वक्त भगवती चरण शहीद हो गए। पति की शहादत के बाद भी दुर्गा भाभी हिम्मत नहीं हारीं। नौ अक्टूबर 1930 को दुर्गा भाभी ने गवर्नर हैली पर गोली चला दी थी। उनके हमले में गवर्नर हैली तो बच गया, लेकिन सैनिक अधिकारी टेलर घायल हो गया था।
मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी दुर्गा भाभी ने गोली मारी थी। दुर्गा भाभी का काम साथी क्रांतिकारियों के लिए राजस्थान से पिस्तौल, बम और बारूद लाना व ले जाना था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।