फिर फैला कोविड-19 जैसा संक्रमण तो चुकानी पड़ेगी सांसों की कीमत, ऑक्सीजन प्लांट संचालन के लिए नहीं है जेनरेटर
चीन में फैल रहे संक्रमण को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव रंजन कुमार की ओर से शनिवार को जारी किए गए अलर्ट के बाद दैनिक जागरण ने जिले के अस्पतालों में लगे आक्सीजन प्लांट की हकीकत खंगाली तो चौंकाने वाली स्थिति देखने को मिली। सिराथू में अस्पताल की विद्युत व्यवस्था के लिए 50 केवीए का जेनरेटर लगा है। इससे चाहकर भी आक्सीजन प्लांट नहीं चल पाता।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 05 Dec 2023 02:34 PM (IST)
हिमांशु भट्ट, कौशांबी। चीन में बच्चों के बीच फैल रहा श्वांस संबंधी संक्रमण ईश्वर करे दोआबा तक नहीं पहुंचे। वैश्विक महामारी यानी कोरोना संक्रमण जैसे हालात बने तो यहां एक दफे फिर सांसों की कीमत चुकानी पड़ेगी। सीएचसी और पीएचसी में लगे आक्सीजन प्लांट दिखावा साबित होंगे।
कौशांबी जिला अस्पताल में लगे 500 एलपीएम के प्लांट का भी कमोबेश यही हाल होगा। क्योंकि, इन प्लांट को चलाने के लिए जेनरेटर की व्यवस्था ही नहीं है। हालांकि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव की ओर से जारी किए गए अलर्ट को देखते हुए अधिकारियों ने जेनरेटर की डिमांड महानिदेशक को भेज दी है।
कोरोना काल में हाहाकार मचने पर स्थापित किए गए थे प्लांट
कोरोना काल में आक्सीजन के लिए हाहाकार मच गया था। आक्सीजन नहीं मिलने पर मरीजों को जान तक गंवानी पड़ी थी। सांसों को टूटने से बचाने के लिए ब्लैक में आक्सीजन सिलिंडर खरीदने पड़े थे।हालातों से सबक लेते हुए संयुक्त जिला चिकित्सालय में एक-एक हजार एलपीएम (लीटर पर मिनट) के दो और 500 एलपीएम का एक आक्सीजन प्लांट लगवाया गया था। सिराथू-कड़ा सीएचसी के साथ मंझनपुर पीएचसी में भी पांच-पांच सौ एलपीएम के प्लांट की स्थापना कराई गई थी।
चीन में फैल रहे संक्रमण को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सचिव रंजन कुमार की ओर से शनिवार को जारी किए गए अलर्ट के बाद सोमवार को दैनिक जागरण ने जिले के अस्पतालों में लगे आक्सीजन प्लांट की हकीकत खंगाली तो चौंकाने वाली स्थिति देखने को मिली।सिराथू में अस्पताल की विद्युत व्यवस्था के लिए 50 केवीए का जेनरेटर लगा है। इससे चाहकर भी आक्सीजन प्लांट नहीं चल पाता। यहां 63 केवीए का विद्युत ट्रांसफार्मर है। इसी से किसी तरह प्लांट चलाया जाता है। गर्मी या अन्य दिनों में भार बढ़ता है तो प्लांट की सप्लाई कट कर जाती है।
बार-बार की ट्रिपिंग से प्लांट की मशीनें फुंकने का भी खतरा रहता है। वैसे सामान्य तौर पर भी बिजली से प्लांट चलाने पर वोल्टेज की समस्या मुंह बाकर खड़ी हो जाती है।कमोबेश यही हाल मंझनपुर पीएचसी व कड़ा सीएचसी का भी है। कुल मिलाकर बिजली से प्लांट अनवरत नहीं चलाए जा सकते हैं। क्योंकि, कभी वोल्टेज, कभी फाल्ट आदि की समस्या बनी ही रहती है। प्लांट संचालन के लिए अलग से पर्याप्त क्षमता के जेनरेटर कहीं पर भी नहीं हैं। अब साफ है कि संक्रमण फैला तो इन हालातों में स्थिति भयावह होगी।
बजट रिलीज करते समय जेनरेटर का भी ध्यान कर लिया गया होता तो शायद यह दिक्कत नहीं होती। हालांकि, सीएमएस डा. एसके शुक्ला का दावा है कि आवश्यक्ता पड़ने पर बड़े दोनों प्लांट और अस्पताल के जेनरेटर से काम चला लिया जाएगा। यह भी कहा है कि अलग जेनरेटर मिल जाए तो अधिक सहूलियत रहेगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सांसद निधि से नहीं लगा जेनरेटर
जिला अस्पताल में एक-एक हजार एलपीएम के आक्सीजन प्लांट पीएम केयर्स फंड से लगवाए गए हैं। इनके लिए अलग से जेनरेटर है। 500 एलपीएम का प्लांट सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से लगा है। इसकी लागत 66.61 लाख रुपया है।संयुक्त जिला चिकित्सालय में लगा ऑक्सीजन प्लांट। जागरणबजट रिलीज करते समय जेनरेटर का भी ध्यान कर लिया गया होता तो शायद यह दिक्कत नहीं होती। हालांकि, सीएमएस डा. एसके शुक्ला का दावा है कि आवश्यक्ता पड़ने पर बड़े दोनों प्लांट और अस्पताल के जेनरेटर से काम चला लिया जाएगा। यह भी कहा है कि अलग जेनरेटर मिल जाए तो अधिक सहूलियत रहेगी।
जिले में नहीं मिलते हैं सिलिंडर
जिले में कहीं पर भी आक्सीजन सिलिंडर नहीं मिलते हैं। प्रयागराज अथवा अन्य दूसरे शहर से सिलिंडर लाया जाता है तो ब्लैक में ही मिलता है। यहां डाक्टर सिलिंडर की व्यवस्था मरीज के लिए करते हैं तो वह भी मोटी रकम वसूल करते हैं। आक्सीजन प्लांट संचालित करने के लिए जेनरेटर की व्यवस्था हो जाए तो पर्याप्त आक्सीजन की उपलब्धता रहेगी। इसके बाद सिलिंडर की शायद जरुरत ही नहीं पड़ेगी।क्षमता का आंकलन करने आएंगे इंजीनियर
डिप्टी सीएमओ डा. केडी सिंह ने बताया कि आक्सीजन प्लांट संचालित करने के लिए पर्याप्त क्षमता के जेनरेटर की डिमांड भेजी गई है। जल्द ही इंजीनियर आएंगे। जांच-पड़ताल के बाद वही निर्धारित करेंगे कि कहां कितनी क्षमता के जेनरेटर की जरुरत है। इसके बाद ही जेनरेटर मंगवाया जाएगा। ताकि, बाद में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो।बात सही है कि अस्पतालों में लगे 500 एलपीएम के आक्सीजन प्लांटों का संचालन करने के लिए कहीं भी अलग से जेनरेटर नहीं है। पर्याप्त क्षमता के जेनरेटर की डिमांड महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा को भेजी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी। -डा. केडी सिंह, डिप्टी सीएमओ