कौशांबी: सामूहिक दुष्कर्म में अफसरों को गुमराह कर समझौता कराना पड़ा भारी, चार सिपाही लाइन हाजिर
उत्तर प्रदेश में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां कौशांबी में सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस अधिकारियों ने पीड़िता और आरोपियों के बीच जबरन समझौता कराने की कोशिश की। इस मामले में एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने शहजादपुर पुलिस चौकी के चार सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया है। पूरे मामले की जांच सीओ चायल मनोज रघुवंशी को सौंपी गई है।
जागरण संवाददाता, कौशांबी। कोखराज से महिला को अगवा कर सैनी में सामूहिक दुष्कर्म के मामले में उच्चाधिकारियों को गुमराह कर जबरन समझौता कराने के मामले में एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने शहजादपुर पुलिस चौकी में तैनात चार सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया।
पूरे प्रकरण की जांच सीओ चायल मनोज रघुवंशी को सौंपी गई है। एसपी की इस कार्रवाई से महकमे में खलबली मच गई है। कोखराज क्षेत्र की एक महिला को 20 सितंबर की शाम चार युवक अगवा कर ले गए। युवकों ने के महिला को सैनी क्षेत्र में सूनसान जगह पर ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया।
प्रकरण में महिला ने मुकदमा दर्ज कराया। आरोप है कि शहजादपुर पुलिस चौकी में तैनात आरक्षी नवनीत कुमार, आशुतोष सिंह, अत्रिय कुमार व विकास कुमार ने प्रकरण में लीपापोती शुरू कर दी। इन सिपाहियों ने अपने उच्चाधिकारियों को गुमराह किया। साथ ही पीड़ित महिला और आरोपितों के बीच जबरन समझौता कराने का प्रयास किया।
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इसकी जानकारी एसपी बृजेश कुमार श्रीवास्तव को हुई तो उन्होंने प्रकरण की गोपनीय जांच कराई। जांच में आरेापित चारों सिपाहियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। ऐसे में गुरुवार को इन सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया गया।
एसपी ने बताया कि मामले में सिपाहियों द्वारा लापरवाही बरती गई थी। प्रकरण की जांच जांच सीओ चायल मनोज रघुवंशी को जांच सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने सुनाई सजा- जागरण
दुष्कर्म के दोषी को 10 व मददगार को पांच साल की कैद
कौशांबी कोतवाली क्षेत्र में नौ साल पहले हुए दुराचार के मामले में गुरुवार को विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अशोक कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने दुष्कर्मी को 10 व मददगार को पांच साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोषियों पर 17 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक कौशांबी कोतवाली क्षेत्र की एक किशोरी को नौ साल पहले एक युवक ने दोस्त की मदद से अगवा कर लिया था। आरोपित युवक ने धर्म परिवर्तन कराकर किशोरी से शादी की और फिर उसके साथ दुष्कर्म करता रहा।
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पीड़ित पिता की तहरीर पर एक नवंबर 2015 को कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर कर किशोरी को बरामद किया। जांच पड़ताल करते हुए पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। मामला विशेष न्यायाधीश पाक्सो अशोक कुमार श्रीवास्तव की अदालत में चला।
शासकीय अधिवक्ता शशांक खरे ने कुल आठ गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। गवाहों के बयान सुनने के साथ ही पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने दुराचार के आरोपित को 10 व मददगार को पांच साल कैद की सजा सुनाई।