विवेक के ‘जुगाड़’ तकनीक ने आधा कर दिया पेट्रोल का खर्च, सीएम योगी कर चुके हैं सम्मानित
कौशांबी के पिपरी पहाड़पुर तकनीशियन विवेक पटेल ने बताया कि गाड़ियों का माइलेज बढ़ाने की तकनीक पर दो दशक से काम कर रहा हूं। सफलता अब जाकर मिली है। अब जो कार्बरेटर जेट तैयार किया है इससे माइलेज दोगुना हो गया है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 08 Jun 2021 02:52 PM (IST)
प्रमोद यादव, प्रयागराज। संगमनगरी के धूमनगंज निवासी अंकुश कुमार को पेट्रोल की बढ़ी कीमतें परेशान नहीं करतीं। दरअसल, उनकी स्कूटी छह महीने पहले तक एक लीटर पेट्रोल में औसतन 40 से 45 किलोमीटर चलती थी, मगर अब 75 से 80 किलोमीटर चल रही है। कुछ ऐसी ही बात चौफटका निवासी संतोष कुमार के साथ है। उनकी बाइक अब एक लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर तक चलती है, जबकि कुछ महीने पहले तक 50 किलोमीटर ही चलती थी। यह संभव हुआ है कौशांबी निवासी विवेक पटेल की जुगाड़ तकनीक से इजाद कार्बरेटर जेट की बदौलत। फ्यूल इंजेक्शन तकनीक पर आधारित जेट को लगाने के बाद दुपहिया का एवरेज दोगुना हो गया। ऐसे में पेट्रोल का खर्च आधा रह गया है। यह बात दीगर है कि इस तकनीक की प्रमाणिकता को आटोमोबाइल सेक्टर के विशेषज्ञों की मुहर का इंतजार है। इसके पेंटेंट के लिए आवेदन प्रक्रियाधीन है।
फ्यूल इंजेक्शन तकनीक में नए वैरियंट (कार्बरेटर जेट) को ईजाद करने वाले कौशांबी के गांव पिपरी पहाड़पुर निवासी 40 वर्षीय विवेक पटेल वैसे तो 12वीं ही उत्तीर्ण हैं, लेकिन उनकी तकनीक कारगर हो चुकी है। दुपहिया वाहन का माइलेज बढ़ाने का जतन विवेक करीब दो दशक कर से रहे थे, लेकिन कामयाबी हाल के वर्षो में मिली है। दिलचस्प बात यह भी है कि परिवार के भरण पोषण के लिए विवेक घरों में शटरिंग का काम करते हैं, लेकिन इसके बीच वह जुगाड़ तकनीक पर काम करते रहते हैं। इसी दौरान 2016 में उनको माइलेज बढ़ाने के मामले में शुरुआती सफलता मिली थी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से इसके लिए उन्हें 25 हजार रुपये का नवोन्मेषक पुरस्कार भी दिया गया था। यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 अक्टूबर, 2018 को दिया था। पुरस्कार मिलने से उनका हौसला बढ़ा। वह करीब साल भर में माइलेज बढ़ाने वाले अपने यंत्र कार्बरेटर जेट को पांच सौ दुपहिया वाहनों में फिट कर चुके हैं। दुपहिया वाहन चालकों का कहना भी है कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। हालांकि, कुछ को आशंका है कि इससे इंजन पर असर पड़ सकता है।
यह है तकनीक: आटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े लोग जानते हैं कि फ्यूल इंजेक्शन तकनीक से ही दुपहिया के इंजन में पेट्रोल जाता है। उसके वाष्पीकरण से इंजन चलता है। विवेक कहते हैं कि जो कार्बरेटर जेट इनमें लगे होते हैं, उसके सबसे निचले हिस्से में तकरीबन दो मिलीमीटर व्यास वाला सुराख होता है। उससे आधा पेट्रोल बर्बाद हो जाता है। उन्होंने इसी बर्बादी को रोकने को कार्बरेटर जेट में बदलाव किया है। वह निचले हिस्से के सुराख को बंद कर कुछ ऊपर आधे से एक मिलीमीटर व्यास के दो छोटे सुराख कर देते हैं। इसके बाद पूरे पेट्रोल का इस्तेमाल होने लगता है।
वाराणसी के आइआइटी-बीएचयू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर आटोमोबाइल विशेषज्ञ डा.रश्मि रेखा साहू ने बताया कि विवेक ने कार्बरेटर सिस्टम को फ्यूल इंजेक्शन में बदलने की जो तकनीक विकसित की है, वह निकट भविष्य में काफी उपयोगी होने वाली है। इस तकनीक से फ्यूल के छोटे-छोटे ड्रापलेट बन जाते हैं और इंजन के अंदर तेजी से फैल जाते हैं। इससे ईंधन दक्षता में सुधार होने के साथ ही गाड़ी का माइलेज भी बढ़ जाता है। इस तकनीक से गाड़ी को स्टार्ट करने में कूलिंग और हीटिंग की समस्या आड़े नहीं आएगी। वायुमंडल में कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा। मेरा मानना है कि आटोमोबाइल इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में यह तकनीक भविष्य में बेहतर मुकाम पाएगी।
कौशांबी के पिपरी पहाड़पुर तकनीशियन विवेक पटेल ने बताया कि गाड़ियों का माइलेज बढ़ाने की तकनीक पर दो दशक से काम कर रहा हूं। सफलता अब जाकर मिली है। अब जो कार्बरेटर जेट तैयार किया है, इससे माइलेज दोगुना हो गया है। साथ ही पेट्रोल की बर्बादी भी रुकती है। पेटेंट के लिए नई दिल्ली में आवेदन कर दिया है।
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