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कुशीनगर में अवैध अनाथालय से मुक्त कराए गए 25 बच्चे, संचालिका पर केस

कुशीनगर के परसौनी गांव में चल रहे अनाथालय का बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य ने पिछले दिनों निरीक्षण किया था इसमें खामियां मिली थीं इसके बाद डीएम के आदेश पर हुई थी जांच रिपोर्ट के आधार पर हुई कार्रवाई।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 22 Jul 2021 12:21 AM (IST)
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कुशीनगर में अवैध अनाथालय से मुक्त कराए गए 25 बच्चे, संचालिका पर केस

कुशीनगर : नगर से सटे परसौनी गांव में अवैध रूप से संचालित अनाथालय से बुधवार को 25 बच्चे मुक्त कराए गए। इस दौरान संचालिका शीरीन बसुमता व उनके स्वजन ने विरोध किया तो बच्चे भी प्रतिरोध खड़ा कर रोने व चीखने-चिल्लाने लगे। यह देख अफसरों ने रेस्क्यू की कार्रवाई रोक दी। तत्काल पुलिस बल बुलाई गई। महिला कांस्टेबल व अधिकारियों ने काफी मशक्कत कर 16 बालिकाओं तथा 9 बालकों सहित सभी 25 बच्चों को मुक्त कराया। इनको बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। समिति ने मेडिकल परीक्षण का निर्देश दिया। बाल संरक्षण अधिकारी विनय कुमार की तहरीर पर कोतवाली पडरौना में संचालिका के विरुद्ध धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ।

बीते 15 जुलाई को जनपद दौरे पर आईं उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी ने अनाथालय का औचक निरीक्षण किया था। उन्होंने बिना पंजीकरण अनाथालय संचालित करने, अनाथालय में रह रहे सभी 25 बच्चों का मतांतरण कराने तथा बिना जगह व सुविधाओं के उन्हें रखने सहित कई गंभीर आरोप लगाते हुए प्रमुख सचिव तथा डीएम को पत्र भेज कर कार्रवाई को कहा था। इसके बाद डीएम ने एसडीएस को जांच करने का निर्देश दिया। जांच में मामले की पुष्टि होने के बाद एसडीएम सदर कोमल यादव के नेतृत्व में पुलिस व प्रशासनिक अमला दोपहर में अनाथालाय पहुंचा। एसडीएम ने संचालिका शीरीन बसुमता से वार्ता कर बच्चों को बाल संरक्षण अधिकारी की सुपुर्दगी में दिए जाने को कहा। इस पर उन्होंने इन्कार कर दिया। अधिकारियों की टीम ने जब बच्चों को वहां से निकालने की कोशिश की तो संचालिका व बच्चे धक्का-मुक्की करने लगे। इससे अफरा-तफरी मच गई। अवैध रूप से बच्चों को रखने पर एसपी सचिद्र पटेल ने कहा कि दर्ज मुकदमे की विवेचना की जा रही है।

20 वर्षों से संचालित हो रहा था अनाथालय

अनाथालय लगभग 20 वर्ष पुराना है। वर्ष 2001 में शीरीन बसुमता ने अनाथालय का पंजीकरण कराया था। बच्चों के हित में 2015 में किशोर न्याय बोर्ड की तरफ से लागू किए गए नए नियमों के तहत संचालिका द्वारा अनाथालय का नवीनीकरण नहीं कराया गया। यहां अनाथ व बेसहारा बच्चों का पालन-पोषण किया जाता था।

जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने कहा कि जांच में अनाथालय अवैध पाया गया। भवन व अन्य जरूरी संसाधनों की घोर कमी मिली। अनाथालय से जुड़ा कोई कागजात नहीं पाया गया। इस आधार पर वहां रह रहे सभी 25 बच्चों को मुक्त कराकर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। बच्चों के हित में समिति जहां उन्हें रखने का निर्देश देगी, वहां बच्चों को सुरक्षित पहुंचाया जाएगा।

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