जीवन के सारे उपक्रम संस्कृत भाषा में निहित: प्रो. रजनीश
शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति को अच्छा मनुष्य बनाना है.शिक्षते उपादीयते विद्यामया सा शिक्षा। अर्थात जिसके द्वारा ज्ञान उपादान किया जाये वह शिक्षा है। ज्ञान हमें संतुष्टि स्वाभिमान व गौरव देता है। परंतु शिक्षा को लेकर समाज व सत्ता का ध्यान भटका है। जीवन के सारे उपक्रम संस्कृत भाषा में निहित हैं।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 01 Dec 2019 11:38 PM (IST)
कुशीनगर : शिक्षा का मूल उद्देश्य व्यक्ति को अच्छा मनुष्य बनाना है.शिक्षते उपादीयते विद्यामया सा शिक्षा। अर्थात जिसके द्वारा ज्ञान उपादान किया जाये वह शिक्षा है। ज्ञान हमें संतुष्टि, स्वाभिमान व गौरव देता है। परंतु शिक्षा को लेकर समाज व सत्ता का ध्यान भटका है। जीवन के सारे उपक्रम संस्कृत भाषा में निहित हैं।
यह बातें महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कही। वे रविवार को नगर स्थित श्रीनाथ संस्कृत महाविद्यालय के 95 वां स्थापना दिवस समारोह के प्रथम सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। मुख्य वक्ता प्रो. मुरली मनोहर पाठक अध्यक्ष संस्कृत विभाग दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने संस्कृत व संस्कृति को एक-दूसरे का पूरक बताया। कहा कि पाश्चात्य देश हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं। वहीं हम अपनी संस्कृति से दूर भाग रहे हैं। यह चिता का विषय है। उन्होंने महाविद्यालय द्वारा संस्कृत विद्या के प्रचार-प्रसार पर प्रसन्नता व्यक्त की। इसके पूर्व मुख्य अतिथि ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर सत्र का शुभारंभ किया। पूर्व प्राचार्य पो. चंद्रेश्वर पांडेय ने संस्कृत में स्वागत भाषण दिया। प्रबंधक अग्निवेश मणि, मंत्री गंगेश्वर पांडेय व अध्यक्ष जयप्रकाश पांडेय ने अतिथियों को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह आदि देकर सम्मानित किया। प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष न्याय विभाग संपूर्णानन्द संस्कृत महाविद्यालय वाराणसी व प्रो. दिप्ति त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली को प्रथम सत्र में सम्मानित किया गया। समारोह को विधायक पवन केडिया, विधान परिषद सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी, जगदीश पांडेय, प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, प्रो. दिप्ति त्रिपाठी ने संबोधित किया। कवि त्रिलोकी त्रिपाठी चंचरीक की पुस्तक झांपी व महाविद्यालय की शोध पत्रिका ज्योति का विमोचन किया गया। अध्यक्षता पूर्व निदेशक संस्कृत एकेडमी द्वारका गुजरात प्रो. जयप्रकाश नारायण द्विवेदी ने की, संचालन प्रो. प्रभाकर मिश्र ने किया। प्रो. हरेराम त्रिपाठी, प्रो. रमेश कुमार द्विवेदी, प्रो. अनन्त मिश्र, डा. गौरव त्रिपाठी, प्राचार्य राजेश चतुर्वेदी, नपा अध्यक्ष मोहन वर्मा, दिलीप जायसवाल, उदयभान कुशवाहा, नन्दा पांडेय, संजय पांडेय, मोहन पांडेय, कालिका दूबे, विश्वास मणि, प्रभुनाथ पांडेय, अमरनाथ यादव आदि मौजूद रहे।
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