मैत्रेय परियोजना की भूमि पर बनेगा इंटीग्रेटेड बुद्धिस्ट सर्किट
शासन ने कुशीनगर की मैत्रेय परियोजना की 195.08 एकड़ भूमि पर अब इंटीग्रेटेड बुद्धिस्ट सर्किट बनाने का निर्णय लिया है। शासन ने मैत्रेय ट्रस्ट से हुआ एमओयू व लीज डीड निरस्त कर अभिलेखों से ट्रस्ट का नाम खारिज कर संस्कृति विभाग का नाम दर्ज करने का आदेश दिया है।
कुशीनगर: शासन ने कुशीनगर की मैत्रेय परियोजना की 195.08 एकड़ भूमि पर अब इंटीग्रेटेड बुद्धिस्ट सर्किट बनाने का निर्णय लिया है। शासन ने मैत्रेय ट्रस्ट से हुआ एमओयू व लीज डीड निरस्त कर अभिलेखों से ट्रस्ट का नाम खारिज कर संस्कृति विभाग का नाम दर्ज करने का आदेश दिया है। अब इस भूमि पर पर्यटन आधारित आधारभूत संसाधनों की स्थापना होगी। संस्कृति निदेशालय के संयुक्त निदेशक डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह ने आयुक्त गोरखपुर व जिलाधिकारी कुशीनगर को पत्र भेजकर शासन के निर्णय से अवगत कराते हुए कार्यवाही से प्रमुख सचिव संस्कृति को अवगत कराने की बात कही है। दरअसल, सरकार व ट्रस्ट के मध्य 9 मई 2003 को एमओयू हुआ था। पुन: 14 नवंबर 2014 को अनुपूरक एमओयू हुआ। 19 अगस्त 2016 को लीज डीड के माध्यम से भूमि निश्शुल्क ट्रस्ट को दे दी गई। एमओयू के अनुसार ट्रस्ट की भूमि पर बुद्ध की 200 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा, चिकित्सालय, ध्यान केंद्र, शिक्षण केंद्र, पार्क समेत अनेक पर्यटन आधारित संसाधनों की स्थापना करनी थी। 2019 तक भी परियोजना में अपेक्षित प्रगति न देख शासन ने ट्रस्ट को जुलाई 19 में नोटिस दी और मौके पर टीम भेजकर जांच कराई। पाया गया कि भूमि पर एक कार्यालय स्थापित करने के अलावा ट्रस्ट ने कोई कार्य नहीं किया है। नोटिस पर ट्रस्ट ने कोई संतोषजनक जवाब भी नहीं दिया। जिलाधिकारी ने इस आशय की रिपोर्ट शासन को भेजी थी। एसडीएम/ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोहरा ने बताया कि शासन के निर्देश के अनुपालन में आगे कार्य किया जाएगा।