Kushinagar Lok Sabha Election: चुनावी रेल को 77 साल से नहीं मिला 'स्टेशन', हर बार दावे हुए फेल
Kushinagar Lok Sabha मध्यावधि एवं आम चुनाव मिलाकर लोकसभा के 17 चुनाव बीत चुके हैं रेल लाइन की सुध किसी को नहीं है। केवल सियासी पटरी पर चुनावी रेल दौड़ती रही उसे अभी तक स्टेशन नहीं मिल पाया है। कुशीनगर को रेल लाइन से जोड़ने को लेकर हुए वादों प्रयासों एवं जमीनी हकीकत पर केंद्रित अजय कुमार शुक्ल की रिपोर्ट...
आजादी के बाद 77 साल गुजर चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थली के रूप में विख्यात भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा शुरू हो चुका है लेकिन अभी यह धरती रेल लाइन से दूर है। चुनाव में इस बात की जोर-शोर से चर्चा होती है लेकिन परिणाम आने के बाद सार्थक प्रयास नजर नहीं आते।
कई बार प्रयास किए भी गए लेकिन वे कागजों तक ही सीमित रहे। यहां के लिए रेल परियोजना का प्रस्ताव भी बना परंतु अभी तक इसे धरातल पर उतारा नहीं जा सका है।
तीन वर्ष पूर्व हुई थी स्थाई संसदीय समिति की बैठक
रेल सेवा से जोड़ने को लेकर भारतीय रेलवे से जुड़ी स्थाई संसदीय समिति रेल मंत्रालय के प्रस्ताव पर सितंबर 2021 में कुशीनगर का अध्ययन करने पहुंची थी। पूर्व कृषि मंत्री डा. राधामोहन सिंह के नेतृत्व वाली समिति में 16 सांसद शामिल थे।
पूर्वोत्तर रेलवे के उच्च अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए और रेल सेवा से जोड़ने की बात तय हुई। प्रस्ताव भी तैयार किया गया लेकिन आज तक उस पर अमल नहीं हो सका।
इसे भी पढ़ें- शेयर बाजार में बढ़ रहे निवेशक, शीर्ष 10 में शामिल हुआ यूपी का यह शहर
रेलवे आरक्षण केंद्र दो वर्ष बाद ही बंद कर दिया गया
रेल सुविधा तो यहां नहीं थी लेकिन 2017 में सैलानियों व स्थानीय लोगों को रेलवे आरक्षण केंद्र की सुविधा देने की शुरुआत जरूर हुई थी। पर, दो वर्ष बाद ही कुशीनगर डाकघर से मिलने वाली यह सुविधा भी बंद कर दी गई।
इसे भी पढ़ें-दिल्ली और अन्य रूटों पर चलेंगी आठ समर स्पेशल, मार्ग बदलकर चलेंगी दो एक्सप्रेस ट्रेनें
रेल कनेक्टिविटी का न होना कुशीनगर के समग्र पर्यटन विकास में एक बड़ा रोड़ा है। सैलानियों की एक बड़ी संख्या इसके चलते चाहकर भी यहां नहीं पहुंच पाती। इससे यहां पर्यटन कारोबार को वह ऊंचाई नहीं मिल सकी, जिसकी पर्यटक स्थली को उम्मीद है। -भंते महेंद्र, पूर्व अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान
होटल कारोबार को भी वह अपेक्षित गति नहीं मिल पाई है, जिसकी आवश्यकता है। इसमें कुशीनगर में रेल सेवा का न होना एक बड़ा कारण है। सैलानियों की अपेक्षित संख्या यहां पहुंच ही नहीं पाती है जबकि यह बौद्धों का महातीर्थ स्थल है। -ओमप्रकाश जायसवाल, होटल कारोबारी