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खुशखबरी: अब कुशीनगर के सभी मंदिरों के पुजारियों को मिलेगा मानदेय, प्रस्‍ताव पर लगी मोहर

पडरौना नगरपालिका ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए क्षेत्र के सभी मंदिरों के पुजारियों को मानदेय देने की घोषणा की है। प्रत्येक पुजारी को 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इस पहल के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा है जिन्होंने मंदिरों के पुजारियों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं। पडरौना नगरपालिका का यह कदम प्रदेश की पहली ऐसी पहल है जिससे पुजारियों को आर्थिक सहायता मिलेगी।

By Ajay K Shukla Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 13 Oct 2024 08:44 AM (IST)
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बाएं से विनय जायसवाल,नपाध्यक्ष पडरौना, पडरौना नगर के मानस कालोनी स्थित बुढ़िया माई। जागरण

अजय कुमार शुक्ल, जागरण संवाददाता, कुशीनगर। रामनवमी के दिन शुक्रवार को पडरौना नगरपालिका ने ऐतिहासिक कदम उठाया और क्षेत्र के सभी मंदिरों के पुजारियों को मानदेय देने की घोषणा की। मानदेय के रूप में प्रत्येक पुजारी को 1500 रुपये दिए जाएंगे।

इस पर नगरपालिका को प्रतिमाह डेढ़ लाख से अधिक खर्च करना होगा। इसको लेकर बजट हेतु प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है। सभी आयु वर्ग के पुजारियों को यह सुविधा मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अभी कुछ दिन पूर्व मंदिरों के 60 वर्ष के ऊपर के पुजारियों-पुरोहितों को मानदेय व खाद्यान्न देने की बात कही थी, हालांकि अभी वह लागू नहीं हो सका है।

योगी सरकार के मंदिरों के पुजारियों-पुरोहितों के हित की सोच को देखते हुए ही नगर पालिका पडरौना ने यह कदम उठाया है। दावा है कि प्रदेश की यह पहली नगरपालिका है जहां, यह व्यवस्था लागू की गई है।

मुख्यमंत्री योगी ने 60 वर्ष से ऊपर के पुजारी-पुरोहितों को यह सुविधा देने की बात कही तो नगरपालिका ने सभी आयु वर्ग पुजारियों को मानदेय देने का प्रविधान किया है। यह सुविधा दीपावली से पूर्व ही मिलने लगेगी, इस पर मुहर लग गई है।

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मुख्यमंत्री की प्रेरणा से उठाया कदम : नगरपालिका अध्यक्ष

नगरपालिका अध्यक्ष विनय जायसवाल ने बताया कि यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से उठाया गया है। कोरोनाकाल में मंदिरों के पुजारियों-पुरोहितों के सामने धन की गंभीर समस्या देखने को मिली थी। सरकार भी इसको लेकर काफी संजीदा है। मानदेय के बाद अन्य सुविधाओं को लेकर भी नपा कदम उठाएगी, ताकि भगवान की सेवा करने वाले पुजारी-पुरोहितों के सामने कोई समस्या न रहे।

बोर्ड ने भी सहर्ष लगाई इस पर मुहर

नगरपालिका अध्यक्ष ने अपने इस प्रस्ताव को लेकर जब बैठक बुलाई तो बोर्ड के सदस्यों ने भी सर्वसम्मति से इस अपर अपनी मुहर लगा दी। इसके साथ ही अब यह नगरपालिका के दायित्व में शामिल हो गया। सभासद रविंद्र जायसवाल, छोटे, विश्वनाथ प्रताप सिंह, सोनू राज कुशवाहा, चंदन जायसवाल, पीयूष सिंह, संजय, बलवंत, बबलू खरवार, प्रवीण सिंह, श्याम साहा, अनिल जायसवाल, सौरभ सिंह, प्रमोद श्रीवास्तव, बलवंत, संतोष, उत्तम, अभिनाश, रामाश्रय व अन्य सभासद, उनके प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

पाली को शास्त्रीय भाषा के दर्जा से हर्ष

पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर बौद्ध भिक्षुओं ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्र सरकार को बधाई दी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में बीते तीन अक्टूबर को पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया, इसमें पाली भी शामिल है। यह भाषा बौद्ध धर्म के साहित्य का मुख्य आधार है। इसको शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग बौद्ध मतावलंबी काफी समय से कर रहे थे।

बातचीत में बौद्ध भिक्षुओं ने बताया कि इससे इस भाषा का मान बढ़ा है, अब यह और समृद्ध होगी। कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर ने भारत सरकार के इस निर्णय की सराहना किया है। कहा कि इस भाषा में निहित नैतिक मूल्यों के अध्ययन अध्यापन और अनुशीलन से समाज में नैतिकतापूर्ण वातावरण का विकास होगा, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य भी है।

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पालि सोसायटी आफ इंडिया के सचिव भिक्षु डा. नंद रतन ने कहा कि यह प्राचीन भारत की अमूल्य धरोहर है। जो भगवान बुद्ध की लोक कल्याणकारी वाणी का संरक्षण व पालन करती है। पाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से भविष्य में इसका समुचित संरक्षण हो सकेगा। पाली एवं बौद्ध अध्ययन के विद्यार्थियों व शोधार्थियों को भी रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष भिक्षु चंदिमा ने कहा कि पाली भाषा के प्रचार प्रसार से न केवल भारतीय ज्ञान परंपरा को समझने में सहायता मिलेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाली संस्कृति व बौद्ध देशों से प्रगाढ़ सांस्कृतिक मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए जा सकेंगे। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष भंते महेंद्र ने सरकार के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि सरकार के इस ऐतिहासिक व अकादमिक कार्य से पाली भाषा का पूरे विश्व में प्रचार-प्रसार होगा। इसके माध्यम से विश्व में भारत के गौरव में वृद्धि होगी।

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