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UP Lok sabha election 2024: यूपी के इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य, बदल जाएगी पूरी राजनीतिक समीकरण

स्वामी प्रसाद मौर्य में पडरौना विधानसभा लगतार तीन बार वर्ष 2009 (उपचुनाव) में बसपा से और 2012 में बसपा से ही विधायक चुने गए। 2017 में उन्होंने बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामा और पडरौना से जीत की हैट्रिक लगाई। इसके बाद एक बार फिर पाला बदला और साइकिल की सवारी कर ली। 2022 में सपा से फाजिलनगर विधानसभा से चुनाव लड़े और इस बार हार का सामना करना पड़ा।

By Ajay K Shukla Edited By: Vivek Shukla Updated: Mon, 18 Mar 2024 09:30 AM (IST)
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स्‍वामी प्रसाद पडरौनासे लगातार तीन बार विधायक चुने गए हैं।

अजय कुमार शुक्ल, कुशीनगर। कुशीनगर की सियासत से गहरा नाता रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर लोकसभा से चुनाव लड़ सकते हैं। इस सियासी चर्चा के बीच यह बात कही जा रही है कि वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में खम ठोक सकते हैं। इससे पूर्व भी वह इस सीट से बसपा से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।

हालांकि, तब जीत नहीं मिल सकी थी, लेकिन इस चुनाव ने यहां उनकी राजनीतिक जड़ें जरूर मजबूत कर दीं। लगभग डेढ़ दशक तक यहां की राजनीति में सक्रिय रहे मौर्य की कुशवाहा बिरादरी पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में उनके चुनाव मैदान में उतरने से राजनीतिक समीकरण बदलेगा तो चुनाव भी दिलचस्प मोड़ लेगा। सपा से अलग हो अपनी राष्ट्रीय शोसित समाज पार्टी बनाई है, जो आएनडीआइ गठबंधन के साथ है।

बात स्वामी प्रसाद के कुशीनगर से उनके सियासी नाते की करें तो पहली बार वह वर्ष 2009 में बसपा के लोकसभा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे। तब कांग्रेस के आरपीएन सिंह से उनको मात मिली थी। इस हार ने भले ही जीत का सेहरा मौर्य के सिर नहीं बांधा, लेकिन मजबूत सियासी जमीन जरूर तैयार कर दी।

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इसी जमीन की बदौलत वह पडरौना विधानसभा लगातार तीन बार, वर्ष 2009 (उप चुनाव) में बसपा से और 2012 में बसपा से ही विधायक चुने गए। 2017 में उन्होंने बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामा और पडरौना से जीत की हैट्रिक लगाई। इसके बाद एक बार फिर पाला बदला और साइकिल की सवारी कर ली।

2022 में सपा से फाजिलनगर विधानसभा से चुनाव लड़े और इस बार हार का सामना करना पड़ा। अब उनके कुशीनगर के चुनावी सफर और उनके जीत हार के गुणा गणित पर नजर डालें तो चुनावी मैदान में उनका उतरना निश्चित रूप से राजनीतिक समीकरण बदलेगा।

इसके पीछे के राजनीतिक फैक्टर की बात करें तो पहला यह है कि कुशवाहा बिरादरी में उनकी अच्छी पकड़ रही है। दूसरा इस लंबे सियासी सफर में उन्होंने अपना राजनीतिक रसूख भी यहां मजबूत किया है। ऐसे में चुनावी जंग में इसका लाभ उनको मिलेगा तो चुनावी तस्वीर भी दिलचस्प होगी।

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मौर्य के एक करीबी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कुशीनगर से चुनाव लड़ने की संभावना अभी फिफ्टी- फिफ्टी है। जैसा समीकरण बनेगा किया जाएगा। कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज सिंह ने बताया कि जिसको गठबंधन प्रत्याशी बनाएगा, कांग्रेस उसके साथ रहेगी।

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