कॉरिडोर निर्माण को लेकर 19324.670 वर्ग मीटर नजूल भूमि को कैबिनेट से मिली मंजूरी, प्रमुख सचिव ने जारी किया पत्र
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पौराणिक शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण के लिए 19324.670 वर्ग मीटर नजूल भूमि को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस भूमि पर कॉरिडोर निर्माण से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने पत्र में बताया है कि 19324.670 मीटर नजूल की भूमि शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण को लेकर निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।
संवाद सूत्र, गोकर्णनाथ (लखीमपुर)। पौराणिक शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण को लेकर 19324.670 वर्ग मीटर नजूल की भूमि का प्रस्ताव पर्यटन विभाग के द्वारा कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया था। जिसे समेकित पर्यटन विकास के लिए स्वीकृति मिल गई है।
प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने पत्र में बताया है कि 19324.670 मीटर नजूल की भूमि शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण को लेकर निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। जिसमें गाटा संख्या 364 का रकबा 579.281 वर्ग मीटर, 368 पर 10045.389,369 पर 7890 मीटर कुल 19324.670 वर्ग मीटर भूमि पर्यटन विभाग को निश्शुल्क दे दी गई है। क्योंकि गोला गोकर्णनाथ पौराणिक शिव मंदिर और चीनी मिल के लिए प्रसिद्ध है।
इस भूमि पर कॉरिडोर निर्माण से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे और स्थानीय लोगों के आर्थिक सामाजिक स्तर में बढ़ोतरी होगी। नजूल की भूमि की स्वीकृति मिलने के बाद पौराणिक शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण में तेजी आएगी ।
पौराणिक शिव मंदिर कॉरिडोर निर्माण को लेकर गोकर्ण तीर्थ के चारों तरफ बने घाटों के पत्थरों उखाड़ कर सुंदरीकरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। इसी के साथ पीलीभीत धर्मशाला से सीधे
शिव मंदिर जाने वाले प्रमुख मार्ग
पर अतिक्रमण हटाकर चौड़ीकरण कराया जा रहा है। जिसको लेकर नाली निर्माण का कार्य तेजी से शुरू हो गया है। कॉरिडोर निर्माण में सबसे पहले मंदिर जाने वाले प्रमुख मार्ग, पीलीभीत धर्मशाला में कैंटीन , शौचालय के साथ घाट का निर्माण और सुंदरीकरण कराया जाएगा। पौराणिक शिव मंदिर का मुख्य द्वार सिनेमा मार्ग स्थित अंगद धर्मशाला के पास बनाया जाएगा। इस मार्ग को पूरी भव्यता के साथ दीवारों और गेट पर वास्तुकारों के द्वारा चित्रकार कर तैयार किया जाएगा।शिव मंदिर का मुख्य गेट और मंदिर के बीच तीन द्वार बनाए जाना प्रस्तावित है। पहले गेट अंगद धर्मशाला के पास , दूसरा गेट मालियों के पास लगे पीपल के पेड़ पास और अंतिम गेट मंदिर के समीप बनाया जाएगा। इसके अतिरिक्त मंदिर आने वाले मार्गों पर द्वार बनाए जाएंगे। सड़कों पर एक विशेष प्रकार के पत्थर का प्रयोग किया जाएगा। इसी के साथ मिल डायवर्जन मार्ग की तरफ से वीआईपी द्वार बनाया जाएगा।बरेली, गोस्वामी और महादेवा धर्मशाला को ध्वस्त किया जाएगा। गोकर्ण तीर्थ के दक्षिण सत्संग स्थल बनाया जाएगा। तीर्थ के चारो ओर घाटो का निर्माण, जीर्णोद्वार व हाईमास्ट लाइटों की व्यवस्था की जाएगी। परिक्रमा स्थल, नीलकंठ मैदान, श्रद्धालुओं के बैठने के लिए आधुनिक बेंच,तीर्थ सरोवर में म्यूजिक वाटर शो का निर्माण और जल को स्वच्छ रखने के लिए आक्सीडेशन प्लांट लगाया जाएगा। नजूल की भूमि को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद स्थानीय लोगों में खुशी हैं।
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