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Lakhimpur News: तेजी से कटान कर पांच गांवों की तरफ बढ़ रही घाघरा नदी, रोकने की मशक्कत; लगाई जा रहीं बोरियां

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर ज‍िले में घाघरा नदी अपना रौद्र रूप दि‍खाने लगी है। ज‍िले के माथुरपुर में तेजी से कटान जारी है। सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड ने पांच गांवों की तरफ बढ़ रही घाघरा नदी को रोकने की कोशिश ने शुरू की है। जागरण ने कटान की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान खींचा था।

By Dharmesh Kumar Shukla Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 25 Jul 2024 03:03 PM (IST)
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धौरहरा के ग्राम माथुरपुर में घाघरा नदी की कटान रोकने के लिए लगाई जा रहीं बोरियां।- जागरण

शंकर चक्रवर्ती, ढखेरवा (लखीमपुर)। माथुरपुर में तेजी से कटान कर पांच गांवों की तरफ बढ़ रही घाघरा नदी को रोकने की कोशिश सिंचाई विभाग के बाढ़ खंड ने शुरू की हैं। नदी इस साल कटान कर साढ़े तीन करोड़ की कटान निरोधक परियोजना को निगल चुकी थी। मुहाने पर आए गांव माथुरपुर, सहजदिया, मोटे बाबा, लालापुर और देवीपुरवा के करीब एक हजार परिवारों में अपना आशियाना उजड़ने के डर से अफरातफरी मच गई थी।

इसी समय जागरण ने कटान की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान खींचा था। इसके बाद बाढ़ खंड ने आबादी को बचाने के लिए तेजी के साथ कटान निरोधक कार्य शुरू करा दिए हैं, जिससे कटान के मुहाने पर आए गांवों के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।

तो तबाह हो जाएंगे एक हजार पर‍िवार

पिछले दो दशकों से यहां तबाही मचा रही घाघरा नदी के कटान को लेकर यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो फिर घाघरा के निशाने पर आए पांच गांवों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा और इन गांवों के करीब एक हजार परिवार तबाह हो जाएंगे।

दर्जनभर से अधि‍क गांव हुए बर्बाद  

ग्रामीणों का कहना है कि शासन प्रशासन कटान को चिन्हित कर उन स्थानों पर पक्के काम कराए। जब तक ऐसा नहीं होगा, बाढ़ के दौरान छोटे मोटे कार्यों से कटान रुकने वाला नहीं है। प्रतिवर्ष छोटी परियोजनाओं के माध्यम से कटान निरोधक कार्य कराए जाते हैं और घाघरा नदी हर इन्हें निगल जाती है। इससे पहले अब तक दर्जनभर से अधिक गांव घाघरा की कोख में समा चुके हैं। किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि भी नदी में समा गई है। जिस कारण आज सभी ग्रामीण आर्थिक तंगी से गुजरने को मजबूर हैं।

इस संदर्भ में बाढ़ खंड के एसडीओ बीडी गौतम ने बताया कि बचाव कार्य तेजी के साथ जारी है। सोमवार से एक जेसीबी मशीन के साथ ही करीब सौ श्रमिक लगाए गए हैं। पिछले दिनों घाघरा बैराज से अचानक ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण नदी का रुख भयंकर हो गया था। अब स्थित सामान्य हो रही है। जल्द ही कटान पर नियंत्रण पा लिया जाएगा।

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