एक्शन में IAS दुर्गा शक्ति नागपाल, पराली जलाने पर लगाया प्रतिबंध; किसानों से वसूली जाएगी क्षतिपूर्ति
UP News उत्तर प्रदेश सरकार ने फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए रैलियों सभाओं और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। पराली जलाने पर दंड का प्रावधान लागू किया गया है जिसके तहत किसानों से क्षतिपूर्ति वसूली जाएगी। इस अभियान में जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल अहम भूमिका निभा रही हैं।
संवाद सूत्र, लखीमपुर। प्रदेश सरकार ने फसल अवशेष जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। किसानों को जागरूक करने के लिए रैलियों, सभाओं और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। पराली जलाने पर दंड का प्रावधान लागू किया गया है, जिसके तहत किसानों से क्षतिपूर्ति वसूली जाएगी। इसके साथ ही गन्ना विभाग द्वारा पत्तियों के जलाने पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और वैकल्पिक उपाय सुझाए जाएंगे।
जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने बताया कि हर जिले में प्रशासन द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक विशेष मानिटरिंग सेल बनाया गया है। इस सेल के अंतर्गत जिला स्तर पर अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में निगरानी होगी।
तहसील और ब्लॉक स्तरीय समितियों पर होगी जिम्मेदारी
तहसील और ब्लॉक स्तर पर समितियों का गठन किया गया है, जो अपने क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार होंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कंबाइन हार्वेस्टर में सुपर एस्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम या अन्य फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए।किसानों को वैकल्पिक उपाय और सहायता फसल अवशेष प्रबंधन के तहत किसानों को विभिन्न यंत्र जैसे हैप्पी सीडर, सुपर सीडर और पेड़ी स्ट्रा चापर उपलब्ध कराए जाएंगे। निर्देश दिए हैं कि 15 अक्टूबर 2024 तक इन यंत्रों की खरीद पूरी कर ली जाए। इन यंत्रों को किसानों को बाजार दर से 20 प्रतिशत कम किराए पर उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके अलावा फसल अवशेष को खेत में सड़ाने के लिए यूरिया का छिड़काव और पानी भरने की सलाह दी गई है, ताकि अवशेष को जलाने के बजाय उसका उपयोग खेत की उपजाऊ क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा सके।
पराली प्रबंधन के लिए बायो डी-कंपोजर का उपयोग
प्रदेश सरकार ने फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए बायो डी-कंपोजर के उपयोग को सफलतापूर्वक लागू किया है। यह बायो डी-कंपोजर किसानों को निश्शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे अपने खेतों में अवशेष सड़ाकर जैविक खाद बना सकें। इसके अलावा, सरकार द्वारा पराली को गोशालाओं में दान करने और खाद बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
मनरेगा योजना के तहत पराली से कंपोस्ट खाद बनाने की प्रक्रिया को भी समर्थन मिलेगा, जिससे किसानों को रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करने और अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर मिलेगा।
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