Kheri Lok Sabha Chunav Result: हारने के साथ ही हैट्रिक बनाने से भी चूक गए टेनी, खीरी सीट पर एक ही परिवार के तीन लोग बना चुके हैं रिकॉर्ड
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में खीरी लोकसभा सीट से रामेश्वर प्रसाद नेवटिया सांसद बने थे। 1957 में कुंवर खुशवक्त राय सांसद बने। इसके बाद खीरी सीट से 1962 में बालगोविंद वर्मा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए थे। इसके बाद वह 1967 व 1971 में भी जीते थे। इस तरह से उन्होंने सबसे पहले जीत की हैट्रिक लगाई थी।
हरीश श्रीवास्तव, पलियाकलां (लखीमपुर)। खीरी लोकसभा सीट से चुनाव हारकर भाजपा प्रत्याशी अजय मिश्र टेनी तीसरी बार सांसद बनने से तो रह ही गए हैट्रिक लगाने से भी चूक गए हैं। इससे पहले भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीएल कनौजिया भी 1998 में हैट्रि्क लगाने से चूक गए थे। अब 2024 में पुन: इतिहास दोहराया गया है। इस सीट पर अब तक हैट्रिक लगाने का रिकॉर्ड एक ही परिवार के नाम है। यह परिवार बालगोविंद वर्मा का है, जिसमें उन्होने खुद और उनकी पत्नी व बेटा तीनों हैट्रिक लगा चुके हैं।
आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में खीरी लोकसभा सीट से रामेश्वर प्रसाद नेवटिया सांसद बने थे। 1957 में कुंवर खुशवक्त राय सांसद बने। इसके बाद खीरी सीट से 1962 में बालगोविंद वर्मा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए थे। इसके बाद वह 1967 व 1971 में भी जीते थे। इस तरह से उन्होंने सबसे पहले जीत की हैट्रिक लगाई थी। हालांकि, बालगोविंद वर्मा ने 1980 का चुनाव भी जीता था लेकिन उस दौरान उनका निधन हो गया और 1980 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने उनकी पत्नी ऊषा वर्मा को टिकट दिया और वह भी चुनाव जीत गई थी।
इसके बाद उन्होंने 1984 व 1989 में लगातार जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाई। 1991 व 1996 में गेंदन लाल कनौजिया भाजपा के टिकट पर दो बार लगातार चुनाव जीते लेकिन तीसरी बार 1998 में चुनाव हार गए और वह हैट्रिक बनाते बनाते रह गए थे। वर्ष 1998 में बालगोविंद वर्मा व ऊषा वर्मा के पुत्र रवि वर्मा ने सांसद का चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद उन्होंने 1999 व 2004 का चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाई। इस तरह से एक ही परिवार के तीन लोग खीरी सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीतकर हैट्रिक बना चुके हैं, लेकिन उसके बाद अभी तक कोई दूसरा नेता खीरी सीट से हैट्रिक नही बना पाया है।
2014 व 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर अजय मिश्रा टेनी 2024 के चुनाव में हैट ट्रिक लगाने की राह पर थे लेकिन उनका मंसूबा पूरा नहीं हो सका। उन्हे भी जीएल कनौजिया की तरह तीसरी बार चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
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