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Lakhimpur Kheri News: व्हेल मछली पर सेंसर लगाकर कैंसर का इलाज खोज रहे लखीमपुर के वैज्ञानिक मुनीर खान

लखीमपुर खीरी न‍िवासी वैज्ञान‍िक मुनरी खान व्हेल मछली पर सेंसर लगाकर कैंसर का इलाज खोज रहे हैं। शुरुआती दौर में सेंसर के जर‍िए मछलियों की भाषा समझने की कोशिश की जा रही है। वैज्ञान‍िक जानना चाहते हैं क‍ि कैंसर कोशिकाओं के शरीर में प्रवेश करने पर व्हेल के दिमाग का कौन सा अंग सक्रिय होता है और कौन से जींस कैंसर कोशिकाओं को खत्म करते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sun, 25 Jun 2023 03:20 PM (IST)
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Lakhimpur Kheri News: व्‍हेल मछली से ढूंढा जा रहा कैंसर का इलाज
लखीमपुर, [मोहम्मद साजिद]। लखीमपुर के एक छोटे से गांव में रहने वाले युवा वैज्ञानिक मुनीर खान इन दिनों अमेरिका की नामी यूनिवर्सिटी में व्हेल मछली पर सेंसर लगाकर कैंसर का इलाज खोज रहे हैं। कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने और इसे दूर करने के लिए दुनिया की कई नामी यूनिवर्सिटी, संस्थानों व वैज्ञानिकों ने एक मंच पर आकर इस पर शोध शुरू कर दिया है। यह जानकारी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे एप्लाइड साइंटिस्ट मुनीर खान ने दैनिक जागरण को दी।

अलग-अलग देशों में जाकर व्हेल के शरीर में लगाया जाएगा सेंसर

वह इन दिनों हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे हैं और वह शोध टीम के इस प्रोजेक्ट के सेंसर डिजाइनर हैं। उन्होंने बताया कि जो अतिसंवेदनशील सेंसर तैयार किए जा रहे हैं उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ शोध टीम (सीईटीआई) अलग-अलग देशों में जाकर व्हेल के शरीर के अंदर लगा रही है। उनका कहना है कि कई शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि व्हेल में कैंसर से लड़ने की क्षमता वाले जींस होते हैं और उन्हें खत्म करने की क्षमता का भी पता चला है।

व्‍हेल के शरीर में कैंसर कोश‍िकायें डालकर शोध करेंगे वैज्ञानिक

वैज्ञानिक जानना चाह रहे हैं कि कैंसर कोशिकाओं के शरीर में प्रवेश करने पर व्हेल के दिमाग का कौन सा अंग सक्रिय होता है और कौन से जींस कैंसर कोशिकाओं को खत्म करते हैं। इसीलिए व्हेल से ही शोध की शुरुआत हुई है। उन्होंने बताया कि व्हेल स्तनधारी होने और उसके दिमाग के बड़े होने कारण इसे रिसर्च में शामिल किया गया है। व्हेल की आयु 100 साल तक हो सकती है। इससे एक ही मछली में लगाया है। ज‍िससे सेंसर लंबे समय तक जानकारी देता रहेगा।

सेंसर द्वारा मछलियों की भाषा समझने की कोशिश

शोध विज्ञानी व सेंसर डिजायनर मुनीर खान ने इस बारे में पूरी जानकारी साझा करते हुए दैनिक जागरण को बताया कि अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर शोध संस्थान ने व्हेल की भाषा को समझने के लिए विशेषसेंसर तैयार किए हैं। इन सेंसर को समुद्री क्षेत्र में रहने वाली मछलियों में लगाने का काम शुरू हो गया है। यह सेंसर मछलियों की बातचीत या हरकतों को एकत्र करेंगे। बाद में इन संकेतों को अंग्रेजी भाषा में परिवर्तित करने समझने के लिए डाटा सेंटर पर भेजा जा रहा है।

जीवाणु, विषाणु या अन्य बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु के शरीर में प्रवेश करने पर व्हेल का दिमाग किस अंग को संदेश देता है यह सेंसर बताएगा। कौन-कौन सी कोशिकाएं कैंसर कारक कोशिकाओं को खत्म करती हैं और सेहत पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने देतीं, सेंसर यह भी पता करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सेंसर के डाटा विश्लेषण के लिए सभी तैयारियां शोध टीम ने कर ली है। यूनिवर्सिटी, संस्थानों और वैज्ञानिकों का शोध अब व्हेल मछली के व्यवहार को समझने और उसके संकेतों को पढ़ने पर केंद्रित हो गया है।

दुनिया को कैंसर के चंगुल से बाहर निकालने का रास्ता जल्द खोजने के लिए इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में जंतु विज्ञानी, कोशिका विज्ञानी से लेकर रसायन और भौतिक विज्ञानी के साथ एआई विशेषज्ञ तक जुड़े हैं। इस शोध के पीछे दुनिया की दिग्गज आईटी और दूसरी कंपनियों के ट्रस्ट और फाउंडेशन खड़े दिखाई दे रहे हैं।

मुनीर खान, एप्लाइड साइंटिस्ट, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका से जुड़े वैज्ञानिक

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