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Ration Card : यूपी में राशन कार्ड को लेकर आ गई बड़ी खबर, निरस्त होंगे इतने हजार लोगों के कार्ड; शासन ने आदेश किए जारी

फिलहाल शासन से जिन आयकर दाताओं की रिपोर्ट जिला पूर्ति कार्यालय को मिली है उसमें दोनों शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के आय करदाता शामिल हैं। डीएसओ अंजनी सिंह का कहना है कि शासन से रिपोर्ट आई है जिसकी जांच ग्राम स्तर पर लेखपाल और ग्राम पंचायत अधिकारी से कराई जाएगी। सत्यापन रिपोर्ट मिलने के बाद सक्षम लोगों का राशनकार्ड काटकर जरूरतमंदों के बनाए जाएंगे।

By swetank shankar Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sun, 14 Jul 2024 07:22 PM (IST)
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आयकर भरने वाले कार्ड धारकों की जांच पूर्ति निरीक्षकों को सौंपी गई है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संवादसूत्र, लखीमपुर। आयकर दाता हैं, लेकिन सरकारी गल्ले की दुकान से हर माह राशन ले रहे हैं। शासन की पड़ताल में खीरी जिले में पात्र गृहस्थी के 5024 ऐसे राशन कार्डधारक मिले हैं, जो आयकर दाता होते हुए भी हर महीने प्रति यूनिट पांच किलोग्राम गेहूं व चावल ले रहे हैं। इनमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र दोनों जगहों के कार्डधारक हैं।

शासन ने भेजी है सूची 

ग्रामीण क्षेत्रों में तो करीब 20 हजार ऐसे कार्डधारक हैं, जो अपने खेतों में उत्पादित गेहूं सरकार को बेचते हैं, लेकिन कोटे की दुकान से वह राशन भी ले रहे हैं। शासन ने जिला पूर्ति अधिकारी अंजनी कुमार सिंह को आयकर दाताओं की सूची भेजी है।

उन्होंने बताया कि जिन लोगों के पास पांच एकड़ या उससे अधिक जमीन है और उनके राशनकार्ड बने हैं तो लेखपाल और ग्राम पंचायत अधिकारी से जांच कराकर नाम काटा जाएगा और जरूरतमंदों के राशनकार्ड बनाए जाएंगे। आयकर भरने वाले कार्ड धारकों की जांच पूर्ति निरीक्षकों को सौंपी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार कई लोगों ने बनवाए फर्जी राशन कार्ड

खीरी जिले में कुल 8.32 लाख राशनकार्ड बने हुए हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में 79 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 64 प्रतिशत राशनकार्ड बनाने की सीमा है, लेकिन अधिकारी कहते हैं कि इस सीमा से कहीं ज्यादा राशनकार्ड बन चुके हैं।

वैसे तो राशनकार्ड बनाने के लिए शहरी क्षेत्र में निर्धारित आय सीमा तीन लाख और ग्रामीण क्षेत्र में ढाई लाख रुपये है, लेकिन शासन की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि समक्ष व्यक्ति भी सरकारी राशन ले रहे हैं।

अधिकारी कहते हैं कि शासन ने रिपोर्ट भेजी है, लेकिन बिना सत्यापन कराए सवाल नहीं उठाया जा सकता, क्योंकि एक परिवार में अगर एक व्यक्ति आयकर दाता है तो उसके पिता या भाई सहित परिवार के अन्य सदस्यों को राशन से वंचित नहीं किया जा सकता। कई बार यह भी होता है कि बैंक से कर्ज लेने के लिए आयकर जमा करना पड़ता है। 

ढाई साल पहले कार्डधारकों संग हुआ था खेल

करीब ढाई साल जिले के करीब 2500 राशन कार्डधारकों का नाम सूची से काट दिया गया था। हुआ यूं था गेहूं खरीद के समय दलालों ने गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का लालच दिया। उनके बहकावे में आकर कार्डधारकों ने अपना आधार कार्ड उन्हें दे दिया था। जिसका इस्तेमाल कर जिला सहकारी बैंक तिकुनिया में खाता खुलवाए गए और गेहूं खरीद का पैसा मंगाया गया।

गेहूं खरीद में जो आधार नंबर लगा था, वहीं आधार नंबर गेहूं बेचने वालों का भी था। फलस्वरूप तत्कालीन जिला पूर्ति अधिकारी विजय सिंह ने उनका राशनकार्ड निरस्त कर दिया। इसके बाद काफी हंगामा भी हुआ था, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।

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