गन्ना किसानों का 11 अरब से ज्यादा दबाए बैठी हैं आठ चीनी मिलें
जिले के अन्नदाता के पसीने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब ढाई साल पहले एक जनसभा में मीठा बताया था वहीं के अन्नदाता का शुगर लॉबी ने हाल बेहाल और मन खट्टा कर रखा है। हालात ऐसे हैं कि चीनी के इस कटोरे के किसानों के हाथ में खाली कटोरा है। जिले में लगी कुल नौ चीनी मिलों में से आठ पिछले पेराई सत्र का गन्ना किसानों का 11 अरब से ज्यादा भुगतान दबाए बैठी हैं।
लखीमपुर : तराई को चीनी का कटोरा कहे जाने वाले जिस खीरी जिले के अन्नदाता के पसीने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब ढाई साल पहले एक जनसभा में मीठा बताया था, वहीं के अन्नदाता का शुगर लॉबी ने हाल बेहाल और मन खट्टा कर रखा है। हालात ऐसे हैं कि चीनी के इस कटोरे के किसानों के हाथ में खाली कटोरा है। जिले में लगी कुल नौ चीनी मिलों पांच लाख गन्ना किसान अपनी उपज देते हैं। इनमे से आठ पिछले पेराई सत्र का गन्ना किसानों का 11 अरब से ज्यादा भुगतान दबाए बैठी हैं। ये हाल तब है, जब सूबे के शासन ने आपूर्ति के 14 दिन में किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करने के सख्त निर्देश दे रखे हैं।
बीते सत्र 2018-19 में जिले की कुल नौ चीनी मिलों ने रिकॉर्ड 1227.55 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद कर पेराई की। इसके सापेक्ष इन चीनी मिलों पर कुल 39.414431 अरब रुपये का भुगतान गन्ना किसानों को देय बना। जो सरकारी आंकड़े हैं उसके अनुसार 11 सितंबर 2019 तक गन्ना किसानों को कुल 28.181825 अरब रुपये का भुगतान हुआ है। इस हिसाब से अभी 11.232606 अरब रुपये गन्ना मूल्य भुगतान बकाया है। आधा सितंबर माह बीतने को है और अक्टूबर-नवंबर से नया पेराई सत्र भी शुरू हो जाएगा, पर अब तक पिछले पेराई सत्र का 71.50 फीसद भुगतान ही हुआ है, जबकि 28.50 फीसद भुगतान बाकी है।