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Uttarkashi Tunnel Rescue: मां को देखते ही ल‍िपटकर रोने लगा मंजीत, बहनों ने लगाया तिलक; दूर खड़े पिता की आंखें भी हुईं नम

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल से सुरक्षित लौटे श्रमिक मंजीत सिंह के स्वागत में जिला प्रशसन ने पलक पावड़े बिछा दिया। लखनऊ में पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुशलक्षेम पूछी फिर उसके जिला मुख्यालय आने पर प्रभारी डीएम अनिल सिंह ने गले लगा लिया। सरकार से लेकर अधिकारी तक इस बात की खुशी मना रहे थे कि यूपी के श्रावस्ती और लखीमपुर खीरी का श्रमिक टनल से वापस लौट आया।

By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Fri, 01 Dec 2023 08:03 PM (IST)
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घर पहुंचने पर श्रमिक मंजीत को दुलारती उसकी मां चौधराइन।- जागरण

सर्वेश शर्मा , सिंगाही (लखीमपुर)। 17 दिन तक जिंदगी की भीषण जंग लड़कर वापस लौटे सिंगाही के भैरमपुर गांव में जोरदार स्वागत हुआ। शुक्रवार शाम गांव पहुंचे मंजीत की अगवानी के लिए एसडीएम निघासन अश्विनी कुमार व सीओ निघासन राजेश कुमार के अलावा पूरे इलाके के लोग मंजीत का स्वागत करने पहुंचे।

मां को देखते ही मंजीत उनसे चिपट गया और काफी देर तक रो-रोकर मां से लिपटा रहा। मां-बेटे का ऐसा प्यार देखकर लोगों की आंखें भी भर आईं। उसके बाद वह अपनी जान से प्यारी बहनों चुन्नी और रक्षा से मिला। दोनों बहनों ने भाई के माथे पर तिलक लगाया और तीनों एक साथ लिपटकर रोने लगे। दूर खड़े पिता चौधरी की आंखें भी ये मंजर देखकर भर आईं और दादा विंद्रा प्रसाद सभी को समझाने में लगे रहे।

काफी देर तक चले स्वागत के बीच मंजीत ने वहां मौजूद तमाम मीडिया कर्मियों से अपनी सकुशल वापसी के लिए उत्तराखंड व केंद्र सरकार की जमकर तारीफ की। मंजीत ने कहा कि अगर सरकारों ने समय से ध्यान नहीं दिया होता, राहत व बचाव कर्मियों का दल समय से न आता तो सुरंग से जिंदा वापस आना संभव नहीं होता। उन सभी 41 श्रमिकों के लिए एनडीआरफ की टीम किसी देवदूत से कम नहीं थी।

मंजीत ने कहा कि दिन रात मेहनत के अलावा बचाव दल की हौसलाफजाई ने सभी को खूब संबल दिया...ढ़ाढस बंधए रखा। किसी के जिंदा रहने की उम्मीद को कम नहीं होने दिया। ये बहुत बड़ी बात थी । मंजीत योगी सरकार की भी जमकर तारीफ की और कहा कि घर तक उनको सकुशल भेजवाने और जीवकोपार्जन के लिए एक एकड़ जीन दिए जाने के आश्वासन से बहुत खुशी है अब पूरा परिवार का जीवन आराम से कट जाएगा।

बहनों से भाई के लिए घर पर सजाई रंगोली

शुक्रवार की सुबह मंजीत की बहनों के लिए भी बहुत बड़ा दिन था। भोर की पहली किरण् के साथ मंजीत की मां और दोनो बहनों के अलावा मंजीत की मौसियों ने भी बिस्तर छोड़ दिया। सभी मंजीत की अगवानी के लिए अपने घर को लीप-पोत कर चकाचक करने में जुट गए। बहनों ने सुबह से ही घर के आंगन में भव्य रंगोली बनाना शुरू कर दिया। ऐसा लगा मानो चौधरी के घर में आज ही दीपावली हो...भला ऐसा उत्साह हो क्यों ना? घर का इकलौता चिराग जिंदगी की सबसे बड़ी जंग जीत कर वापस जो रहा था। मंजीत की बहन रक्षा ने बताया कि वह अपने भाई को दुनिया की हर खुशी देने के लिए तैयार है लेकिन अभी उसके पास ये रंगोली ही है जिससे वह भाई के प्रति अपने प्यार को दिखा सकती है।

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बेटे के लिए मां ने बनाए सारे पकवान, हाथ से खिलाए

उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग से निकल कर घर आए बेटे की खुशी उसकी मां चौधराइन से छिपाए नहीं छिपी। आज वह अपने बेटे को दुनिया के सारे पकवान खिालना चाहती दिखी। चौधराइन ने कहा कि उसने शुक्रवार को बेटे के लिए दाल-चावल के साथ ही पूड़ी सब्जी और खीर भी बनाई है, जिसे वह अपने हाथों से खिलाएंगीं। ये कहते चौधराइन भावुक हो गईं कि उसके बेटे से उसकी आखिरी बार बात 11 नवंबर को हुई थी। उस दिन वह मंजीत से कहती रहीं कि बेटा दीवाली पर आ जाओ, लेकिन उसने कहा मम्मी अभी हाथ खाली हैं। भैया द्विज से पहले पैसे मिलेंगे तब आऊंगा। बहनों से खाली हाथ टीका भला कौन कराता है। बेटे की ये बात सुनकर दोनो बहनों की आंखें भर आईं और दोनों ने ठीक है भैया कहते हुए फोन काट दिया। शुक्रवार को उस आखिरी बातचीत को बताते हुए चौधराइन का गला रुंधने से लगा और वह कुछ देर के लिए शांत हो गईं क्योंकि तमाम अनहोनी को पछ़ाडकर उनका कलेजे का टुकड़ा वापस जो आ गया था।

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