यूपी का वो गांव जहां घूंघट वाली महिलाएं नहीं डालती थी वोट, पर अब हिचकिचाहट नहीं; इस तरह टूटा मिथक
गनेशपुर की महिलाएं इसलिए वोट डालने नहीं जाती हैं कि वह हमेशा घूंघट में रहती हैं। गांव की परंपरा है कि घूंघट में रहने वाली महिलाएं चौखट के बाहर कदम नहीं रखेंगी। पिछले चार साल वर्ष से जागरूकता का नारा बुलंद हुआ तो कुल 1200 महिलाओं में वह करीब 60 ने घर की दहलीज लांघी और पोलिंग बूथ का मिथक तोड़ा।
संवाद सूत्र, लखीमपुर। ईसानगर के गांव गनेशपुर की महिलाएं इसलिए वोट डालने नहीं जाती हैं कि वह हमेशा घूंघट में रहती हैं। गांव की परंपरा है कि घूंघट में रहने वाली महिलाएं चौखट के बाहर कदम नहीं रखेंगी। वर्षों से इस परंपरा का निर्वहन महिलाएं वोट डालने नहीं जाती हैं। पिछले चार साल वर्ष से जागरूकता का नारा बुलंद हुआ तो कुल 1200 महिलाओं में वह करीब 60 ने घर की दहलीज लांघी और पोलिंग बूथ का मिथक तोड़ा।
स्वीप टीम प्रभारी सीडीओ अनिल सिंह को जब इसकी जानकारी मिली तो वह डायट प्राचार्य और डीआइओएस, स्वीप आइकान एसपी सिंह गनेशपुर गांव पहुंचे। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से उन्होंने महिलाओं से बात की। उन्हें जागरूक करते हुए मतदान में सभी की भागीदारी की अपील की।सीडीओ ने कहा कि स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए सभी के मत का योगदान जरूरी है। पुरूष हो या महिलाएं। सभी को पोलिंग बूथ पर पहुंच कर मतदान करना चाहिए। अधिकारियों ने महिलाओं को काफी समझाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि महिलाओं ने यह भरोसा दिलाया कि 13 मई को होने वाले मतदान में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेंगी।
जागरूकता कार्यक्रमों का असर
जागरूकता कार्यक्रमों का यह असर हुआ है कि ग्राम सभा गनेशपुर में पिछले चार चुनावों ने गांव की महिलाओं ने वोट न डालने का मिथक तोड़ते हुए मतदान कर रही हैं। ग्राम पंचायत, विधानसभा व लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने गांव की महिलाओं को जागरूक करते हुए वोट डालने के लिए प्रेरित किया। चुनावों से पहले डीएम, कप्तान, एसडीएम व खंड विकास अधिकारी की वोट डालने की मुहिम रंग लाई और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर, शिक्षिका समेत करीब 60 जागरूक महिलाओं ने वोट डाल कर गनेशपुर में परंपरा को तोड़ दिया था।
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