छह दशक में पहली बार ऐसा क्यों? छोटी काशी की गुलाबी कोठी में नहीं चुनावी हलचल; यहां से तो मिले हैं तीन सांसद
Lok Sabha Election 2024 संसदीय चुनाव के इतिहास में तकरीबन छह दशक बाद ये पहला अवसर है जब गोलागोकर्णनाथ की ‘गुलाबी कोठी’ पर चुनावी हलचल थमी है। ये वही गुलाबी कोठी है जिसने जिले को एक-दो नहीं बल्कि तीन सांसद दिए। अब तक सांसद के तौर पर जिले में हैट्रिक लगाने वाले इसी कोठी के रहने वाले रहे वो भी तीनों लोग।
पूर्णेश वर्मा, लखीमपुर। संसदीय चुनाव के इतिहास में तकरीबन छह दशक बाद ये पहला अवसर है जब गोलागोकर्णनाथ की ‘गुलाबी कोठी’ पर चुनावी हलचल थमी है। ये वही गुलाबी कोठी है, जिसने जिले को एक-दो नहीं, बल्कि तीन सांसद दिए। अब तक सांसद के तौर पर जिले में हैट्रिक लगाने वाले इसी कोठी के रहने वाले रहे, वो भी तीनों लोग।
बात पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. बाल गोविंद वर्मा के परिवार की है, जो खुद चार बार (तीन बार लगातार और एक अन्य बार), उनकी पत्नी ऊषा वर्मा लगातार तीन बार और पुत्र रवि प्रकाश वर्मा भी तीन बार लगातार खीरी के सांसद रहे। वर्ष 1962 में गुलाबी कोठी का संसदीय चुनाव का सफर तब शुरू हुआ, जब बाल गोविंद वर्मा ने पहला चुनाव लड़ा था।
उसके बाद से हर चुनाव में इस कोठी से प्रतिनिधित्व रहा, पर इस बार ऐसा नहीं है। चार बार खीरी से सांसद रहने वाले स्व. बाल गोविंद वर्मा ने कुल पांच चुनाव लड़े थे, जिसमें एक वे हार गए थे। सांसद रहने के दौरान बाल गोविंद वर्मा का निधन होने पर वर्ष 1980 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी खीरी से एमपी बनीं।
उपचुनाव समेत ऊषा वर्मा ने भी कुल पांच लाेकसभा चुनाव लड़े, जिसमें वे शुरुआत में लगातार तीन बार जीतीें और बाद में लगातार दो बार हार गईं। उसके बाद परिवार की राजनीतिक विरासत को बाल गोविंद वर्मा और ऊषा वर्मा के पुत्र रवि प्रकाश वर्मा ने आगे बढ़ाया।
वर्ष 1998 और उसके बाद हुए चार चुनाव रवि प्रकाश वर्मा ने लड़े, जिसमें पहले तीन चुनाव उन्होंने जीते और बाद के दो चुनाव हार गए। वर्ष 2019 के चुनाव में रवि प्रकाश वर्मा की पुत्री डा. पूर्वी वर्मा मैदान में उतरीं, पर हार गईं। इस बार के चुनाव से पहले रवि वर्मा व उनकी पुत्री सपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए।
उनकी पुत्री डा. पूर्वी वर्मा ने कांग्रेस से टिकट की दावेदारी भी की, पर गठबंधन में खीरी सीट सपा के खाते में जाने के कारण वर्ष 1962 के बाद ये पहला चुनाव है जब गुलाबी कोठी पर राजनीतिक हलचल थमी है।
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- 1962 बाल गोविंद वर्मा जीते
- 1967 बाल गोविंद वर्मा जीते
- 1972 बाल गोविंद वर्मा जीते
- 1977 बाल गोविंद वर्मा हारे
- 1980 बाल गोविंद वर्मा जीते
- 1980 (उपचुनाव) ऊषा वर्मा जीतीं
- 1984 ऊषा वर्मा जीतीं
- 1989 ऊषा वर्मा जीतीं
- 1991 ऊषा वर्मा हारीं
- 1996 ऊषा वर्मा हारीं
- 1998 रवि प्रकाश वर्मा जीते
- 1999 रवि प्रकाश वर्मा जीते
- 2004 रवि प्रकाश वर्मा जीते
- 2009 रवि प्रकाश वर्मा हारे
- 2014 रवि प्रकाश वर्मा हारे
- 2019 डा. पूर्वी वर्मा हारीं