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Shradh Paksha 2024 Date: जानिए कब है अनंत चतुर्दशी और पूर्णिमा श्राद्ध, विद्वानों ने दी जानकारी

Shradh Paksha 2024 Date वैदिक विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पवन तांत्रिक ने बताया कि कल 17 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जायेगा। तिथिमान दोपहर 11.24 मिनट तक रहेगा इसके बाद पूर्णिमा का प्रवेश होगा। श्राद्ध में मध्याह्न व अपराह्न काल का ग्रहण किया जाता है। अत मध्याह्न में पूर्णिमा व्याप्त रहने से पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितम्बर को मनाया जायेगा।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 16 Sep 2024 04:25 PM (IST)
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Shradh Paksha 2024 Date: कब है अनंत चतुर्दशी और पूर्णिमा श्राद्ध

जागरण संवाददाता, ललितपुर। .कल 17 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी के साथ ही श्राद्ध पक्ष भी प्रारम्भ हो जायेगा। इसके तहत पूर्णिमा का श्राद्ध भी इसी दिन मनाया जायेगा। वैदिक विद्वत परिषद की बैठक में श्राद्ध पक्ष पर विद्वानों द्वारा शास्त्रीय विचार के पश्चात यह निर्णय लिया गया। सुभाषपुरा स्थित कार्यालय पर वैदिक विद्वत परिषद की बैठक आयोजित की गयी।

बैठक में परिषद के अध्यक्ष आचार्य पवन तांत्रिक ने बताया कि कल 17 सितम्बर को अनन्त चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जायेगा। तिथिमान दोपहर 11.24 मिनट तक रहेगा, इसके बाद पूर्णिमा का प्रवेश होगा। श्राद्ध में मध्याह्न व अपराह्न काल का ग्रहण किया जाता है। अत: मध्याह्न में पूर्णिमा व्याप्त रहने से पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितम्बर को मनाया जायेगा।

लोग 17 सितम्बर को पूर्वाह्न 11 बजे तक अनन्त चतुर्दशी का त्योहार मनाये, तथा भगवान गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन चौकी पर ही 11 बजे तक सम्पन्न कर लें। इसके पश्चात जलाशयों में सुविधा अनुसार प्रतिमाओं का विसर्जन करें। उन्होंने बताया कि 17 सितम्बर से ही पितृ पक्ष प्रारम्भ हो रहे है अत: इस दिन से ही पितृ आवाह्न व तर्पण प्रारम्भ हो जायेगा। लोग अपनी सुविधा के अनुसार गणेश झाँकी स्थलों पर आज 16 सितम्बर को दोपहर बाद हवन-पूजन कर सकते है, जो गणेश प्रतिमा स्थापना का 10 वां दिन भी है।

आचार्य ने शास्त्रीय जानकारी देते हुये बताया कि मृत्यु तिथि नियत होने से ‘सा कर्मकालव्यापनि ग्राहियाÓ इस विधि के अनुसार श्राद्ध के समय तिथि होना आवश्यक है। अत: मध्याह्न काल में पूर्णिमा का श्राद्ध सम्पन्न होगा। बैठक में मुख्य अतिथि पण्डि़त बाबूलाल द्विवेदी ने बताया कि श्राद्ध पक्ष 3 प्रकार से मनाने का विधान है। प्रथम 16 दिन का, द्वितीय 17 दिन का, तृतीय 15 दिन का।

अधिकांशत: यहां पर 16 दिन का पक्ष ही ठीक है। तिथियों में 17 दिन का पक्ष माना जाता है। इस बार आश्विन कृष्ण पक्ष 14 दिन का है। अत: भाद्रपद की चौदस और पूर्णिमा मिलाकर 16 दिन बनते है, जो पितृ तर्पण के लिये उत्तम है। तिथियों के मान्य में कमीवेशी होने के कारण अनर्थ चतुर्दशी से 16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष माना जायेगा। पूर्णिमा तिथि 18 सितम्बर को प्रात: 8.15 बजे तक रहेगी।

इस दिन भी लोग प्रात: 8.15 तक पितृ अवाह्न कर सकते है। बैठक में बृजनारायण मुखरैया, कामता प्रसाद चौबे, बृजकिशोर चौबे, रमाशंकर तिवारी, प्रमोद लिटौरिया, हरिओम दुबे, कृष्णकान्त त्यागी, मौसम त्यागी, रमेश बबेले, संजय कौशिक, दीपेश चौबे, कृष्ण बिहारी मिश्रा, शिव सहाय पाठक, मुन्ना लाल मिश्रा, अशोक त्रिपाठी, दीपक दुबे, हेमन्त पाठक आदि मौजूद रहे। संचालन महामन्त्री कृष्ण देव लिटौरिया ने किया।

17 को मनाया जायेगा पूर्णिमा श्राद्ध

16 दिवसीय श्राद्ध पक्ष के तहत कल 17 सितम्बर को पूर्णिमा श्राद्ध, 18 को प्रतिपदा श्राद्ध, 19 को द्वितीया, 20 को तृतीया, 21 को चतुर्थी, 22 को पंचमी, 23 को षष्ठी, 24 को सप्तमी, 25 को अष्टमी, 26 को नवमी, 27 को दशमी, 28 का एकादशी, 29 को द्वादशी, 30 को त्रयोदशी, 1 अक्टूबर को चतर्दशी श्राद्ध मनाया जायेगा। 2 अक्टूबर को सर्वपैत्री अमावस्या पितृ विसर्जन होगा।

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