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Lalitpur News: दूसरे ने की थी दुर्घटना, निर्दोष को कोर्ट में लड़ना पड़ा 20 वर्षों तक केस

25 अक्टूबर 2000 को मनसुख ने ट्रैक्‍टर से ऑटो में टक्कर मार दी थी जिससे ऑटो में सवार नीरज पाराशर का पैर टूट गया था। उस ट्रैक्टर को एजेंसी मालिक ने फेरन को बगैर बिल काटे दे दिया था दुर्घटना होने पर एजेंसी मालिक के साथ मिलकर षडयन्त्र रचा जिसके तहत उसे सिंचाई विभाग में सरकारी ड्राइवर की नौकरी लगवाने का लालच देकर ड्राइविंग लाइसेन्स की फोटो कॉपी ले ली।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Mon, 18 Mar 2024 03:38 PM (IST)
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ड्राइविंग लाइसेन्स का दुरुपयोग कर फर्जी तरीके से बनाया आरोपी

 जागरण संवाददाता ललितपुर। थाना जाखलौन अन्तर्गत ग्राम गढ़ौलीकलां निवासी मंगल अहिरवार ने सीजेएम न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर बताया कि उसका अपराध एवं अपराधियों से कभी कोई सम्बन्ध व सरोकार नहीं रहा है।

फेरनलाल अहिरवार निवासी मिर्चवारा व हाल निवासी लेड़ियापुरा ने वर्ष 2000 में मवेशी बाजार स्थित एक एजेंसी से ट्रैक्टर खरीदा था, लेकिन पैसा बकाया होने के कारण उस ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन फेरन के नाम से नहीं हो सका, उस ट्रैक्टर को फेरन लाल का बहनोई मनसुख निवासी ग्राम बरौदिया चलाता था।

25 अक्टूबर 2000 को मनसुख ने लापरवाही से चलाकर शहर से स्टेशन जा रही ऑटो में टक्कर मार दी थी, जिससे ऑटो में सवार नीरज पाराशर का पैर टूट गया था। उस ट्रैक्टर को एजेंसी मालिक ने फेरन को बगैर बिल काटे दे दिया था, दुर्घटना होने पर एजेंसी मालिक के साथ मिलकर षडयन्त्र रचा, जिसके तहत उसे सिंचाई विभाग में सरकारी ड्राइवर की नौकरी लगवाने का लालच देकर उसके ड्राइविंग लाइसेन्स की फोटो कॉपी ले ली।

जिसका दुरुपयोग उसने उसके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को सीजेएम न्यायालय के समक्ष आत्मसर्मण कराकर उसे मंगल अहिरवार बताकर उसकी जमानत करायी तथा उसके आत्मसमर्पण प्रार्थना पत्र पर व वकालतनामा पर एवं मुचलका पर उसके फर्जी हस्ताक्षर बनाकर कूटरचना व जालसाजी की। जब उसे अपने ऊपर झूठे मुकदमे की जानकारी हुई तो फेरनलाल को उलाहना दिया।

जिस पर फेरन लाल ने उसे मुकदमे का खर्चा वहन करने का आश्वासन दिया, लेकिन कोई खर्चा नहीं दिया, जबकि उस 20 वर्षों तक झूठे मुकदमे में प्रताड़ित होना पड़ा और 25 फरवरी 2020 को सीजेएम ने उसे दोषमुक्त किया। इसका उलाहना देने पर आरोपियों ने उस पर रिवाल्वर तान कर जान से मारने की धमकी दी, मौजूद लोगों ने उसे बचाया।

जिससे न्यायालय ने एफआइआर के आदेश कर दिए, जिसके अनुपालन में कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 200,201, 206, 211, 419, 467, 468, 120बी के तहत केस पंजीकृत कर विवेचना शुरू कर दी है।