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फर्जी कागजात बनवाकर मुख्य आरक्षी बना, मामला खुला तो...ऐसे बनाई पुलिस की नौकरी पाने की तरकीब

ललितपुर में एक मुख्य आरक्षी तथ्य छिपाकर पुलिस विभाग में भर्ती हो गया और नौकरी करने लगा। इस फर्जीवाड़े में लिपिक की भी मिलीभगत थी। मामला जब खुला तो जांच हुई। जांच पड़ताल में अनियमितता पाई गई। जिसके बाद एसपी ने मुख्य आरक्षी पर मुकदमा दर्ज कराया है। बता दें कि मुख्य आरक्षी का भाई भी मृतक आश्रित के कागजात पर गोंडा में नौकरी पाया था।

By Anoop Sen Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sat, 16 Nov 2024 09:39 PM (IST)
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एसपी ने फर्जी तरीके से नौकरी पाने वाले युवक पर मुकदमा दर्ज कराया है। (प्रतीकात्मक तस्वीर) जागरण।
जागरण संवाददाता, ललितपुर। जिले में एक मुख्य आरक्षी ने फर्जी तरीके से पुलिस विभाग में नौकरी प्राप्त कर ली। इतना ही नहीं, तत्कालीन भर्ती लिपिक ने जानबूझकर आरक्षी की भर्ती से संबंधित रिकॉर्ड प्रधान लिपिक शाखा से गायब कर दिए। अब जब जांच पड़ताल होने के बाद यह बात सामने आई है कि मुख्य आरक्षी ने सेवायोजन नियमावली के विरुद्ध नौकरी प्राप्त की थी, जिसमें भर्ती लिपिक की भी मिलीभगत रही। इसे गम्भीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक ने दोनों कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करा दिए हैं।

महोबा एसपी के पत्र पर तत्कालीन अपर एसपी ने की थी जांच

फतेहपुर के रहने वाले रामबिहारी ने महोबा एसपी को प्रार्थना भेजा था। जिसमें उन्होंने मुख्य आरक्षी अखिलेश कुमार तिवारी पर फर्जी अंकपत्र व मृतक आश्रित नियमावली के विरुद्ध सेवायोजन का लाभ लेने का आरोप लगाया था। आवेदक ने बताया था कि मृतक नियमावली के तहत मृतक कर्मचारी के परिजनों में से एक ही व्यक्ति को सेवायोजन का लाभ मिल सकता है, जबकि अखिलेश कुमार तिवारी के अनुसार उसका तथा भाई दोनों व्यक्तियों का सेवायोजन मृतक आश्रित नियमावली के अंतर्गत दिया गया है। जिसमें प्रथम दृष्टया अनियमितता का होना परिलक्षित हो रहा है, इसलिए दोनों आरक्षी अलिखेश कुमार तिवारी एवं प्रमोद कुमार तिवारी के सेवायोजन की वैधानिकता सत्यापित करने के लिए जिले के तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक गिरिजेश कुमार को जांच सौंपी गई थी।

अपर पुलिस अधीक्षक की जांच में उजागर हुआ यह फर्जीवाड़ा

जांच में पता चला कि मुख्य आरक्षी अखिलेश कुमार तिवारी के खिलाफ उसके छोटे भाई प्रमोद कुमार तिवारी की पत्नी राधा ने अपर पुलिस महानिदेशक प्रयागराज जोन प्रयागराज को शिकायती पत्र दिया था, जिस पर जनपद महोबा में आरक्षी अखिलेश कुमार तिवारी के खिलाफ धारा 419,420, 467, 468, 471 के तहत केस पंजीकृत कराया गया था। यहां अपराध प्रमाणित होने पर 23 अगस्त 2023 को प्रेषित किए गए थे।

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मुख्य आरक्षी अखिलेश कुमार तिवारी ने अपने पिता मुख्य आरक्षी स्वर्गीय बाबूराम के मृतक आश्रित के रूप में फर्जीवाड़ा किया था। फर्जी शैक्षिक प्रपत्रों व दस्तावेज के आधार पर 1988 में भर्ती हो जाने के बाद छोटा भाई प्रमोद तिवारी तथ्यों को छिपाकर पुन: मृतक आश्रित के रूप में पुलिस विभाग में भर्ती के लिए आवेदन करते हुए गोण्डा जनपद में भर्ती हो गया था, जो कि प्रथम दृष्टया अपराध है।

मिलीभगत के चलते तत्कालीन भर्ती लिपिक ने गायब कर दिए अभिलेख

जांच में यह भी पता चला है कि जनपद में मुख्य आरक्षी प्रमोद कुमार तिवारी की मृतक आश्रित के रूप मेंं वर्ष 1991 में भर्ती होने के रजिस्टरों, प्रपत्रों को जनपद की प्रधान लिपिक शाखा के तत्कालीन लिपिक एवं प्रधान लिपिक ने मृतक आश्रित रजिस्टर व रिकार्ड रूम से स्थायी रजिस्टर को तत्कालीन लिपिक ने जानबूझ कर गायब कर दिया था। इसे गम्भीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक मोहम्मद मुश्ताक के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कार्यरत निरीक्षक भर्ती लिपिक अरूण कु मार मौर्य की तहरीर पर मुख्य आरक्षी के साथ ही तत्कालीन भर्ती लिपिक के खिलाफ धारा 409, 420 के तहत सदर कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कराया है।

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