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सीओ जियाउल हत्याकांड में 10 दोषी करार, नौ अक्टूबर को सुनाई जाएगी सजा; एक बरी

प्रतापगढ़ के कुंडा में सीओ जियाउल हक के हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने 10 आरोपियों को दोषी करार दिया। ये आरोपी बलीपुर गांव में 2013 में हुए तिहरे हत्याकांड में शामिल थे जिसमें सीओ जियाउल हक और दो अन्य की हत्या हुई थी। सभी दोषियों को 9 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी। इस मामले में एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।

By ayushman pandey Edited By: Shivam Yadav Updated: Sat, 05 Oct 2024 02:46 AM (IST)
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न्यायालय ने सभी दोषियों को 9 अक्टूबर को सजा सुनाने के लिए जेल से तलब किया है।

विधि संवाददाता, लखनऊ। प्रतापगढ़ के कुंडा में सीओ जियाउल हक के चर्चित हत्याकांड में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश धीरेंद्र कुमार ने दस को दोषी करार दिया है। जिनमें फूलचंद्र, पवन यादव, मंजीत, घनश्याम सरोज, रामलखन गौतम, छोटे लाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पटेल उर्फ बुल्ले पटेल हैं। सभी को जेल भेज दिया गया। 

साथ ही न्यायालय ने सभी को 9 अक्टूबर को सजा सुनाने के लिए जेल से तलब किया है। वहीं, न्यायालय ने एक आरोपी सुधीर को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश भी दिया है।

अभियोजन साक्ष्य के अनुसार, दो मार्च 2013 को शाम साढ़े सात बजे जमीन के एक पुराने विवाद के चलते प्रतापगढ़ कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की कुछ लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। 

हत्याकांड की सूचना पर उनके समर्थकों की बड़ी संख्या उनके गांव पहुंच गई और उनके विरोधी कामता पाल के घर को आग के हवाले कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस दल के साथ सीओ कुंडा जियाउल हक, तत्कालीन हाथीगवां थाना प्रभारी मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा थाना प्रभारी सर्वेश मिश्र भी घटनास्थल पर पहुंचे। 

मौके पर उग्र भीड़ ने पुलिस को घेर लिया। मौके पर सीओ ने भीड़ को समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन उसी समय हुई झड़प में मृतक प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली लगने से मौत हो गई। 

भीड़ का उग्र प्रदर्शन देख कर मौके से पुलिस दल भाग गया। उग्र भीड़ ने सीओ जियाउल हक को पकड़ लिया और उनकी पिटाई करने के बाद गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी। 

मौके पर दोबारा पहुंचे पुलिस दल ने सीओ को तलाश की रात लगभग 11 बजे मृतक सीओ का शव प्रधान के घर के पीछे मिला। उस तिहरे हत्या कांड को लेकर कुल चार मुकदमे दर्ज किए गए थे। 

थाना प्रभारी हथिगवां मनोज शुक्ला ने पहला मुकदमा मृतक प्रधान नन्हे यादव के भाईयो और बेटे समेत दस लोगो के खिलाफ दर्ज कराया था। वहीं, प्रधान नन्हे यादव और सुरेश यादव की हत्या को लेकर भी मुकदमा कराया गया था। 

मृतक सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने इस मामले में आखिरी मुकदमा दर्ज कराया था। तत्कालीन सरकार ने मामले की संगीनता को देखते हुए विवेचना पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी थी। 

इसके पहले न्यायालय में जमानत पर चल रहे सभी दोषी हाजिर हुए, जहां से न्यायालय ने सभी लोगों को दोषी ठहराते हुए न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए जेल भेजने का आदेश दिया।

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