यूपी के 11 सबसे पुराने शिक्षा संस्थान, जहां से देश को मिली अटल बिहारी और एनआर नारायणमूर्ति जैसी शख्सियतें
यूपी आदिकाल से शिक्षा का गढ़ रहा है। काशी में दूर-दूर से लोग शिक्षा प्राप्त करने आते थे। गोस्वामी तुलसी दास ने महाकाव्य रामचरितमानस की रचना भी काशी में ही की थी। देश के 9वें राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने यूपी के ही एक संस्थान से शिक्षा प्राप्त की थी।
By Prabhapunj MishraEdited By: Updated: Fri, 12 Aug 2022 01:28 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश कई मायनों में बेहद खास है। बात अगर शिक्षा की करें ताे यूपी ने देश को रामनाथ कोविंंद जैसे राष्ट्रपति और अटल बिहारी वाजपेई जैसे प्रधानमंत्री देने के साथ इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति जैसे बिजनेसमैन भी दिए है। इन सभी में एक बात कामन है और वो यह कि इन सभी ने यूपी में ही शिक्षा प्राप्त की है। हम आपको आज प्रदेश के 11 सबसे पुराने शिक्षा संस्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां से देश को कई शख्सियतें मिली हैं।
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक केंद्र कानपुर को एशिया का मेनचेस्टर (मेनचेस्टर शहर बीते कई दशकों से उद्योग का एक बड़ा केंद्र है) माना जाता था। कानपुर भारत का ऐसा एकमात्र शहर था, जहां सबसे ज्यादा कपड़ा उत्पादन होता था। कानपुर शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणीय है। यहां के डीएवी कालेज से भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने शिक्षा प्राप्त की थी। इतना ही नहीं देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी कानपुर से ही शिक्षा प्राप्त की थी।
- IIT कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना 1960 ई. में की गई थी। एशिया के टाप-65 और देश के टाप-6 में आईआईटी कानपुर का नाम रह चुका है। इसके प्रमुख छात्रों में इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति, भारतीय रिजर्व बैंक के 22वें गवर्नर डी सुब्बाराव, अनिल के राजवंशी, प्रोफेसर एचसी वर्मा और उत्तर प्रदेश के वर्तमान अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी शामिल हैं।
- NSI कानपुर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान शर्करा प्रौद्योगिकी में अनुसंधान के लिये एक अखिल भारतीय संस्थान है। कानपुर में इसकी स्थापना 1936 में की गई थी। इसका प्रमुख कार्य शर्करा रसायन शास्त्र, शर्करा प्रौद्योगिकी, शर्करा अभियांत्रिकी तथा समवर्गी क्षेत्रों की सभी शाखाओं में तकनीकी शिक्षा और अनुसन्धान में प्रशिक्षण प्रदान करना तथा अनुसन्धान का प्रबंध करना है।
- HBTU कानपुर: हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय कानपुर उत्तर प्रदेश सरकार का तीसरा प्राविधिक विश्वविद्यालय है। पूर्व में इसका नाम था हरकोर्ट बटलर तकनीकी संस्थान था। यह भारत के सबसे पुराने प्रौद्योगिकी संस्थानों में एक है। इसे 2016 में विश्वविद्यालय का दर्जा मिला है। यह संस्थान इंजीनियरी विषयों में स्नातक, परास्नातक और शोध डिग्रियां देने के अतिरिक्त बिजनेस ऐडमिनिस्ट्रेशन और कम्प्युटर अनुप्रयोग में मास्टर डिग्री प्रदान करता है।
- GSVM मेडिकल कालेज कानपुर: गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित, एक मेडिकल कॉलेज है। इस कालेज का नाम गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम पर रखा गया है, जो कानपुर के एक प्रमुख पत्रकार तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्ष वर्धन ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की है।
- CSJMU कानपुर: छत्रपती शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की स्थापना 1966 में हुई थी। उस समय इसका नाम कानपुर विश्वविद्यालय था। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कानपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र है। इससे संबद्ध डीएवी कालेज से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने पढ़ाई की थी।
- KGMU लखनऊ: किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय भारत के प्रसिद्ध और उत्तर प्रदेश के उत्कृष्ट आयुर्विज्ञान संस्थान में से एक है। इसकी स्थापना 1911 में हुई थी। तब इसका नाम किंग जार्ज मेडिकल कालेज था। वर्ष 2002 में इसे अपग्रेड कर किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय बनाया गया। एम्स जोधपुर के डायरेक्टर डा संजीव मिश्रा ने किंग जार्ज मेडिकल कालेज से एमबीबीएस किया था। वो एम्स ऋषिकेश में डायरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं।
- बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान: इस की स्थापना 3 अप्रैल, 1949 को हुई थी। इसका नाम इसके संस्थापक प्रसिद्ध पुरावनस्पति वैज्ञानिक बीरबल साहनी के नाम पर रखा गया है। बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान लखनऊ का एक पुरावनस्पतिविज्ञान पर अनुसंधान संस्थान है। यह भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। इसकी नींव भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी।
- लखनऊ विश्वविद्यालय भारत में उच्च शिक्षा के सबसे पुराने सरकारी स्वामित्व वाले संस्थानों में से एक है। इसकी स्थापना 1921 में हुई थी । यह भारत के प्रमुथ विश्वविद्यालयों में से एक है। भारत के 9वें राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की थी। क्रिकेटर सुरेश रैना लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं।
काशी विश्व के प्रचाीन शहरों में से एक है। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के लिए काशी महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं। जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस भी यहीं लिखा था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- BHU वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसे बीएचयू (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) के नाम से जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, सन् 1915) महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् 1916 में बसंत पंचमी के पावन दिन की गई थी। असम के बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक भूपेन हाजरिका ने बीएचयू से पढ़ाई की थी। पद्म श्री (1974), पद्म विभूषण (1985), भारत रत्न (2013) से सम्मानित सी एन आर राव यहां के छात्र हैं।
- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय: यूपी के वाराणसी में स्थित सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय संस्कृत से सम्बन्धित विषयों पर उच्च शिक्षा का केन्द्र है। इस संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना 1791 में की गई थी। तब इस विद्यालय का नाम शासकीय संस्कृत महाविद्यालय था। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया था।