अक्षय नवमी के मुहूर्त से पहले रामनगरी अयोध्या में शुरू हुई 14 कोसी परिक्रमा, उमड़ा आस्था का सैलाब
Ayodhya 14 Kosi Parikrama 14 कोस यानी 40 किलोमीटर से अधिक की दूरी नाप कर आस्था अर्पित करने वालों के समूह में युवा और लंबा सफर कर सकने वाले स्वस्थ युवा तो थे ही बच्चे महिलाएं और बुजुर्ग भी परिक्रमा करने वालों में समान रूप से शामिल थे।
अयोध्या, जेएनएन। रामनगरी अयोध्या में शुक्रवार को आस्था के आवेग से आप्लावित श्रद्धालुओं का समूह इतना उमड़ पड़ा कि यहां पर अक्षय नवमी के मुहूर्त से पहले ही 14 कोसी परिक्रमा शुरू कर दी गई। अक्षय नवमी की पावन तिथि का मुहूर्त शुक्रवार को सुबह 10:22 से शुरू हो रहा था।
रामनगरी में इसी मुहूर्त में रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा शुरू होनी थी किंतु आस्था के आवेग से आप्लावित श्रद्धालुओं का समूह अक्षय नवमी का मुहूर्त लगने के पूर्व ही 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर उमड़ पड़ा। 14 कोस यानी 40 किलोमीटर से अधिक की दूरी नाप कर आस्था अर्पित करने वालों के समूह में युवा और लंबा सफर कर सकने वाले स्वस्थ युवा तो थे ही बच्चे महिलाएं और बुजुर्ग भी परिक्रमा करने वालों में समान रूप से शामिल थे। इनमें अधिकांश मौन के साथ आराध्य की नगरी की परिक्रमा कर रहे थे तो कुछ जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए आगे बढ़ रहे थे।
मुहूर्त शुरू होने के कुछ पलों बाद ही परिक्रमा मार्ग श्रद्धालुओं से पट गया और ऐसा प्रतीत होने लगा की राम नगरी के चारों ओर आस्था की वृहद माला सज्जित हो गई हो। आस्था की माला में कुछ कुछ अंतराल पर आस्था का शिखर भी परिभाषित हो रहा होता है। परिक्रमा मार्ग से जुड़ते नाकों नुक्कड़ पर एक साथ श्रद्धालुओं का समूह परिक्रमा करने वालों की आस्था की धार में शामिल होता।
रामनगरी की रज शिरोधार्य करता और पूरे वेग से परिक्रमा मार्ग पर आगे बढ़कर आस्था शिरोधार्य कर रहा होता है। लक्ष्मण घाट सरयू तट बंधा तिराहा राम घाट चौराहा सूर्यकुंड जनौरा नाका हनुमानगढ़ी गुप्तार घाट आदि से होती हुई आस्था की माला पूरे वैभव से गतिमान रही। परिक्रमा का मुहूर्त शनिवार को सुबह 6:00 बज कर 33 मिनट तक है और तब तक आस्था का यह ज्वार विभिन्न भावों मूल्यों और साधना के अनेकानेक सोपानो को पार करता हुआ मिसाल कायम कर चुका होगा।
रामनगरी अयोध्या में राम जन्मभूमि के पक्ष में नौ नवंबर 2019 को आए सर्वोच्च निर्णय के बाद यह अयोध्या का पहला मेला और पहली परिक्रमा है जो कोरोना संकट के साये से मुक्त है । संभवत: यही कारण है कि कोरोना संक्रमण से आस्था की मंद पड़ी धार इस बार सूत ब्याज सहित पूरी प्रबलता से प्रवाहित हो रही है ।