डेढ़ लाख रुपये का वेतन… बस होना चाहिए ये हुनर, यूपी के मजदूरों को इजरायल में मिल रही नौकरी, ऐसे करें अप्लाई
हमास के साथ युद्ध लड़ रहे इजरायल में निर्माण श्रमिकों की बड़ी किल्लत हो गई है। वहां इस कमी को पूरा करने के लिए भारत से एक लाख निर्माण श्रमिकों की मांग की गई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार चार प्रकार के निर्माण कार्यों से जुड़े करीब 10 हजार कामगारों को वहां भेजने की कोशिश में जुट गया है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। हमास के साथ युद्ध लड़ रहे इजरायल में निर्माण श्रमिकों की बड़ी किल्लत हो गई है। वहां इस कमी को पूरा करने के लिए भारत से एक लाख निर्माण श्रमिकों की मांग की गई है।
ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार चार प्रकार के निर्माण कार्यों से जुड़े करीब 10 हजार कामगारों को वहां भेजने की कोशिश में जुट गया है। इनमें सिरेमिक टाइल कार्य, प्लास्टरिंग, फ्रेम वर्क/शटरिंग कारपेंटर और आयरन वेल्डिंग का काम करने वाले निर्माण श्रमिकों की मांग को पूरा करने के लिए 23 जनवरी से चयन परीक्षा शुरू होगी और 30 जनवरी तक चलेगी।
इस वेबसाइट से करें आवेदन
इच्छुक अभ्यर्थी वेबसाइट www.nsdcjobx.com के माध्यम से आनलाइन आवेदन कर सकते हैं। व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश भर के इच्छुक अभ्यर्थियों की परीक्षा के लिए राजधानी स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई), अलीगंज को परीक्षा केंद्र बनाया गया है। इजरायल के विशेषज्ञों की टीम ही जरूरत के अनुसार निर्माण श्रमिकों का चयन करेगी।चयन परीक्षा के लिए उनकी जरूरत के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर आईटीआई अलीगंज में तैयार कर लिया गया है। शनिवार को निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन कुणाल सिल्कू ने इस परीक्षा केंद्र का निरीक्षण किया और तैयारियों के बारे में जानकारी ली।
करीब 1.37 लाख रुपये वेतन
चयनित निर्माण श्रमिकों को इजरायली मुद्रा में 6,100 शेकेल (करीब 1.37 लाख रुपये) प्रति महीने वेतन दिया जाएगा।काम करने के इच्छुक निर्माण श्रमिकों की आयु सीमा 21 वर्ष से 45 वर्ष तक होनी चाहिए।
न्यूनतम शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल उत्तीर्ण होने के साथ-साथ उन्हें संबंधित निर्माण क्षेत्र में कम से कम तीन वर्ष का अनुभव होना जरूरी है। वे मामूली तौर पर अंग्रेजी बोल व समझ सकते हों और उन्हें निर्माण ड्राइंग पढ़नी आती हो। इजरायल में काम करने के लिए निर्माण श्रमिकों की संविदा अवधि न्यूनतम एक वर्ष और अधिकतम पांच वर्ष होगी।वे छुट्टी लेकर स्वयं के खर्च पर भारत आ सकेंगे। कामगारों के ठहरने का व्यय सेवायोजक वहन करेंगे, जबकि खानपान का खर्च उन्हें खुद उठाना होगा।
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