रक्षा सूत्र में बंध गए लखनऊ के 27 पेड़, विरासत में दर्ज हो चुका है इन पेड़ों का नाम; यहां पढ़ें पूरी खबर
पेड़ भी सुरक्षित रहें और हर कोई उसकी सुरक्षा करे। इस संदेश को लेकर लखनऊ के विरासत की श्रेणी में शामिल 27 पेड़ों को रक्षा सूत्र में बांधा गया है। इन पेड़ों की उम्र सौ से डेढ़ सौ वर्ष तक है। इसमें कई पेड़ ऐतिहासिक हैं।
By Vikas MishraEdited By: Updated: Mon, 30 Aug 2021 03:40 PM (IST)
लखनऊ, जागरण संवाददाता। पेड़ भी सुरक्षित रहें और हर कोई उसकी सुरक्षा करे। इस संदेश को लेकर लखनऊ के विरासत की श्रेणी में शामिल 27 पेड़ों को रक्षा सूत्र में बांधा गया है। इन पेड़ों की उम्र सौ से डेढ़ सौ वर्ष तक है। इसमे कई ऐसे भी पेड़ हैं, जो अंग्रेजी हुकुमत से आजादी पाने के संघर्ष का भी गवाह हैं। इतनी लंबी अवधि से पर्यावरण संरक्षण का केंद्र बने प्रदेश भर में विरासत का दर्जा पाए लखनऊ के 27 पेड़ को भी जगह मिली थी। खास यह है कि विरासत पेड़ों की कॉफी टेबल बुक तैयार चुकी है।
इसमे चिड़ियाघर के तीन परिजात के पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधा गया है। ये पेड़ चिडि़घाघर की स्थापना से पहले के हैं। प्रभागीय वनाधिकारी अवध क्षेत्र डा. आरके सिंह ने बताया कि एक सप्ताह के अभियान के दौरान विरासत में दर्ज 27 पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधा गया है। इसमे स्थानीय निवासियों को भी जोड़ा गया, जिससे वह रक्षा सूत्र बांधने के बाद पेड़ों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान दें। उन्होंने बताया कि आगे भी जन सहभागिता से इसी तरह का रक्षा सूत्र का कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिससे लोग खुद से पेड़ों की सुरक्षा पर अग्रणी भूमिका निभा सकें। जैसे चिनहट में पीपल का डेढ़ सौ वर्ष पुराना वृक्ष है। अब इस पेड़ पर भी रक्षा सूूत्र बांधा गया है, जिससे लोगों का जुड़ाव उसके तरफ अधिक बढ़ सके।
ये पेड़ भी रक्षा सूत्र से बंधे
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- गोखले मार्ग पर दिवंगत कांग्रेसी नेता शीला कौल के आवास में लगा बरगद का पेड़ भी महात्मा गांधी ने रोपा था। लखनऊ प्रवास के दौरान गांधी जी ने मार्च 1936 में जो पौधा लगाया था। कुकरैल रेंज में आम का पेड़ उम्र 150
- बक्शी का तालाब के तिवारी पुर रेंज पीपल का पेड़ उम्र 100 वर्ष
- धार्मिक मान्यता के चलते यहां के निवासी ही इस पेड़ की सुरक्षा का जिम्मा उठाए हैं।
- नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान (चिडिय़ाघर) में तीन परिजात के पेड़ हैं। इसमे दो की उम्र 125-125 वर्ष है तो एक 130 वर्ष का है। इसमे एक पेड़ में खास तरह का फल निकलता है। इस फल में अंदर बीज होता है, जिसके ऊपर सफेद रंग की परत होती है। यहां पर इसे विलायती इमली कहते हैं। इसका स्वाद भी खट्टा होता है।
- चिडिय़ाघर में भी अरू का पेड़ उम्र 105 वर्ष
- दशहरी गांव का दशहरी पेड़ उम्र 200 वर्ष विश्व प्रसिद्ध दशहरी आम का मात वृक्ष (मदर ट्री) होने के कारण वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण व आकर्षण का केंद्र है।
- लखनऊ विश्वविद्यालय कैलाश छात्रावास के मेन गेट पर बरगद का पेड़ उम्र 150 वर्ष
- बैकुंठधाम खन्ना भट्टा सरोजनीनगर पीपल उम्र 100 वर्ष
- मलिहाबाद रेंज में मंझी निकरोजपुर बरगद का पेड़ उम्र सौ वर्ष
- गेहनाकला रेंज कुकरैल आम का पेड़ उम्र 150
- चौधरी पुरवा रेंज कुकरैल पीपल उम्र 100 वर्ष
- शिवानी विहार कुकरैल पीपल 100 वर्ष
- कल्याणपुर कामाख्या रेंज कुकरैल बरगद उम्र 100 वर्ष
- रसूलपुर सादत रेंज कुकरैल पीपल उम्र 100 वर्ष
- जगपाल खेड़ा रेंज कुकरैल नीम उम्र 100 वर्ष
- बेहटा बाजार बरगद उम्र 100 वर्ष
- विज्ञान पुरी भरवारा में पीपल के दो पेड़ दोनों की उम्र्र 150 वर्ष
- सिकंदरपुर खुर्द आम उम्र 150 वर्ष
- अजनाहर रेंज कुकरैल बरगद उम्र 100 वर्ष
- रजौली रेंज बरगद उम्र 100 वर्ष
- बरघुरदासपुर कुकरैल रेंज पीपल उम्र 100 वर्ष
- लखनऊ विश्वविद्यालय के पुराने कैम्पस में बरगद उम्र 105 वर्ष
- लखनऊ विश्वविद्यालय के पुराने कैम्पस में पाकड़ का पेड़ उम्र 104 वर्ष
- रेजीडेंसी परिसर बरगद उम्र 102 वर्ष
- इस पेड़ ने देखी थी जंग
- राष्ट्रीय वनास्पति अनुसंधान केंद्र (एनबीआरआई) परिसर में लगे बरगद के पेड़ पर चढ़कर वीरांगना ऊदा देवी ने चढ़कर अंग्रेजी सैनिकों से मोर्चा संभाला था और कई अंग्रेजी सैनिक को मार गिराया था।