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26 बच्चों के साथ ट्रेन में सफर कर रहा था व्यक्ति, पुलिस को हुआ शक; पूछताछ करने पर पैरों तले खिसक गई जमीन

ट्रेन से उतारकर ठेकेदार से पूछताछ हुई तो उसने बताया कि बच्चों के माता- पिता व परिजनों को पैसो का लालच व एडवांस देकर बाल श्रम के लिए उत्तर प्रदेश के चंदौली वाराणसी व जौनपुर और बिहार के भभुआ से उनको अमृतसर ले जाया जा रहा था। बता दें कि काफी दिनों से ट्रेनों में पुलिस की ओर से अभियान चलाया जा रहा है।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Updated: Sat, 13 Jul 2024 05:35 PM (IST)
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पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के जवानों की सतर्कता के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार से बाल मजदूरी के लिए मानव तस्कर कर ले जाए जा रहे 26 बच्चों को बेगमपुरा एक्सप्रेस से बरामद किया गया। इन बच्चों को मानव तस्करों के चंगुल से मुक्त कराकर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया। वहीं, मानव तस्करी में लिप्त दो ठेकेदारों को गिरफ्तार किया गया है।

ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते में पकड़े गए तस्कर 

उत्तर रेलवे लखनऊ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त देवांश शुक्ल ने अपने जवानों को और अधिक सतर्कता बरतने के लिए विशेष तैयारी की है। इसके के तहत लंबी दूरी की ट्रेनों की सभी बोगियों पर आपरेशन नन्हें फरिश्ते के तहत मानव तस्करी को लेकर विशेष निगरानी की जा रही है। शुक्रवार शाम ट्रेन नंबर 12237 वाराणसी-जम्मूतवी बेगमपुरा एक्सप्रेस लखनऊ स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर छह पर शाम 5:15 बजे आयी थी।

एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट(एएचटीयू ) टीम, आरपीएफ टीम और बचपन बचाओ आंदोलन के साथ लखनऊ स्टेशन पर ट्रेनों की जांच हो रही थी। इस बीच बेगमपुरा एक्सप्रेस की महिला बोगी के बगल वाले जनरल कोच में एक संदिग्ध व्यक्ति के साथ कुछ नाबालिग बच्चे दिखाई दिए। इन लोगों से आरपीएफ ने पूछताछ की।

अमृतसर लेकर जा रहा था बच्चों को 

पता चला कि बच्चे ठेकेदार के साथ अमृतसर में नाशपाती का काम करने के लिए जा रहे थे। जानकारी पाकर आरपीएफ ठेकेदार के पास पहुंची। आरपीएफ ने सभी बच्चों को चाइल्ड हेल्प लाइन को सौंप दिया। वहीं, दोनों ठेकेदारों को मानव तस्करी में संलिप्त पाए जाने पर उनको जेल भेज दिया।

सुरक्षित रेल यात्रा के साथ-साथ मानव और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए विशेष प्रकार की निगरानी की जा रही है। आपरेशन नन्हें फरिश्ते के तहत आरपीएफ बल को संवेदनशील बनाया गया है। इसी के तहत 26 बाल श्रमिकों को मुक्त कराने में सफलता मिली है।

देवांश शुक्ल, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त, उत्तर रेलवे, लखनऊ

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