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Web Series Mirzapur-3 की शूटिंग करने बाराबंकी पहुंचे Actor Pankaj Tripathi, दिए सफलता के टिप्‍स

Actor Pankaj Tripathi बाराबंकी जिले के बड़ागांव में Web Seried Mirzapur-3 की शूटिंग करने पहुंचे। उन्होंने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में अपने जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की। साथ ही युवा पीढ़ी को सफलता का सही अर्थ भी समझाया।

By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 02:33 PM (IST)
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बाराबंकी पहुंचे Actor Pankaj Tripathi ने बताया सफलता का असली महत्‍व।

बाराबंकी, जागरण संवाददाता। बिहार के एक गांव से सपनों की गठरी लेकर निकला एक व्यक्ति जब संघर्ष की भट्टी में तपा तो लोगों ने उसे पंकज त्रिपाठी के नाम से जाना। आज उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है, अगर अब भी स्मृति के दरवाजे से कुहासा न छटा हो तो मिर्जापुर वाले कालीन भैया को याद कर लीजिए।

पंकज त्रिपाठी जिले के बड़ागांव में वेब सीरीज मिर्जापुर पार्ट-3 की शूटिंग के सिलसिले में आए थे। इस दौरान उन्होंने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में अपने जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की। साथ ही, युवा पीढ़ी को सफलता का सही अर्थ भी समझाया। संवाददाता आनंद त्रिपाठी की अभिनेता पंकज त्रिपाठी से हुई बातचीत के अंश...

प्रश्न : कामयाबी का अर्थ आपके लिए क्या है?

उत्तर : कामयाबी का अर्थ है सफल होने के बाद दूसरों के काम आना। हम सफल अपने लिए होते हैं, पर जीवन सार्थक तभी होता है जब दूसरों के काम आते हैं।

प्रश्न : एक समय था जब आपने मनोज बाजपेयी के चप्पलों को याद के तौर पर संभाल के रखा था। आज उन्हीं के साथ आप काम कर रहे हैं। सफलता की सूची में इस घटना को किस पायदान पर रखेंगे?

उत्तर : इस घटना में सिनेमाई तत्व ज्यादा हैं कि एक अभिनेता के चप्पलों को संभालना और कालांतर में खुद अभिनेता बन जाना। यह सौभाग्य है मेरा कि मैंने उनके साथ काम किया और कई अवार्ड भी उनके साथ मिले।

प्रश्न : एक्टर से अपेक्षा होती है कि राजनीतिक घटनाओं पर अपनी बात रखें, लेकिन कलाकार चुनिंदा मुद्दों पर ही क्यों बोलते हैं?

उत्तर : नहीं, कलाकार का राजनीतिक घटनाक्रम पर बोलना जरूरी नहीं है, जब तक उसे राजनीतिक घटनाक्रम या समाज की नब्ज की जानकारी न हो। मुझे लगता है कि एक्टर का माध्यम सिनेमा है उसे जो भी कहना हो, सिनेमा के माध्यम से कह सकता है। जैसे एक पेंटर पेंटिंग और कवि कविता के माध्यम से अपनी बात कहता है, उसी तरह अभिनेता रंगमंच के माध्यम से अपनी बात कहता है। कई लोग चर्चा का विषय बनने के लिए राजनीतिक बातें करते रहते हैं।

प्रश्न : आपकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट कौन सा है। एनएसडी में दाखिला, गैंग्स आफ वासेपुर या मिर्जापुर?

उत्तर : तीनों हैं। एनएसडी में दाखिला न होता तो शायद हिम्मत ही नहीं होती मुम्बई जाने की। वासेपुर ने पहचान दी, मिर्जापुर ने मास आडियंस तक पहुंचाया। मेरी यात्रा पहाड़ी नदी की तरह है, मुझे जहां ढलान मिली मैं बहता चला गया, बहुत प्लानिंग नहीं करता। मेरी यात्रा और मैं एकदम आर्गेनिक हूं।

प्रश्न : कालीन भैया में पंकज त्रिपाठी कितने हैं?

उत्तर : बिल्कुल नहीं हैं। खाली साफ्ट स्पोकेन वाला आचरण है, क्योंकि मैं भी काफी धीमे बात करता हूं। आप लुकाछिपी और लूडो देख लीजिए, उसमें भी मैं गैंगस्टर हूं, लेकिन वह कालीन भैया से एकदम अलग है। ऐसी भूमिकाएं निभाना कठिन होता है। मैं इनमें कहीं नहीं हूं।

प्रश्न : आजकल फिल्मों के बायकाट का ट्रेंड चल रहा है। इसको आप कैसे देखते हैं?

उत्तर : मैं फिल्म इंडस्ट्री का प्रतिनिधि नहीं हूं और न ही फिल्म इंडस्ट्री कोई एक संस्था है। बहुत अलग-अलग लोग और कम्पनियां मिलकर फिल्म बनाती हैं। बतौर अभिनेता इस पर तो कोई राय नहीं है, पर एक नागरिक की हैसियत से मैं यह कहूंगा कि सबको सहमति और असहमति दर्ज कराने की छूट होनी चाहिए, क्योंकि यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।

प्रश्न : नए कलाकारों के लिए आपका संदेश?

उत्तर : मेहनत करें अभी ओटीटी प्लेटफार्म आने से काम बहुत बढ़ गया है, सबको काम मिल रहा है। इस फील्ड में मेहनत और आत्म मूल्यांकन करते रहना चाहिए ताकि यह पता रहे कि आप अपनी कला में कहां पर स्टैंड करते हैं। सिर्फ ग्लैमर और पैसे का काम नहीं है इंडस्ट्री में। आर्ट की भूख और कला की बारीकियों की समझ होनी चाहिए।

प्रश्न : बच्चों को समय दे पाते हैं और किन बातों की चर्चा होती है उनसे?

उत्तर : मेरा सारा प्राइम कन्सर्न मेरा परिवार है, उसके बाद सिनेमा है। इसलिए मैं फिल्मी पार्टियों में नहीं जाता, क्योंकि काम खत्म होने के बाद तुरंत घर जाता हूं। हर तीन महीने में गांव भी जाता हूं। अभी पिछले दिनों ही मैं बनारस में था।

प्रश्न : मुम्बई में गांव को याद करते हैं?

उत्तर : मैं मुम्बई में भी गांव में रहता हूं। समंदर किनारे मड आइलैंड में छोटा सुंदर सा गांव, जहां बिल्डिंग नहीं हैं, सिर्फ घर हैं। वहीं रहता हूं।

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