'राकेट्री: द नांबी इफेक्ट' फिल्म का प्रमोशन करने लखनऊ पहुंचे अभिनेता आर माधवन, इसरो साइंटिस्ट का अदा कर रहे रोल
अपने निर्देशन में बनी पहली फिल्म रॉकेट्री द नांबी इफेक्ट के प्रमोशन के लिए अभिनेता आर माधवन लखनऊ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अपनी फिल्म की रोचक बातें साझा की। कहा कि यह फिल्म वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर पद्म भूषण से अलंकृत नंबी नारायणन पर केंद्रित है।
By Vrinda SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 26 Jun 2022 03:00 PM (IST)
लखनऊ [दुर्गा शर्मा]। फिल्म अभिनेता आर माधवन ने कहा कि हमारे यहां दो तरह के देश भक्त होते हैं। एक वे जो देश की रक्षा के लिए अपने सीने पर गोली खाते हैं, गर्व से उनका नाम लिया जाता है। दूसरे वे जो देश को गौरवान्वित करने के लिए हर दिन मेहनत करते हैं, हर दिन मरते हैं, पर उनका नाम सामने नहीं आता। सेना के जवानों के साथ ही देश भक्ति के जज्बे से ओत प्रोत वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के योगदान को भी हमें सम्मान देना चाहिए।
एक जुलाई को रिलीज होने वाली आर माधवन के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'राकेट्री: द नांबी इफेक्ट' एक ऐसे ही वैज्ञानिक और एयरोस्पेस इंजीनियर पद्म भूषण से अलंकृत नंबी नारायणन पर केंद्रित है। शनिवार को अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए आर माधवन लखनऊ में थे। इस मौके पर गोमती नगर के होटल रेनेसां में फिक्की फ्लो की ओर से आर माधवन के साथ संवाद कार्यक्रम भी हुआ। कार्यक्रम में फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर की अध्यक्ष सीमू घई ने आर माधवन के साथ संवाद किया।
नंबी नारायणन ने ऐसा राकेट इंजन बनाया था, जिससे अब तक कई सेटेलाइट लान्च किए जा चुके हैं। ये एक ऐसा लिक्विड इंजन है, जिससे पहली बार में ही भारत मंगल ग्रह पर जा खड़ा हुआ, जबकि अन्य देशों को कई-कई बार अपने राकेट इंजन बनाने पड़े, तब जाकर उन्हें सफलता मिली। एक बेहद आकर्षक वैज्ञानिक जिसे मालदीव की एक महिला से प्यार हो गया। उन पर झूठा आरोप लगाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया।
आर माधवन ने कहा कि हमारे देश के वैज्ञानिकों की क्षमता को पूरी दुनिया में सराहना मिलती है तो मुझे लगता है कि उन्हें आगे लाना चाहिए। मैं चाहता हूं कि यह फिल्म हर कोई देखे, जिससे कि वे हमारे भारत के रत्नों से परिचित हो सकें और पूरी दुनिया में यह फिल्म हमारे भारत का नाम रोशन करने का माध्यम बन सके। फिल्म हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सहित दुनिया भर में छह भाषाओं में रिलीज होगी।
उन्होंने आगे कहा कि इस रोल को मेरे अलावा कोई नहीं कर सकता था, क्योंकि इसके लिए तकनीकी ज्ञान की जरूरत थी। मैं इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हूं, इस वजह से मैं यह रोल बेहतर तरीके से समझ और कर सका। पहली बार निर्देशक बने आर माधवन का कहना था कि मैंने खुद को हमेशा एक अभिनेता के रूप में देखा है। मैं निर्देशक नहीं बनना चाहता था, मैं अब भी निर्देशक नहीं बनना चाहता हूं।
मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। कोई इस फिल्म को बनाने के लिए तैयार नहीं था। या तो मैं फिल्म छोड़ देता या निर्देशक का दायित्व निभा लेता, इसलिए मैंने फिल्म की हर जिम्मेदारी खुद उठा ली। मुझे पता है कि मैंने कोई खराब या बेवकूफी वाली फिल्म नहीं बनाई है। मैं यह भी जानता हूं कि यह फिल्म हर किसी को पसंद आने वाली है। आप सब यह फिल्म जरूर देखें।
वैज्ञानिक नंबी नारायणन से अपनी मुलाकात को लेकर आर माधवन ने कहा कि मैं एक अलग धारणा के साथ उनसे मिला था। सबको यही लगता कि एक लड़का जो जान एफ कैनेडी से भी खूबसूरत दिखता हो, तो उसका अफेयर कैसे नहीं हो सकता है। यही उनके खिलाफ गया। वह आज भी 'इंडिया-इंडिया' करते हैं, वह अपनी उपलब्धियों पर बात नहीं करते, मुझे लगा कि उनकी कहानी तो सबको बतानी ही चाहिए।...और तोड़ना पड़ा जबड़ा : आर माधवन ने बताया कि मुझे नंबी नारायणन की तरह दिखना था। बिना किसी कृत्रिम साधनों के मैं उनकी तरह दिखना चाहता था। इसके लिए मुझे अपना जबड़ा भी तुड़वाना पड़ा। एक कुर्सी पर 17-18 घंटे बैठा रहता था। पहली बार ऐसी चीजें कीं जो कभी सोचा भी नहीं था।
उन्होंने कहा कि मुझे पहली बार ये स्क्रिप्ट लिखने में सात महीने लगे और फिर उसको बदलकर लिखने में डेढ़ साल लगे। मुझे बहुत रिसर्च करनी पड़ी। 2016 के अंत में मैंने इस पर काम शुरू किया था। कोविड के कारण भी देरी हुई। इस फिल्म को बनाने में लगभग छह साल लग गए हैं।बेटा कर रहा ओलंपिक की तैयारी : आर माधवन के बेटे वेदांत ने डेनिश ओपन में तैराकी में गोल्ड मेडल जीतकर देश को गर्व का मौका दिया है। देश का मान बढ़ाया है। अपने बेटे के बारे में अभिनेता ने बताया कि वेदांत ओलंपिक मेडल जीतना चाहते हैं। सभी अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर बनाना चाहते हैं। मैं भी बस यही कोशिश करता हूं।
दुबई शिफ्ट होने का भी फैसला लिया : ओलंपिक के लिए मेरे बेटे की ट्रेनिंग बेहतर हो इसके लिए मैंने दुबई शिफ्ट होने का फैसला भी लिया। बेटे ने ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी है। आर माधवन ने कहा कि मैं अपने बेटे से बहुत कुछ सीखता हूं। आज की पीढ़ी हम लोगों से कहीं ज्यादा समझदार है।
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