रायबरेली : कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी को आवंटित भूमि पर चली प्रशासन की जेसीबी
सिविल लाइंस स्थित जमीन पर कब्जा हटवाने का आदेश कोर्ट से हुआ था। पहले भी कई बार प्रशासन ने इस पर अमल की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। कभी जनप्रतिनिधियों का दबाव तो कभी कब्जेदारों का विरोध प्रदर्शन आड़े आ जाता।
By Anurag GuptaEdited By: Updated: Wed, 16 Dec 2020 11:02 AM (IST)
रायबरेली, जेएनएन। काफी जद्दोजहद के बाद कमला नेहरू एजुकेशनल सोसायटी को आवंटित जमीन से आखिर प्रशासन ने कब्जा हटवा ही दिया। मंगलवार की रात से ही इसकी तैयारी प्रशासन ने कर ली थी। भोर चार बजे से कार्रवाई शुरू होने की जानकारी भी दुकानदारों को दी गई थी। खबर है कि इस दौरान प्रशासन ने कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया है।
सिविल लाइंस स्थित जमीन पर कब्जा हटवाने का आदेश कोर्ट से हुआ था। पहले भी कई बार प्रशासन ने इस पर अमल की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। कभी जनप्रतिनिधियों का दबाव तो कभी कब्जेदारों का विरोध प्रदर्शन आड़े आ जाता। इस नाते इस बार प्रशासन ने गुपचुप पूरी योजना बनाई। मंगलवार की शाम तक पूरी तैयारी हो चुकी थी। रात से ही पुलिस की कई गाड़ियां सिविल लाइंस से गोल चौराहे के बीच चक्कर काट रही थीं। कब्जेदारों को बता दिया गया था कि भाेर में कब्जा हटवाया जाएगा। हालांकि, एकाएक आए इस आदेश के बाद भी तमाम दुकानदार अपना सामान नहीं हटा सके। फिर बुधवार की भोर सिटी मजिस्ट्रेट सीओ सिटी और कई थानों की फोर्स के साथ पहुंचे और ध्वस्तीकरण शुरू करा दिया।
153 लोगों को जारी हुआ था नोटिस न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन ने 153 कब्जेदारों को नोटिस जारी किया था। अभी चार दिन पहले भी प्रशासन कब्जा हटवाने गया था। कब्जेदारों की दुकानों के कनेक्शन काट दिए गए थे। इसके बाद हाईवे पर जमकर हंगामा हुआ था। लोगों ने रोड जाम कर दिया था। इसके कारण प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा था।
ठप रहा हाईवे पर आवागमन जमीन से अतिक्रमण हटवाते समय लखनऊ-प्रयागराज हाईवे के ट्रैफिक से कोई परेशानी न हो, इसलिए यातायात का रुख मोड़ दिया गया था। इसके अलावा डिग्री कॉलेज चौराहे, बरगद चौराहा और गोल चौराहे से सिविल लाइंस की ओर जाने की अनुमति किसी को नहीं थी। पूरा सिविल लाइंस चौराहा छावनी में तब्दील नजर आया।
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