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यूपी में शिक्षकों के बाद अब छात्रों की अटेंडेंस के बदले नियम, शिक्षा विभाग ने जारी किए ये निर्देश

उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य करने के बाद शिक्षा विभाग ने छात्रों की अटेंडेंस को लेकर भी नए निर्देश जारी किए हैं। अब परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में लगातार 30 दिनों से ज्यादा अनुपस्थित छात्र छात्र जिनके किसी परीक्षा में 35 प्रतिशत से कम अंक हैं तो उन्हें आउट आफ स्कूल विद्यार्थी की श्रेणी में माना जाएगा।

By Ashish Kumar Trivedi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 09 Jul 2024 04:12 PM (IST)
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यूपी में शिक्षकों के बाद अब छात्रों की अटेंडेंस के बदले नियम
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। अब परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में लगातार 30 दिन से ज्यादा अनुपस्थित छात्र जिनके किसी परीक्षा में 35 प्रतिशत से कम अंक हैं तो उन्हें 'आउट आफ स्कूल' विद्यार्थी की श्रेणी में माना जाएगा। अगर किसी परीक्षा में उसके 35 प्रतिशत से ज्यादा अंक हैं तो उसके लिए पुनरावृत्ति कक्षाएं चलाकर उसे पास कराया जाएगा। अभिभावकों की भी काउंसिलिंग होगी।

महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा की ओर से उपस्थिति बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। पहले 45 दिन लगातार अनुपस्थित छात्र को स्कूल न आने वाले विद्यार्थी की श्रेणी में गिना जाता था। फिलहाल अब सख्ती की जाएगी। बिना किसी समुचित कारण के तीन दिन लगातार विद्यालय न आने वाले छात्र के अभिभावक को फोन कर शिक्षक जानकारी लेंगे।

अभिभावकों की जाएगी काउंसिलिंग

अगर छह दिन लगातार कोई विद्यार्थी स्कूल नहीं आता है तो शिक्षक उसके घर का भ्रमण करेंगे और अभिभावक की काउंसिलिंग कर बच्चे को स्कूल भेजने को प्रेरित करेंगे। वहीं पुनरावृत्ति कक्षाएं चलाकर छूटा पाठ्यक्रम पूरा कराया जाएगा। इसी तरह 10 दिन तक लगातार स्कूल न आने वाले छात्र के अभिभावकों को पहली तिमाही की अभिभावक-अध्यापक बैठक में शिक्षक चेतावनी देंगे।

यदि वह छह महीने में लगातार 15 दिन अनुपस्थित रहता है तो दूसरी तिमाही की अभिभावक-शिक्षक बैठक में अभिभावकों की काउंसिलिंग की जाएगी। इसी तरह शिक्षा सत्र के नौ महीनों में कोई विद्यार्थी लगातार 21 दिन अनुपस्थित है तो तीसरी तिमाही की बैठक में अभिभावकों को चेताया जाएगा। फिर 30 दिन से अधिक अनुपस्थित होने पर किसी भी सतत मूल्यांकन या परीक्षा में उसके 35 प्रतिशत से कम अंक हैं तो उसे विद्यालय न आने वाले छात्र की श्रेणी में गिना जाएगा। ऐसे छात्रों के शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए विशेष उपचारात्मक कक्षाएं चलाई जाएंगी।

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