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मदरसों की वित्तीय सहायता रोकने के निर्देश पर भड़के अजय राय, कहा- गड़बड़ी की जांच की जाए

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के मदरसों की वित्तीय सहायता रोकने के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि सभी मदरसों को बंद करना उचित नहीं है। केवल गड़बड़ मदरसों पर ही कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के बयान पर सवाल उठाए।

By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 12 Oct 2024 10:45 PM (IST)
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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय - फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से राज्यों को मदरसों की वित्तीय सहायता रोके जाने के लिए पत्र भेजने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। राय का कहना है कि सभी मदरसों की वित्तीय सहायता रोका जाना व उन्हें बंद किया जाना कतई उचित नहीं है। जिन मदरसों में कहीं गड़बड़ी है, उसकी जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई जरूरी है।

केवल गड़बड़ मदरसों को ही बंद कराया जाना चाहिए। सभी मदरसों पर एकतरफा कार्रवाई से वह सहमत नहीं हैं और इसका विरोध करेंगे।एनसीपीसीआर ने कहा है कि मदरसे आरटीई अधिनियम की शर्तों का पालन नहीं कर रहे हैं। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर मदरसों व मदरसा बोर्डों की वित्तीय सहायता रोकने व उन्हें बंद कराने की सिफारिश की है।

अजय राय ने भाजपा पर भी निशाना साधा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ऐसे निर्देश व्यावहारिक नहीं हैं। एनसीपीसीआर को अपना बयान वापस लेना चाहिए। अजय राय ने भाजपा पर भी निशाना साधा। राय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार तथा हिंदुओं को संगठित व सशक्त होने के बयान पर सवाल उठाया।

कहा, उन्हें यह भी बताना चाहिए कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना कहां हैं। भाजपा सरकार को पूरे देश को यह बताना चाहिए बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में क्या कदम उठाए गए। कहा, हिंदू पहले भी संगठित था और अब भी है। अब हिंदू भाजपा को वोट नहीं दे रहे हैं, इसलिए परेशानी है। भाजपा लोगों को बांटने का काम करती है।

पहले मदरसों का इतिहास जाने

एनसीपीसीआर बरेलवी मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष हमेशा मदरसों के विरुद्ध जांच पड़ताल करते रहते हैं। कोई न कोई बहाना बनाकर उनको कठघरे में खड़ा करते हैं। उनसे मदरसों का इतिहास जानने की जरूरत है।

वर्ष 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के विरुद्ध फतवा देने वाले अल्लामा फजले हक खैराबादी मदरसे के ही छात्र थे। अभी मदरसों पर जो इल्जाम लगाया है, वो हकीकत से अलग है। लाखों मदरसों में अगर कोई एक मदरसा गलत कार्य करता मिलता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन सभी मदरसों को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।

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