'BJP साबित करे...' Akhilesh ने दी खुली चुनौती, सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में योगी सरकार के सामने रखीं ये डिमांड
यूपी में सिपाही भर्ती पेपर लीक मामले में योगी सरकार ने परीक्षा कराने वाली कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अखिलेश यादव ने यूपी की भाजपा सरकार को जमकर घेरा। लिखा कि उप्र सरकार उस कंपनी और उसके मालिक के खिलाफ FIR की कॉपी सार्वजनिक करे। गुजरात भेजकर उसकी संपत्ति से खामियाजा वसूलने की हिम्मत दिखाए।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उप्र पुलिस में सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक का मामला एक बार फिर गरमा रहा है। परीक्षा कराने वाली कंपनी को योगी सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश ने लिखा कि ‘भाजपाइयों’ की है यही पहचान। झूठों को काम, झूठों को सलाम।।
सपा प्रमुख ने आगे लिखा कि ये आरोप बेहद गंभीर है कि पुलिस भर्ती परीक्षा का पेपर आयोजित करवानेवाली गुजरात की कंपनी का ही, पेपर लीक करवाने में हाथ है और उसका मालिक जब सफलतापूर्वक विदेश भाग गया, उसके बाद ही उप्र सरकार ने उसके बारे में जनता को बताया और जनता के ग़ुस्से से बचने के लिए दिखाने भर के लिए उस कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया।
यूपी सरकार को सपा प्रमुख ने दी चुनौती
उप्र सरकार उस कंपनी और उसके मालिक के खिलाफ FIR की कॉपी सार्वजनिक करे। गुजरात भेजकर उसकी संपत्ति से खामियाजा वसूलने की हिम्मत दिखाए। ऐसे आपराधिक लोग उप्र के 60 लाख युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने के दोषी हैं। उप्र की भाजपा सरकार साबित करे कि वो इन अपराधियों के साथ है या प्रदेश की जनता के साथ।उप्र में काम करनेवाली हर कंपनी के इतिहास और उसकी सत्यनिष्ठा-गुणवत्ता की जाँच की जाए। जब बेईमान और कलंकित कंपनियों को काम दिया जाए तो जनता को समझ लेना चाहिए कि इसमें काम देनेवाले उप्र सरकार के उस मंत्रालय और उसके विभाग के लोगों की भी हिस्सेदारी है मतलब ‘ये भ्रष्टाचार की साझेदारी’ है।
इस परीक्षा के आयोजन से संबंधित कंपनी ही नहीं बल्कि हर एक संलिप्त मंत्री या अधिकारी की भी जाँच हो और जब तक जाँच पूरी न हो जाए, तब तक उसे उसके काम से मुक्त रखा जाए और संलिप्तता सिद्ध होने पर बर्खास्त करके कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
अखिलेश ने रखी ये मांगें
अखिलेश ने लिखा कि हम मांग करते हैं कि उप्र में काम कर रही या काम करने की इच्छुक हर बाहरी कंपनी की गहन जांच हो और सब कुछ सही पाये जाने पर ही काम दिया जाए। ऐसा नहीं करने पर जब काम गलत होता है तो उससे उप्र की छवि को ठेस पहुंचती है और प्रदेश के पैसों की बर्बादी भी होती है। इन सबका ख़ामियाज़ा आख़िर में आम जनता को ही भुगतना पड़ता है।
साथ ही ये भी मांग है कि उप्र की कंपनियों को प्राथमिकता दी जाए और केवल तभी बाहरी कंपनियों को काम दिया जाए जब यूपी के सरकारी विभागों, निगमों, बोर्डों या स्थानीय कंपनियों के पास कार्य को समय की सीमा में गुणवत्तापूर्वक संपन्न कराने या उतने बड़े काम नहीं करने के अनुभव का अभाव हो।यह भी पढ़ें - यूपी सिपाही भर्ती के Paper Leak में अधिकारियों की बढ़ेंगी मुश्किलें, कई स्तर पर हुई लापरवाही; अब होगा ताबड़तोड़ एक्शन
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।