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किसी को नहीं पता था कि… सपा-बसपा गठबंधन तोड़ने के आरोप पर अखिलेश ने मायावती को दिया जवाब

बसपा प्रमुख मायावती ने अपनी पार्टी की बुकलेट में सपा मुखिया अखिलेश यादव को सपा-बसपा गठबंधन टूटने के लिए जिम्मेदार ठहराया है जबकि अखिलेश ने कहा है कि उन्हें नहीं पता था कि गठबंधन टूटने वाला है। अखिलेश ने आरोप लगाया है कि मायावती ने उन्हें फोन नहीं उठाया और गठबंधन तोड़ने का फैसला ले लिया। दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 13 Sep 2024 03:04 AM (IST)
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किसी को पता नहीं था कि टूटने वाला है बसपा से गठबंधन: अखिलेश

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी को चौंकाते हुए सपा-बसपा में गठबंधन हुआ तो उसे सत्ताधारी भाजपा के लिए बड़ी चुनौती मानी गई, लेकिन गठबंधन कोई कमाल न कर सका। बसपा जरूर लोकसभा में शून्य से 10 सीटों पर पहुंच गई थी, लेकिन सपा के एक बार फिर पांच सांसद ही जीते थे। 

चुनाव बाद अचानक गठबंधन क्यों टूटा उसके बारे में साढ़े पांच वर्ष बाद बसपा प्रमुख मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा अब एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। 

सपा मुखिया को जिम्मेदार ठहराया

हाल ही में जारी बसपा की बुकलेट में मायावती ने जहां गठबंधन टूटने के लिए सपा मुखिया को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, गुरुवार को अखिलेश ने साफ किया कि किसी को भी पता नहीं था कि बसपा से गठबंधन टूटने वाला है। जिस समय गठबंधन टूटा, उस समय वह आजमगढ़ के मंच पर थे। 

बुकलेट में सपा मुखिया पर बसपा प्रमुख और पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं का फोन न उठाने के आरोप पर अखिलेश ने कहा कि मैंने खुद फोन मिलाया था, यह पूछने के लिए कि आखिरकार यह गठबंधन क्यों तोड़ा जा रहा है? इस सवाल का मैं मीडिया को क्या जवाब दूंगा? अखिलेश ने कहा कि कभी-कभी लोग अपनी बात को छिपाने के लिए इस तरह की बात रखते हैं।

विधानसभा उपचुनाव से पहले बसपा प्रमुख मायावती ने हाल ही में अपने कार्यकर्ताओं को 52 पेज की बुकलेट छपवाकर बांटी है। बुकलेट में वर्ष 1993 और फिर वर्ष 2019 में सपा से गठबंधन का जिक्र किया गया है। 

कहा गया है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को खासकर यूपी में रोकने के लिए अखिलेश ने पिछली गलतियों को भुलाकर फिर से गठबंधन का एक और मौका देने की बात कही। तब सपा-बसपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा। चुनाव में बसपा काे 10 व सपा को पांच सीटें मिलीं। 

इसी वजह से बसपा से आगे संबंध बनाए रखना तो दूर बल्कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीएसपी प्रमुख व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं का भी टेलीफोन उठाना बंद कर दिया था। ऐसे में पार्टी को अपने स्वाभिमान को बरकरार रखते हुए सपा से अलग होना पड़ा था। 

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