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One Nation One Election: अखिलेश ने उठाए सवाल तो मायावती ने दिया वन नेशन, वन इलेक्शन को समर्थन; कही ये बातें

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सवाल उठाते हुए अखि‍लेश यादव ने कहा क‍ि लगे हाथ महाराष्ट्र झारखंड के विधानसभा चुनाव व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसका समर्थन किया है। मायावती ने कहा क‍ि एक देश एक चुनाव पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है।

By Nishant Yadav Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 19 Sep 2024 08:57 AM (IST)
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बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखि‍लेश यादव।- फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। एक देश, एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट से अनुमति मिलने पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने जहां इसका समर्थन किया है, वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कई सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक्स पर लिखा कि एक देश, एक चुनाव पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है। लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल उठाते हुए कहा कि लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनाव व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते। जनता पूछ रही है कि आपके (भाजपा) अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है?, जबकि सुना तो ये है कि वहां ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमजोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन , टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।

एक देश , एक चुनाव पर यह स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार? ⁠भाजपा जब बीच में किसी राज्य की निर्वाचित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे? ⁠किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतजार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा? इसको लागू करने के लिए जो सांविधानिक संशोधन करने होंगे, उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या नहीं? ⁠कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है, क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य जरूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं।

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