यूपी में विधानसभा उपचुनाव से पहले अखिलेश यादव का बड़ा दांव, लाल बिहारी यादव को बनाया विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष
UP Legislative Council यूपी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के चेहरे पर अब विराम लग चुका है। अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव के लिए इस नेता पर भरोसा जताते हुए नेता प्रतिपक्ष घोषित किया है। विपक्ष ने लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष घोषित किया है। विधानसभा में सपा ने शिवपाल सिंह यादव पर दांव नहीं लगाया। इस पद के लिए दो और नाम आगे चल रहे थे।
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। UP Legislative Council: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को एक बार फिर नेता प्रतिपक्ष बना दिया है। जुलाई 2022 में सपा के 10 प्रतिशत से कम सदस्य रह जाने के कारण यह पद लाल बिहारी यादव से छिन गया था।
100 सीटों वाली विधान परिषद में अब सपा के फिर से 10 सदस्य हो गए हैं, ऐसे में पार्टी ने फिर से नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लाल बिहारी यादव को सौंप दी है। किरनपाल कश्यप को मुख्य सचेतक बनाया गया है।
पहली बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में था मात्र 41 दिन का कार्यकाल
लाल बिहारी यादव वर्ष 2022 में 27 मई को नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे। पहली बार उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में मात्र 41 दिनों का ही कार्यकाल मिला था। सात जुलाई 2022 को सपा सदस्यों की उच्च सदन में 10 प्रतिशत से कम संख्या होने के कारण हटा दिया गया था।दिसंबर 2026 तक विधान परिषद में रहेगा कार्यकाल
शिक्षक कोटे से आने वाले लाल बिहारी यादव आजमगढ़ के रहने वाले हैं। उनका विधान परिषद में कार्यकाल छह दिसंबर 2026 तक है। सपा अध्यक्ष अखिलेश का पत्र पहुंचने पर विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने लाल बिहारी यादव को नेता विरोधी दल बनाने का आदेश जारी कर दिया। वहीं, सपा ने किरनपाल कश्यप को मुख्य सचेतक बनाया है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश से आने वाले किरनपाल को पार्टी ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। वाराणसी के आशुतोष सिन्हा को सपा ने सचेतक और मो. जासमीर अंसारी को उप नेता बनाया है।
विधानसभा में एक-दो दिनों में तय हो जाएगा नेता प्रतिपक्ष
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष तय होने के बाद अब विधानसभा में भी एक-दो दिनों में नेता प्रतिपक्ष तय हो जाएगा। अखिलेश यादव के सांसद बनने के कारण विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त चल रहा है। चूंकि विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष यादव बनाए गए हैं ऐसे में विधानसभा में दलित या अति पिछड़े को यह पद मिल सकता है।
इस पद की दौड़ में राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज व राम अचल राजभर का नाम सबसे आगे चल रहा है। अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव का भी नाम चर्चा में है।
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